ईरान से कौन कौन से देश मंगवाते हैं तेल? जंग हारा तो कितना होगा दुनिया को नुकसान? जान लीजिए
Countries Import Oil From Iran: इजराइल और ईरान की जंग में अमेरिका के कूदने के बाद से हालात बिगड़ गए हैं. खतरा इस बात का है कि अगर ईरान जंग हार गया तो कच्चे तेल का कितना नुकसान झेलना पड़ सकता है.

ईरान और इजराइल की जंग में जब से अमेरिका कूदा है, तब से युद्ध तो बढ़ा ही है, साथ ही सीथ कच्चे तेल की कीमतों में भी आग लग गई है. कच्चे तेल की कीमत अह 81 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है. हालांकि अभी भारत के लोगों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि यहां पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव देखने को नहीं मिला है. अमेरिका ने जब से ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया है, ऐसे में ईरान के पास उसका सबसे बड़ा हथियार होमुर्ज स्ट्रेट यानि समुद्री गलियारा है. अगर ईरान ने इसे बंद कर दिया तो सऊदी अरब और यूएई समेत सभी खाड़ी देश कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए त्रस्त हो जाएंगे. चलिए जान लेते हैं कि आखिर ईरान से कितने देश तेल मंगवाते हैं.
कौन से देश मंगाते हैं तेल
ईरान और इजराइल के युद्ध की वजह से महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग होमुर्ज जलडमरूमध्य भी प्रभावित हो रहा है. यह बहुत ही जरूरी रास्ता है, जिसके जरिए तेल के जहाज गुजरते हैं. भले ही ये जहाज दूसरा रास्ता खोज लेंगे, लेकिन इससे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी और महंगाई भी बढ़ेगी. वहीं पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से भारत के तेल व्यापार पर भी बुरा असर पड़ेगा. भारत के अलावा चीन, अमेरिका, इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, यमन, कुवैत, यूएई, वेनेजुएला जैसे देश शामिल हैं. इसमें चीन, ईरानी तेल का सबसे बड़ा आयातक देश रहा है.
भारत कितना आयात करता है
मार्च 2025 की एक रिपोर्ट की मानें तो चीन न रोजाना करीब 18 लाख बैरल ईरानी कच्चा तेल खरीदा था. अगर भारत की बात की जाए तो हम अभी ईरान, सऊदी अरब और यूएई समेत अन्य खाड़ी देशों के करीब 40 फीसदी कच्चा तेल आयात करते हैं. जबकि एलएनजी का 50 फीसदी आयात कतर से होर्मुज के रास्ते किया जाता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी जरूरत के हिसाब से करीब 90 फीसदी तेल दूसरे देशों से ही मंगवाता है. अपने देश में रोजाना करीब 51 लाख बैरल क्रूड ऑयल आता है.
कितना हो सकता है नुकसान
अगर होर्मुज बंद हुआ तो चीन और ईरान दोनों को तगड़ा नुकसान पहुंचेगा. दरअसल ओपेक देशों में ईरान तीसरा तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो कि रोजाना करीब 3.3 मिलियन बैरल उत्पादन करता है. वो इसमें से 1.84 मिलियन बीपीडी यानि कि आधे से ज्यादा तो सिर्फ चीन को निर्यात करता है. ऐसे में चीन और ईरान दोनों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.
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