धौलाकुआं हकीकत में क्या है, यह सिर्फ सड़क है या कुछ और? यहां जान लें पूरा मामला
धौलाकुआं इलाके के नाम एक कुएं के नाम पर पड़ा है, लेकिन शायद कुछ ही लोग होंगे जिन्होंने इस कुएं को देखा होगा. बहुत से लोग तो इसके बारे में जानते ही नहीं होंगे.

Dhaula Kuan History: दिल्ली का एक व्यस्त इलाका है धौलाकुआं. अगर आप उत्तम नगर से रिंग रोड होते हुए नोएडा या गुरुग्राम जाते हैं तो आपको धौलाकुआं होकर ही जाना पड़ता है. सुबह-शाम यह इलाका भीड़ और जाम की चपेट में रहता है. हर रोज हजारों लोग यहां से गुजरते हैं, लेकिन क्या कभी आपने यहां से गुजरते वक्त सोचा है कि इस चौराहे को धौलाकुआं ही क्यों कहते हैं? क्या वाकई यहां कोई कुआं है? इसकी हकीकत क्या है? चलिए जानते हैं
दिल्ली मेट्रो शुरू होने से पहले इस चौराहे को धौलाकुआं ही कहते थे, जब मेट्रो आई तो इस स्टेशन का नाम भी यही पड़ गया. यह दिल्ली मेट्रो के सबसे ऊंचे स्टेशनों में से एक है, जिसकी ऊंचाई करीब 23.6 मीटर है. दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए आपके इसी स्टेशन से मेट्रो मिलती है.
क्या वाकई यहां कुआं है?
धौलाकुआं इलाके के नाम एक कुएं के नाम पर पड़ा है, लेकिन शायद कुछ ही लोग होंगे जिन्होंने इस कुएं को देखा होगा. बहुत से लोग तो इसके बारे में जानते ही नहीं होंगे. दरअसल, धौलाकुआं मेट्रो स्टेशन और पेट्रोल पंप के पास ही में एक डीडीए पार्क है. आप इस पार्क में एंट्री करेंगे तो आपको एक कुआं दिखाई देगा. वर्तमान में इसे लोहे के जाल से ढक दिया गया है. सिंचाई विभाग ने यहां एक पंप भी लगाया है. इस पूरे इलाके का इतिहास इसी कुएं से जुड़ा हुआ है और इसी के नाम पर सड़क, चौराहे और मेट्रो स्टेशन का नाम भी पड़ा.
क्या है इसका इतिहास
अब आते हैं धौलाकुआं के इतिहास पर. कहा जाता है कि मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय ने इस कुएं का निर्माण कराया था. इस कुएं की खासियत यह है. कि इसमें प्राकृतिक रूप से पानी आता है. इसके नाम धौलाकुआं के पीछे तर्क है कि इस कुएं का निर्माण सफेद पत्थरों से हुआ था, जिससे कुएं के पानी का रंग भी सफेद दिखता है. कुएं का एक इतिहास यह भी है कि 1857 की क्रांति में कई क्रांतिकारियों ने इसी कुएं के पास आकर देश को आजाद कराने की शपथ ली थी.
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Source: IOCL
























