जहां शुभांशु शुक्ला गए, कितनी बची है उस स्पेस स्टेशन की जिंदगी? जानें धरती पर कब वापस आएगा ISS
International Space Station Life: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला स्पेस में पहुंच गए हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिस स्पेस स्टेशन में वे पहुंचे हैं, उसकी जिंदगी खत्म होने वाली है.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है. वो न सिर्फ यहां पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं, बल्कि भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री भी हैं. उनके साथ इस मिशन में तीन और शामिल हैं, जो कि 14 दिन वहां पर इनके साथ रहेंगे. इस दौरान उनको वहां पर कुछ अलग-अलग प्रयोग करने हैं. शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष पर पहुंचे हैं. यह मिशन नासा, इसरो और यूपोपियन स्पेस एजेंसी और एक्जिओम स्पेस के सहयोग से चल रहा है. अब मुद्दे पर आते हैं कि शुभांशु जिस स्पेस सेंटर पर अंतरिक्ष में पहुंचे हैं आखिर उसकी जिंदगी अब कितने दिन की बची है. उसे धरती पर कब पास लाया जाएगा.
कितनी बची है ISS की जिंदगी
1998 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगातार अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिक खोजों की मेजबानी कर रहा है. यह धरती की निचली ऑर्बिट में है और यहां पर यह स्पेस स्टेशन अपने आप में मायने रखता है. इसको खत्म करने के लिए नासा ने एलन मस्क की एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स के साथ करीब 7000 करोड़ रुपये का सौदा किया है. आईएसएस की लाइफ 2030 तक ही है. 2030 में नासा इस स्पेस स्टेशन को खत्म कर देगा. इसके लिए इसे पृथ्वी की निचली ऑर्बिट से निकालना होगा. इस प्रक्रिया को डीऑर्बिट प्रॉसेस कहा जाता है.
धरती पर कैसे आएगा
नासा का कहना है कि इसके लिए स्पेसएक्स को यू.एस डीऑर्बिट व्हीकल विकसित करने के लिए कहा गया है. यही स्पेस स्टेशन को डीऑर्बिट करेगा. नासा आईएसएस को खत्म करने के लिए ऐसे ही अंतरिक्ष में नहीं छोड़ सकता है, क्योंकि इससे दूसरी सैटेलाइट को खतरा है. इसलिए इसको क्रैश करने के लिए धरती पर वापस लाया जाएगा. आज तक स्पेसक्राफ्ट के धरती पर गिरने से तो न के बराबर नुकसान हुआ है, लेकिन अगर पूरा स्पेस स्टेशन गिरता है तो उससे नुकसान संभव है. इसीलिए इसको सुरक्षित तरीके से गिराने के लिए साउथ पैसिफिक महासागर को चुना जाएगा और कम आबादी वाले इलाके में गिराया जाएगा.
कहां किया जाएगा क्रैश
आईएसएस को अमेरिका, जापान, रूस, कनाडा और यूरोप ने मिलकर बनाया है. इसका वजन 430,000 किलोग्राम पाउंड है. स्पेस स्टेशन को तीन चरणों में खत्म किया जाएगा. NASA का कहना है कि इसका सामान क्रैश करवाने से पहले धरती या फिर स्पेस में मौजूद बाकी के लैब्स में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इसको समुद्र के प्वाइंट नीमो पर क्रैश कराया जाएगा. यहां पर अंतरिक्ष के पुराने स्पेस स्टेशन, सैटेलाइट और दूसरे कचरे डिस्पोज किए गए हैं.
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Source: IOCL





















