भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कहां-कहां हुई थी हिंसा, किस घटना ने बदल दिया गांधी जी का मन?
Independence Day 2025: आज ही के दिन गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. इस दौरान बड़ी संख्या में देश में हिंसा हुई थी. चलिए जानें कि किस हिंसा ने गांधीजी का मन बदलकर रख दिया था.

Independence Day 2025: देश की आजादी के दौरान अंग्रेजों को देश से निकालने के लिए तमाम जतन और आंदोलन किए गए थे. लेकिन एक आंदोलन ऐसा था, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थीं. 8 अगस्त 1942 के दिन ही महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसमें सभी भारतीयों ने बड़े स्तर पर हिस्सा लिया था. इस दौरान कई स्वतंत्रता सेनानी भूमिगत होकर भी लड़े थे. गांव से लेकर शहर तक बड़ी-बड़ी रैलियां निकाली गई थीं.
कहते हैं कि इसकी व्यापकता को देखते हुए अंग्रेजों को भरोसा हो गया था कि अब उनको देश से जाना पड़ेगा. चलिए जानें कि भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान कहां-कहां हिंसा हुई थी और किस घटना ने गांधी जी का मन बदल दिया था.
जनता ने उठा लिए थे पत्थर
9 अगस्त 1942 के मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने के लिए कहा था और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे शक्तिशाली आंदोलन की शुरुआत भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. इस दौरान गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया था तो अंग्रेजी हुकूमत से उसका जवाब भारी दमन से दिया था. इस आंदोलन के दौरान जनता ने भी कमर कस ली थी. लोगों पर करो या मरो नारे का जादुई असर हुआ था. शुरू के दो दिन तो यह आंदोलन शांतिपूर्णं तरीके से संपन्न हुआ, लेकिन जब ब्रिटिश हुकूमत ने उन पर लाठियां और गोलियां चलाईं तो जनता ने भी पत्थर उठा लिए.
लाखों की संख्या में हुए घायल
भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने मार्श स्मिथ और नीदरसोल के नेतृत्व में सेना भेजी. उस दौरान अनियंत्रित लूटमार, आगजनी और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार से दमन में बहुत से लोग मारे गए और कई घायल हो गए. कई लाख की संपत्तियां लूटकर नीलाम कर दी गईं. इस आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल में जमकर हिंसा हुई और बड़ी तादात में लोगों की मौतें हुई थीं. इस दौरान एक घटना ने गांधी जी का मन बदलकर रख दिया था.
किस घटना ने बदल दिया था गांधीजी का मन
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने बड़े पैमाने पर हिंसा का इस्तेमाल करके आंदोलन को दबाने की कोशिश की थी. इस दौरान लोगों पर गोलियां चलाई गईं, लाठीचार्ज हुआ और गांवों को जला दिया गया व भारी जुर्माना भी लगा था. इस दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था और कांग्रेस को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. इस आंदोलने के दौरान जब हिंसा व तोड़फोड़ हुई तो गांधीजी ने इसकी बहुत निंदा की थी, क्योंकि वे हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलने के लिए समर्थन करते थे. इस आंदोलन में हुई हिंसा उनके सिद्धांतों के खिलाफ थी.
हमेशा किया हिंसा का विरोध
गांधीजी ने हमेशा से हिंसा का विरोध किया था, उन्होंने 1942 में ही आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के दौरान कहा था कि मैं ऐसी किसी भी चीज का समर्थन नहीं करता हूं जो कि हिंसा को बढ़ावा देती है. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत छोड़ो आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेजों को बिना किसी हिंसा के लिए भारत छोड़ने पर मजबूर करना था.
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Source: IOCL






















