INS विक्रांत का नाम सुनते ही कांप उठता है दुश्मन, इसे तबाह करने के लिए पाकिस्तान ने भेज दी थी अपनी सबमरीन
PNS Ghazi vs INS Vikrant: 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की सबमरीन पीएनएस गाजी भारत के आईएनएस विक्रांत को तबाह करने के लिए आई थी, लेकिन वो खुद ही शिकार बन गई और भारत ने उसे खत्म कर दिया.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान को करारा सबक सिखाया है. इस पूरे मिशन के दौरान भारतीय वायुसेना ने अहम भूमिका निभाई है. अब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आईएनएस विक्रांत के दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने खुलासा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन नेवी की भी अहम भूमिका रही है. इस दौरान रक्षामंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है. पाकिस्तान की एक गलती और उनकी धरती पर हमारी नेवी सुनामी ला सकती है. उन्होंने कहा कि अगर इस बार नौसेना आती तो पाकिस्तान के चार टुकड़े हो जाते. जब 1971 में नौसेना आई थी, तब दो टुकड़े हो गए थे.
1971 के युद्ध का योद्धा
क्या आप जानते हैं कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 1791 में नौसेना के आने पर पाकिस्तान के दो टुकड़े की जो बात कही है वो किस संदर्भ में कही है. अगर आपने फिल्म द गाजी अटैक देखी होगी तो आप समझ गए होंगे कि हम क्या कहना चाह रहे हैं. जी हां ये असल कहानी है 1971 के समंदर में लड़े गए उस युद्ध की जब आईएनएस विक्रांत, जिसे समंदर का बाहुबली भी कहा जाता है, उसे खत्म करने के लिए पाकिस्तान ने अपनी सबमरीन पीएनएस गाजी भेजी थी. तब इंडियन नेवी के बाहुबली ने समंदर में ही गाजी की समाधि बना दी थी. चलिए विस्तार से इसे जानते हैं.
गाजी को सौंपा गया विक्रांत को डुबोने का काम
साल 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े होकर एक हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान बना, जिस अब बांग्लादेश के नाम से भी जाना जाता है. यह युद्ध सिर्फ जमीन पर ही नहीं बल्कि समुद्र के अंदर भी एक लड़ाई लड़ी जा रही थी. भारतीय नौसेना के साहसिक अभियानों में पाकिस्तान की खतरनाक पनडुब्बी पीएनएस गाजी को भी डुबोना शामिल था. गाजी पाकिस्तान की एकमात्र लंबी दूरी की हमलावार पनडुब्बी थी, जिसे पाकिस्तान ने अमेरिका से लीज पर लिया था. पाकिस्तान की इस सबमरीन को भारतीय विमान आईएनएस विक्रांत को डुबोने का काम सौंपा गया था. लेकिन ये खुद ही शिकार बन गई थी.
विशाखापत्तनम से गायब हुआ आईएनएस विक्रांत
पाकिस्तान को लगा था कि अगर 71 के युद्ध में वो पीएनएस गाजी से आईएनएस विक्रांत को खत्म कर देगा तो जंग का पासा पलट जाएगा और भारत घुटनों पर आ जाएगा. लेकिन तब वाइस एडमिरल एन कृष्णनन की अगुवाई में इंडियन नेवी ने ऐसा प्लान बनाया कि पाकिस्तान सदमे में आ गया. इंडियन नेवी ने जो सिग्नल्स को इंटरसेप्ट किया था, उसमें यह तो पता चल गया था कि पाकिस्तान विक्रांत को निशाना बनाना चाहता है. इसीलिए 13 नवंबर तक विक्रांत को खुफिया तरीके से अंडमान और निकोबार भेज गिया गया, ताकि वो पाकिस्तान की नजर में न आए. पाक को चकमा देने के लिए इंडियन नेवी ने अपने दूसरे जहाज आईएनएस राजपूत को समंदर में उतार दिया, जिससे कि दुश्मन को लगे कि आईएनएस विक्रांत विशाखापत्तनम में ही खड़ा है.
जब भारत ने बनाई गाजी की समाधि
3 दिसंबर को आईएनएस राजपूत को समंदर में उतारकर भारी वायरलेस सिग्नल्स भेजे गए, जिससे ऐसा लगे कि आईएनएस विक्रांत विशाखापत्तनम में समंदर में ही खड़ा है. आईएनएस राजपूत में कई हथियार और 250 सैन्य ऑफिसर शामिल थे. कुछ ही देर में पीएनएस गाजी ने आईएनएस राजपूत को इंटरसेप्ट कर लिया. तभी आईएनएस राजपूत ने पानी के अंदर ऐसा हमला किया कि जोरदार धमाका हुआ और पाकिस्तान की सबसे एडवांस सबमरीन समंदर के अंदर चली गई. इस हमले में पाकिस्तान के 93 सैन्य ऑफिसर मारे गए थे. दो दिन के बाद 5 दिसंबर को आईएनएस अक्षय ने पीएनएस गाजी के अवशेषों की पुष्टि की थी.
पाकिस्तान ने कभी नहीं कबूला कि गाजी को भारत ने मारा
हालांकि पाकिस्तान ने कभी भी इस बात को स्वीकार नहीं किया कि भारत ने ही पीएनएस गाजी को मारा था. पाकिस्तान हमेशा से यही कहता है कि पीएनएस गाजी हादसे का शिकार हो गई और अपनी ही माइंस की चपेट में आ गई. लेकिन भारतीय रिकॉर्ड्स की मानें तो आईएनएस राजपूत ने ही पीएनएस गाजी को डुबोया था.
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