कितनी चौड़ी होती है किसी NH की एक लेन, किन राज्यों में इसकी चौड़ाई सबसे कम?
Width Of National Highway: भारत में NH एक-दूसरे राज्यों को जोड़ने के लिए बहुत अहम कड़ी हैं. इनके जरिए रोज एक राज्य से दूसरे राज्य चीजें पहुंचाई जाती हैं. चलिए जानें कि इनकी चौड़ाई कितनी होती है.

भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है और यह देश की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी के लिए अहम माना जाता है. भारत के अलग-अलग राज्य अलग-अलग राजमार्गों के जरिए जुड़े हुए हैं. इनके जरिए हर दिन बड़ी संख्या में सामान इधर से उधर ढोया जाता है. जब भी आपने सड़क के जरिए किसी राज्य की यात्रा की होगी तो आप किसी न किसी राजमार्ग से जरूर गुजरे होंगे. देश में हर राज्यों में बड़े-बड़े नेशनल हाईवे देखने को मिलते हैं.
लेकिन जब बात आती है राष्ट्रीय राजमार्ग की एक लेन की चौड़ाई की तो यह राज्यों और भूगोल के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. चलिए जानें कि नेशनल हाईवे की एक लेन कितनी चौड़ी होती है और किन राज्यों में इसकी चौड़ाई कम है.
कितना चौड़ा होना चाहिए हाईवे
भारतीय सड़क कांग्रेस और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार भारत में किसी नेशनल हाईवे की एक लेन की मानक चौड़ाई 3.5 मीटर तय की गई है. इसका मतलब है कि एक दो-लेन सड़क की चौड़ाई कम से कम 7 मीटर और चार-लेन राजमार्ग की चौड़ाई लगभग 14 मीटर होती है. यही मानक चौड़ाई ट्रकों, बसों और बड़े वाहनों को सुरक्षित रूप से चलाने में मदद करती है.
किन राज्यों में है चौड़ाई
हालांकि, सभी राज्यों में हर जगह यह चौड़ाई समान नहीं है. कई पहाड़ी राज्य और उत्तर-पूर्वी राज्यों में भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सड़कें संकरी रह जाती हैं. उदाहरण के तौर पर देखें तो सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मणिपुर जैसे राज्यों में नेशनल हाईवे की एक लेन कई जगहों पर केवल तीन मीटर या उससे भी कम चौड़ी रह जाती है. दरअसल यहां पहाड़ी इलाकों, घुमावदार रास्तों और जमीन अधिग्रहण की मुश्किलों के कारण चौड़ीकरण संभव नहीं हो पाता है.
औद्योगिक राज्यों में हाईवे की चौड़ाई
वहीं इसके विपरीत, समतल और औद्योगिक राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु में हाईवे की चौड़ाई पूरी तरह से मानक 3.5 मीटर या उससे ज्यादा रखी जाती है. यहां चार से छह लेन वाले राजमार्गों का जाल बिछाया गया है, जिससे न केवल यातायात सुगम होता है बल्कि राज्यों के बीच व्यापारिक गतिविधियां भी तेजी से आगे बढ़ती हैं.
एक्सप्रेसवे पर कितनी हो सकती है चौड़ाई
राजमार्गों की चौड़ाई पर असर डालने वाले अन्य कारक भी हैं जैसे कि भूमि अधिग्रहण की नीतियां, बजट सीमाएं और ट्रैफिक वॉल्यूम यह तय करते हैं कि किसी विशेष क्षेत्र में सड़क कितनी चौड़ी बनेगी. पहाड़ी इलाकों में ज्यादा चौड़ाई वाली सड़क बनाने के लिए भारी सुरंग निर्माण और पहाड़ काटने का काम करना पड़ता है, जिससे लागत बहुत बढ़ जाती है. यही वजह है कि कई राज्यों में सड़कें अपेक्षाकृत संकरी रहती हैं. लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो एक्सप्रेसवे और भारी यातायात वाले मार्गों पर चौड़ाई बढ़ाकर 3.75 मीटर तक हो सकती है.
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Source: IOCL
























