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Delhi Pollution: दिल्ली में पॉल्यूशन बढ़ने पर लगाए जाते हैं ग्रैप-1 से लेकर ग्रैप-4 तक, ऐसे में क्या करता है पाकिस्तान?

Delhi Pollution: दिल्ली में ग्रैप के तहत प्रतिबंध लागू किए जाते हैं, जिससे प्रदूषण के स्तर को कंट्रोल किया जा सके. ग्रैप-1 से ग्रैप-4 तक अलग-अलग चरणों में क्रमबद्ध तरीके से प्रतिबंध लागू किए जाते है.

Delhi Pollution: देश की राजधानी दिल्ली की एयर क्वालिटी में कुछ सुधार देखने को मिला है, जिसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर से ग्रैप-3 को हटा लिया है, इसके साथ ही वे प्रतिबंध भी हटा लिए गए हैं, जो ग्रैप-3 के तहत लागू किए जाते हैं. हालांकि, CAQM ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर रीजन में ग्रैप-1 और ग्रैप-2 के तहत लगाए जाने वाली पाबंदियों को लागू रखा है और इनका कड़ाई से पालन किया जाएगा. 

बता दें, ग्रैप-1 और ग्रैप-2 के तहत दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लागू किए जाते हैं. हालांकि, यह प्रतिबंध ग्रैप-3 की तुलना में कम होते हैं. ग्रैप-3 हटाए जाने से अब दिल्ली-एनसीआर के दफ्तरों में 50 फीसदी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था खत्म कर दी गई है, इसके साथी स्कूलों में भी 'हाइब्रिड मोड' सिस्टम खत्म कर दिया गया है. दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के तहत लागू ग्रैप सिस्टम के बीच लोग पाकिस्तान के कुछ शहरों में लागू किए जाने वाले उपायों के बारे में जानना चाहते हैं. दरअसल, दिल्ली की तरह पाकिस्तान के लाहौर, कराची जैसे शहरों की भी वायु गुणवत्ता काफी खराब स्तर तक पहुंच जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तान में क्या व्यवस्थाएं लागू की जाती हैं. 

क्या है 'ग्रैप सिस्टम'?

राजधानी दिल्ली में हर साल सर्दियां शुरू होते ही प्रदूषण तेजी से बढ़ता है. इस दौरान दिल्ली की एयर क्वालिटी इतने खराब स्तर तक पहुंच जाती है कि लोगों को खुली हवा में सांस लेना तक दूभर हो जाता है. इस दौरान बुजुर्गों और बच्चों को सांस की बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप के तहत प्रतिबंध लागू किए जाते हैं, जिससे प्रदूषण के स्तर को कंट्रोल किया जा सके. ग्रैप-1 से लेकर ग्रैप-4 तक अलग-अलग चरणों में क्रमबद्ध तरीके से प्रतिबंध लागू किए जाते है. चरण 1 तब लागू किया जात है जब एक्यूआई 201 से 300 के बीच पहुंच जाता है. चरण 2 एयर क्वालिटी 301 से 400 के बीच लागू किया जाता है. इसके बाद तीसरे चरण यारी ग्रैप-3 की बारी आती है, जो 401 से 450 एक्यूआई पर लागू होता है. चरण 4 यानी ग्रैप-4 अति गंभीर स्थिति में लागू होता है, जो 450 एक्यूआई पार होते ही लागू हो जाता है. 

पाकिस्तान में क्या होता है?

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए ग्रैप सिस्टम है, लेकिन पाकिस्तान में क्या है? जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में प्रदूषण के नियंत्रित करने के लिए ग्रैप जैसा सिस्टम लागू नहीं किया जाता है. हालांकि, वहां दूसरे जरूरी कदम उठाए जाते हैं. पाकिस्तान में जब वायु गुणवत्ता काफी खराब हो जाती है तो स्मॉग इमरजेंसी लागू की जाती है. 2024 और 2025 में पाकिस्तान की पंजाब सरकार ऐसा कर चुकी है. इसके तहत स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए जाते हैं और मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया जाता है. बाहरी गतिविधियों को भी नियंत्रित किया जाता है. निर्माण कार्यों पर भी कई तरह के प्रतिबंध लागू होते हैं. 

यह भी पढ़ें: हॉन्गकॉन्ग की ऊंची इमारतों में आग लगने की वजह क्या, क्या भारत में भी हो सकता है ऐसा हादसा?

प्रांजुल श्रीवास्तव एबीपी न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. फिलहाल फीचर डेस्क पर काम कर रहे प्रांजुल को पत्रकारिता में 9 साल तजुर्बा है. खबरों के साइड एंगल से लेकर पॉलिटिकल खबरें और एक्सप्लेनर पर उनकी पकड़ बेहतरीन है. लखनऊ के बाबा साहब भीम राव आंबेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का 'क, ख, ग़' सीखने के बाद उन्होंने कई शहरों में रहकर रिपोर्टिंग की बारीकियों को समझा और अब मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं. प्रांजुल का मानना है कि पाठक को बासी खबरों और बासी न्यूज एंगल से एलर्जी होती है, इसलिए जब तक उसे ताजातरीन खबरें और रोचक एंगल की खुराक न मिले, वह संतुष्ट नहीं होता. इसलिए हर खबर में नवाचार बेहद जरूरी है.

प्रांजुल श्रीवास्तव काम में परफेक्शन पर भरोसा रखते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता सिर्फ सूचनाओं को पहुंचाने का काम नहीं है, यह भी जरूरी है कि पाठक तक सही और सटीक खबर पहुंचे. इसलिए वह अपने हर टास्क को जिम्मेदारी के साथ शुरू और खत्म करते हैं. 

अलग अलग संस्थानों में काम कर चुके प्रांजुल को खाली समय में किताबें पढ़ने, कविताएं लिखने, घूमने और कुकिंग का भी शौक है. जब वह दफ्तर में नहीं होते तो वह किसी खूबसूरत लोकेशन पर किताबों और चाय के प्याले के साथ आपसे टकरा सकते हैं.

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