'धुरंधर' का ये किरदार था ISI का असल फाइनेंसर, भारत में जहर घोलने वाले जावेद खनानी को मिली थी बेदर्द मौत
Who Is Javed Khanani: धुरंधर फिल्म में जावेद खनानी का किरदार भले ही हल्की मुस्कान के साथ दिखाया गया हो, लेकिन मुस्कान के पीछे एक खतरनाक नेटवर्क की कहानी छिपी है.

आदित्य धर निर्देशित ‘धुरंधर’ ने रिलीज के साथ ही बॉक्स ऑफिस पर मजबूत पकड़ बना ली है. फिल्म को इसकी तेज रफ्तार कहानी, दमदार अभिनय और वास्तविक घटनाओं से प्रेरित कथानक के लिए सराहा जा रहा है. कंधार विमान अपहरण, भारतीय संसद पर हमला और 26/11 जैसे संदर्भों के साथ फिल्म भारत-पाकिस्तान के खुफिया संघर्ष की पृष्ठभूमि रचती है. इसी बीच एक ऐसा किरदार सामने आता है, जो दिखने में साधारण लेकिन कहानी में बेहद अहम है, उसका नाम है जावेद खनानी. आइए जानें कि आखिर ये कौन था और इसने भारत को आंतरिक तौर पर कैसे खोखला किया था.
फिल्म का किरदार और असली चेहरा
फिल्म में जावेद खनानी का किरदार अभिनेता अंकित सागर ने निभाया है. पर्दे पर उसे हल्के-फुल्के, लगभग कॉमिक अंदाज में दिखाया गया है. लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि असल जिंदगी में जावेद खनानी को अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियां एक बेहद खतरनाक वित्तीय नेटवर्क का हिस्सा मानती रही हैं. यही विरोधाभास इस किरदार को सबसे ज्यादा चर्चा में ले आया है.
कौन था जावेद खनानी
रिपोर्ट्स कहती हैं कि जावेद खनानी पाकिस्तान के कराची में सक्रिय एक हवाला नेटवर्क से जुड़ा नाम था. वह कुख्यात अल्ताफ खनानी का भाई था. दोनों ने मिलकर ‘खनानी एंड कालिया इंटरनेशनल’ यानी KKI नाम की संस्था चलाई. अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स और अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, यह नेटवर्क अवैध धन के लेन-देन, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग से जुड़ा हुआ था. खनानी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए एक अहम वित्तीय कड़ी माना जाता था.
कैसे चलता था फंडिंग का खेल
खबरों की मानें तो जावेद खनानी का काम केवल हवाला तक सीमित नहीं था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, उसका नेटवर्क अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों तक धन पहुंचाने में इस्तेमाल होता था. इसके अलावा डी-कंपनी जैसे संगठनों के अवैध कैश को वैध दिखाने के आरोप भी उस पर लगे. बाहर से एक शांत अकाउंटेंट जैसा दिखने वाला यह व्यक्ति अंदर से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए हवाला फंडिंग का मजबूत आधार माना जाता था.
नकली नोटों से भारत को नुकसान
KKI नेटवर्क पर भारत में बड़े पैमाने पर नकली भारतीय मुद्रा भेजने के गंभीर आरोप लगे थे. विभिन्न आकलनों के अनुसार, 2000 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान से भारत में हजारों करोड़ रुपये मूल्य की जाली करेंसी पहुंचाई गई. इन नोटों का इस्तेमाल न केवल आर्थिक अस्थिरता पैदा करने, बल्कि आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में में भी किया गया था. यही वजह थी कि अमेरिका ने KKI को एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठन घोषित किया.
रहस्यमय अंत और उठते सवाल
साल 2014 में जब मोदी सरकार आई तो वो भी इन आंकड़ों और जाली नोट की बात सुनकर हैरान रह गई. फिर सरकार ने नवंबर 2016 में भारत में नोटबंदी लागू की. इस नोटबंदी से देश के सभी लोगों को तो झटका लगा, लेकिन सबसे बड़ा झटका जावेद खनानी को लगा, क्योंकि कहा जाता है कि उसकी ट्रेजरी में टनों जाली नोट रखे हुए थे, जो कि रद्दी हो गए.
कहा तो यह भी जाता है कि इसी सदमे की वजह से जावेद खनानी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लेकिन रिपोर्ट्स बताती है कि जावेद खनानी कराची में एक निर्माणाधीन इमारत की चौथी मंजिल से गिरा हुआ पाया गया था. हालांकि उसकी मौत कैसे हुई इस पर आज भी स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक नहीं है. लेकिन इतना तय माना जाता है कि नकली नोटों और अवैध फंडिंग के नेटवर्क पर नोटबंदी का बड़ा असर पड़ा था.
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Source: IOCL
























