क्या एक ही हथियार खरीद सकते हैं दुनिया के कई देश, क्या इसके लिए भी होता है कोई नियम?
2019 से 2023 तक भारत दुनिया का शीर्ष हथियार आयातक देश था. इस अवधि के दौरान रूस, भारत के लिए हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता था. वहीं, दुनिया में सबसे हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर अमेरिका था.

ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग खतरनाक होती जा रही है. इजरायली हमलों के बाद अमेरिका ने भी एक दिन पहले ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी. इसके बाद ईरान ने इजरायल पर अपने हमले और भी तेज कर दिए हैं. जानकारी के मुताबिक, ईरान ने इजरायल पर अब तक 550 मिसाइलें दागी हैं, वहीं इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर ने अमेरिका को भी अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है.
ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी इस जंग में दोनों मुल्कों की सबसे बड़ी चिंता उनके हथियारों का खत्म होता स्टॉक है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल लंबे समय से युद्ध लड़ रहा है, जिससे उसके हथियार खत्म हो रहे हैं. वहीं, ईरान के पास भी बैलेस्टिक मिसाइलों का एक सीमित जखीरा है. ऐसे में दोनों देशों को अपने मित्र देशों की ओर से हथियारों की मदद की उम्मीद है. ऐसे में सवाल है कि क्या दुनिया के कई देश एक ही तरीके का हथियार खरीद सकते हैं? क्या इस पर कोई मनाही है? चलिए जानते हैं इसको लेकर हथियारों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा नियम क्या है?
ये देश करते हैं सबसे ज्यादा खरीद-फरोख्त
स्टॉकहोम इंटरनेशल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने मार्च, 2024 में एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 तक भारत दुनिया का शीर्ष हथियार आयातक देश था. इस अवधि के दौरान रूस, भारत के लिए हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता था. भारत के अलावा चीन और पाकिस्तान भी दुनिया के उन देशों में शुमार हैं, जो भारी मात्रा में हथियार खरीदते हैं. वहीं, दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाले देशों में अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और जर्मनी शामिल हैं. इसमें अमेरिका दुनिया में सबसे बड़ा हथियारों का सप्लायर है. साल 2024 की बात करें तो अमेरिका ने इस साल 318.7 बिलियन डॉलर के हथियार बेचे थे, जो 2023 के मुकाबले 29 फीसदी बढ़ोतरी है.
क्या एक ही देश खरीद सकते हैं कई हथियार
दुनिया का कोई भी देश जब किसी देश को हथियार बेचता है तो उसके पीछे मकसद सिर्फ पैसे कमाना ही नहीं होता. कई बाद देश सामरिक और कूटनीतिक दृष्टि से भी हथियारों की खरीद-फरोख्त करते हैं, जिससे अपने दुश्मन देशों पर बढ़त हासिल की जा सके. जिस तरह अमेरिका ने इजरायल के साथ हथियारों की बड़ी डील की है, इसका मकसद पश्चिम एशिया में अमेरिका के दबदबे को बनाए रखना है. जहां तक एक ही हथियार बेचने का सवाल है तो रूस का एयर डिफेंस सिस्टम S-400 कई देशों के पास है. यह एयर डिफेंस इस्तेमाल करने वाले देशों में भारत, चीन, तुर्की और रूस शामिल है. इसी तरह भारत ने राफेल एयरक्राफ्ट भारत, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ग्रीस, मिस्र की सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. इसी तरह भारत भी अपनी ब्रह्मोस मिसाइल के लिए फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर जैसे देशों के साथ डील करने जा रहा है.
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Source: IOCL
























