देश में 100 करोड़ हिंदू, लेकिन एक-दो नहीं बल्कि 5 से ज्यादा राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक? जानें इनके नाम
जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार भारत के आठ राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश ऐसा है, जहां हिंदू आबादी 50 फीसदी से कम है. इन इलाकों में या तो ईसाई या मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है.

हर साल 18 दिसंबर को भारत में Minorities Rights Day मनाया जाता है. इस बार यह दिन कल मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने का मकसद देश में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों, सुरक्षा और समानता को लेकर जागरूकता फैलाना है. वहीं भारत को अक्सर हिंदू बहुल देश के रूप में देखा जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह भी है कि देश के कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू समुदाय खुद अल्पसंख्यक की कंडीशन में है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि देश में 100 करोड़ हिंदू, लेकिन फिर भी कौन से 5 से ज्यादा राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक है.
2011 की जनगणना क्या कहती है?
जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार भारत के आठ राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश ऐसा है, जहां हिंदू आबादी 50 फीसदी से कम है. इन इलाकों में या तो ईसाई या मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है. इससे साफ होता है कि भारत की धार्मिक विविधता सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि राज्यों के स्तर पर भी काफी अलग है.
इन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक
2011 की जनगणना के अनुसार जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू आबादी कम है उनमें लद्दाख भी शामिल है, जहां करीब एक प्रतिशत हिंदू आबादी है. इसके अलावा मिजोरम में लगभग 2.8 प्रतिशत, लक्षद्वीप में 2.8 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में लगभग 4 प्रतिशत, नागालैंड में लगभग 8.7 प्रतिशत, मेघालय में लगभग 11.5 प्रतिशत, अरुणाचल में करीब 29 प्रतिशत, पंजाब में लगभग 38.5 प्रतिशत और मणिपुर में लगभग 41.3 प्रतिशत हिंदू आबादी है. इन आंकड़ों से साफ होता है कि कुछ राज्यों में हिंदू समुदाय संख्या के लिहाज से अल्पसंख्यक है, जबकि देश की कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा है.
हिंदू अल्पसंख्यकों पर केंद्र सरकार का कहना
पिछले काफी समय से देश के कई हिस्सों में हिंदुओं को राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग चल रही थी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया था कि जिन राज्यों में हिंदू आबादी कम है, वहां की राज्य सरकार चाहे तो उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकती है. इसे लेकर सरकार ने उदाहरण देते हुए भी बताया था कि महाराष्ट्र ने 2016 में यहूदी समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया. वहीं कर्नाटक ने कई भाषाओं को राज्य में अल्पसंख्यक भाषा घोषित किया था. हालांकि केंद्र ने यह भी कहा था कि अल्पसंख्यकों से जुड़े कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्यों को देना संविधान के खिलाफ होगा. क्योंकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 संसद की ओर से बनाया गया कानून है.
क्या है अल्पसंख्यक की परिभाषा?
भारत में फिलहाल मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ है. यह दर्जा पूरे देश के आधार पर तय किया गया है न की राज्य के हिसाब से. इसी वजह से कई बार यह सवाल उठता रहा है कि क्या राज्य पर जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक की नई परिभाषा होनी चाहिए.
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