भारत में पीएम-सीएम और मंत्री के लिए पद छोड़ने का बन रहा नियम, जानें दूसरे देशों में क्या कानून?
संसद में एक नया बिल पेश कियागया है, जिसका मकसद है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार होता है और 30 दिन तक जेल में रहता है तो उसका पद अपने आप चला जाएगा.

भारत में जब किसी नेता पर भ्रष्टाचार या किसी अन्य गंभीर अपराध का आरोप लगता है तो जनता और विपक्ष की तरफ से सवाल उठते हैं कि क्या अब वह पद पर बने रहेंगे. हम सभी ने कई बार देखा है कि कुछ नेता गिरफ्तारी के बावजूद अपने पद पर बैठे रहते हैं. ऐसा दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के समय में देखा गया था, जब उन्होंने जेल में रहने के दौरान भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था. इससे न सिर्फ जनता का भरोसा टूटता है, बल्कि लोकतंत्र की छवि भी खराब होती है.
ऐसे ही हालात से निपटने के लिए अब संसद में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है. एक नया संविधान संशोधन बिल (130 वां संविधान संशोधन विधेयक) पेश किया गया है, जिसका मकसद है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार होता है और 30 दिन तक जेल में रहता है तो उसका पद अपने आप चला जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि यह नया नियम क्या कहता है, कैसे काम करेगा और दूसरे देशों में इसे लेकर क्या कानून हैं.
क्या है नया संविधान संशोधन बिल?
नया संविधान संशोधन बिल भारत के संविधान में दो जरूरी अनुच्छेदों, अनुच्छेद 75 और अनुच्छेद 164, में बदलाव की बात करता है. ये दोनों अनुच्छेद केंद्र और राज्यों के मंत्रियों के पद और नियुक्तियों से जुड़े हैं. अनुच्छेद 75 में प्रोविजन 5(A) और अनुच्छेद 164 में ऐसा ही एक नया प्रावधान जोड़ा जाएगा, जो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्य मंत्री सभी पर लागू होगा. अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री किसी ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है, जिसमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है और वह 30 दिन तक पुलिस हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन से वह अपने पद पर नहीं रहेगा. उसे राष्ट्रपति (या राज्यपाल) द्वारा पद से हटाया जाएगा. अगर प्रधानमंत्री (या मुख्यमंत्री) खुद ही आरोप में फंसा है और इस्तीफा नहीं देता, तो भी उसका पद अपने आप खत्म हो जाएगा.
क्यों जरूरी है ये नियम?
भारत में कई उदाहरण हैं जब नेता गिरफ्तारी के बाद भी अपने पद से नहीं हटे. ऐसे मामलों में सरकार की छवि खराब होती है और विपक्ष बार-बार इस्तीफे की मांग करता है. इस बिल के बाद विपक्ष को इस्तीफा मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी और अगर कोई मंत्री जेल में है और बेल नहीं मिली है तो 30 दिन बाद उसका पद अपने आप चला जाएगा. अगर किसी मंत्री को ऐसा अपराध करने के लिए गिरफ्तार किया जाता है, जिसमें कम से कम 5 साल की सजा हो सकती हैं और वह 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो उसे या तो इस्तीफा देना होगा,या फिर 31वें दिन वह अपने आप पद से हटा हुआ माना जाएगा.
दूसरे देशों में क्या है ऐसे नियम?
भारत के इस नए नियम की तुलना अगर हम अन्य लोकतांत्रिक देशों से करें तो पाएंगे कि वहां पर नेताओं की जवाबदेही और नैतिकता को ज्यादा महत्व दिया जाता है. कई देशों में इस तरह का नियम है, जहां किसी मामले में आरोप लगते ही इस्तीफा देने का नैतिक दबाव आ जाता है. जैसे इजरायल, जापान, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इन देशों में कई बार बिना कोर्ट के फैसले के ही, सिर्फ जांच के आधार पर इस्तीफा दिया गया है. इन देशों में नैतिकता और जिम्मेदारी को बहुत महत्व दिया जाता है. कई बार नेता सिर्फ अफवाह के कारण भी पद छोड़ देते हैं. इसके साथ ही राष्ट्रपति या गवर्नर के खिलाफ अगर कोई गंभीर मामला साबित होता है, तो इंपीचमेंट की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.
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Source: IOCL






















