PoK ही नहीं, लाहौर पर भी होता भारत का कब्जा, जानें UNSC के दखल के बाद कैसे बच गया था पाकिस्तान
India vs Pakistan: भारत और पाकिस्तान में तनाव काफी पुराना है. पाकिस्तान शुरू से ही भारत के अंदर घुसपैठियों को भेजता रहा है. यही वजह थी कि भारत की सेना युद्ध में लाहौर तक पहुंच गई थी.

भारत और पाकिस्तान के बीच इस वक्त तनाव का माहौल देखने को मिल रहा है. भारत के पाक के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बाद पड़ोसी मुल्क बौखलाया हुआ घूम रहा है. हालत यह हो गई है कि उसके मंत्री कुछ भी बयानबाजी कर रहे हैं और भारत को परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं. पाकिस्तान शायद अपने वो दिन भूल गया है जब भारत की सेना पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर में घुस गई थी. अगर उस दिन UNSC ने दखल न दी होती तो आज लाहौर भी भारत के कब्जे में होता. आइए जाने कि 1965 के युद्ध में आखिर क्या हुआ था जो पाकिस्तान बच गया.
कब शुरू हुआ था युद्ध
तारीख 6 सितंबर 1965…यही वह दिन था, जब भारत की सेना ने पाकिस्तान के लाहौर पर हमला कर दिया था. भारत ने उस दौरान एक ऐसी रणनीति तैयार की थी, जिसने 1965 के युद्ध की दिशा ही मोड़ दी थी. पाकिस्तान के बार-बार उकसाने के बाद जब भारत ने दुश्मन देश को जवाब देना शुरू किया तो उसे समझ में आ गया था कि अब लाहौर उसके हाथ से जाने वाला है. दरअसल 5 अगस्त 1965 को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ था, इसको कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है. इसमें दोनों देशों के हजारों सैनिक मरे थे. इस दौरान जब भारत ने पाकिस्तान के लाहौर पर हमला किया तो दुनिया का ध्यान इस पर गया.
ऑपरेशन जिब्राल्टर से जुड़ी हैं इस जंग की जड़ें
इस संघर्ष की जड़ें अगस्त 1965 में पाकिस्तान के गुप्त ऑपरेशन जिब्राल्टर से जुड़ी है. इसके जरिए पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करना चाह रहा था. इसके जरिए वह कश्मीर पर भारत का नियंत्रण कमजोर करना चाहता था. पाकिस्तान इस गफलत में था कि कश्मीर में तो मुस्लिम हैं और वे हर हाल में उसका साथ देंगे. यहां पर पाकिस्तान का उद्देश्य स्थानीय विद्रोहियों को इकट्ठा करके अशांति को बढ़ावा देना था. ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद इस बड़े संघर्ष की शुरुआत हुई, जिसे 1965 के भारत-पाक युद्ध के नाम से जाना जाता है.
कैसे पाकिस्तान के हाथ में गया कश्मीर
कश्मीर पाने के लालच में पाकिस्तान ने अपने पश्चिमी दोस्तों की मदद से कबायलियों के भेष में अपने सैनिकों को कश्मीर पर कब्जा करने के लिए भेजा. यही वजह थी कि कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया, जिसे अब पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर और गिलगिट बाल्टिस्तान के नाम से जाना जाता है. बचा हुआ हिस्सा भारत के पास है. इसके बाद 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने पंजाब से लेकर कश्मीर तक मोर्चा खोल दिया था. उस वक्त भारत की सेना ने रणनीतिक रूप से हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था.
नहीं तो भारत के हिस्से में होता लाहौर
पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर भेजने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करता था, अब जब वो हिस्सा भारत के कब्जे में हो गया तो पाकिस्तान बौखलाने लगा था. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हाजी पीर दर्रे को पाकिस्तान को लौटाने का फैसला किया. तब संयुक्त राष्ट्र ने युद्ध विराम की घोषणा की और ताशकंद समझौते के बाद यह फैसला लिया गया, जिसमें पाकिस्तान ने कहा था कि वो युद्ध विराम करेगा और शांति बनाने की कोशिश करेगा. इस युद्ध में भारत को पाकिस्तान की जमीन लौटानी पड़ी, नहीं तो भारतीय फौज लाहौर के पास पहुंच गई थी. इस युद्ध में भारत की जीत हुई और दुनिया में उसका कद बढ़ गया. अगर दोनों देशों के बीच 23 सितंबर को युद्ध विराम न हुआ होता तो आज लाहौर भारत के कब्जे में होता.
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Source: IOCL
























