Kohinoor diamond: भारत से बाहर कैसे गया था कोहिनूर हीरा, कौन ले गया था इसे?
Kohinoor diamond: कोहिनूर को दुनिया का सबसे बेशकीमती हीरा माना गया है. ये भारत का हीरा है, लेकिन 1849 से ये ब्रिटिश के शाही परिवार के कब्जे में है. आज आपको बताते हैं कि ये हीरा भारत से बाहर कैसे गया.

Kohinoor diamond: कोहिनूर हीरा बेशकीमती हीरों में से एक है. ये भारत का हीरा है, लेकिन इसे विदेश तक पहुंचाने का काम 13वें मुगल शासक अहमद शाह ने किया था. कुछ वक्त पहले जब ब्रिटिश के महाराजा चार्ल्स के ताजपोशी हुई तो राजतिलक के समय उनको जो मुकुट पहनाया गया उसमें ये हीरा जड़ा हुआ है. दरअसल कोहिनूर हीरा 1949 से ही ब्रिटिश के शाही परिवार के कब्जे में है. आइए इसके इतिहास के बारे में और इसे विदेश तक कैसे पहुंचाया गया इसके बारे में जानते हैं.
कोहिनूर का इतिहास
कोहिनूर को भारत में खोजा गया था और इंग्लैंड ले जाकर अंग्रेजों ने इसपर कब्जा कर लिया. इतिहास में इस हीरे के कई दावेदार बताए गए हैं जैसे अलाउद्दीन खिलजी, बाबर, अकबर और महाराजा रणजीत सिंह. लेकिन इसको करीब 800 साल पहले आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकोंडा की खदान से निकाला गया था. उस वक्त इसको सबसे बड़ा हीरा माना गया था और इस वक्त इसका वजन 186 कैरेट था. इसके बाद कोहिनूर को कई बार तराशा गया और अब ये 105.6 कैरेट है और इसका वेट 21.2 कैरेट है. हालांकि इसे अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता है.
कौन था इसका पहला मालिक
जब 800 साल पहले इसको खदान से निकाला गया तो इसके पहले मालिक काकतिय राजवंश थे. कहते हैं कि काकतिय ने इस हीरे को अपनी कुलदेली भद्रकाली की बाईं आंख में लगया था. इसके बाद 14वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे काकतिय से लूट लिया था. इसके बाद पानीपत के युद्ध में बाबर मे जब आगरा और दिल्ली किले को जीता तो उसने इसे हथिया लिया था.
कैसे बाहर गया कोहिनूर
ईरानी शासक नादिर शाह ने 1738 में मुगलों पर हमला बोलकर उनको हराया और 13वें मुगल शासक अहमद शाह इसे छीनकर पहली बार भारत से बाहर लेकर गया. नादिर शाह ने मुगलों से मयूर तख्त भी छीन लिया और कहा जाता है कि उसने इस हीरे को मयूर तख्त में जड़वाया था. नादिर शाह की हत्या के बाद ये उनके पोते शाहरुख मिर्जा को मिला और अफगान शासक अहमद शाह दुर्रानी की मदद से खुश होकर उनको तोहफे में दिया था.
ब्रिटिशों के पास ऐसे पहुंचा कोहिनूर
1813 में महाराजा रणजीत सिंह सूजा शाह को हराकर कोहिनूर को हथियाकर वापस भारत ले आए थे. हालांकि इसके बदले में रणजीत सिंह ने सूजा सिंह को 1.25 लाख रुपये भी दिए थे. इसके बाद 1849 में सिखों और अंग्रेजों के बीच युद्ध में सिखों का शासन खत्म हो गया और महाराजा गुलाब की बाकी संपत्ति समेत कोहिनूर भी क्वीन विक्टोरिया को दे दिया गया. फिर इसे बकिंघम पैलेस से लाकर रानी के ताज में जड़ दिया गया.
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