Unique State Of India: भारत के इस राज्य के नाम में नहीं लगती कोई मात्रा, यहां 450 साल से नहीं बुझा ये 'दीया'
Unique State Of India: यूं तो भारत अपनी अनोखी संस्कृति और विरासत के लिए मशहूर है, लेकिन एक ऐसा राज्य भी है जिसके नाम में कोई मात्रा नहीं आती. आइए जानते हैं क्या है इस राज्य का नाम.

Unique State Of India: भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के साथ-साथ अनोखी विरासत के लिए पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. अलग-अलग राज्यों के साथ हर क्षेत्र अपनी भाषा, जीवनशैली और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है. इन सब से अलग एक ऐसा राज्य भी है जो अपनी एक अनोखी विशेषता की वजह से जाना जाता है. दरअसल इस राज्य के नाम में कोई भी मात्रा नहीं है. क्या आप जानते हैं इस राज्य का नाम? अगर नहीं तो आइए बताते हैं.
इस राज्य के नाम में नहीं कोई मात्रा
भारत का असम राज्य इस अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है. यह राज्य अपने हरे भरे वन्य जीवन और विशाल चाय बागानों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. खास बात यह है कि जब भी आप असम शब्द को लिखते हैं तो सिर्फ 'अ', 'स', 'म' अक्षरों का ही इस्तेमाल होता है. यही बात इसे खास बनाती है. आपको बता दें कि असम की राजधानी दिसपुर है और यह है राज्य के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी का ही एक उपनगर है.
गुवाहाटी को रेशम बाजार और पहाड़ी के चोटी पर स्थित कामाख्या मंदिर के लिए जाना जाता है. इसी के साथ यहां का उमानंद मंदिर, जो कि ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर दीप पर स्थित है, भी काफी मशहूर है. इसी के साथ हाजो जैसे प्राचीन तीर्थ स्थल और मदन कामदेव मंदिर के खंडहर यहां के आकर्षण में चार चांद लगा देते हैं.
क्या है असम की खास बात
आपको बता दें कि असम को लाल नदियों और नीली पहाड़ियों की भूमि के रूप में पहचाना जाता है. साथ ही इसे भारत की चाय की राजधानी भी कहा जाता है. ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे की लाल मिट्टी और आसपास की नीली पहाड़ियां इस राज्य को और भी खूबसूरत बना देती हैं. असम में दुनिया की काफी बेहतरीन चाय का उत्पादन होता है.
असम के कुछ रोचक तथ्य
असम को 35 जिलों में बांटा गया है. 2022 में तामुलपुर 35वें जिले के रूप में पहचान गया. अगर क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो सबसे बड़ा जिला कार्बी आंगलोंग है. इसका क्षेत्रफल करीब 10, 434 वर्ग किलोमीटर है.
इसी के साथ असम भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है. आपको बता दें कि यह वह पहले क्षेत्र था जहां पर अंग्रेजों ने चाय के बागान बनाए थे. साथ ही जोरहाट पर वैष्णव मठ में एक पवित्र दीपक है जो पिछले 450 सालों से जल रहा है. इसे एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी स्थान मिला हुआ है. इतना ही नहीं बल्कि असम में साल में तीन बार बिहू मनाया जाता है. अप्रैल में रोंगाली/बोहाग बिहू, अक्टूबर में कोंगाली/काटी बिहू, और जनवरी में भोगाली/मांग बिहू मनाया जाता है.
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Source: IOCL























