दिल्ली की यमुना में कहां से आते हैं इतने खतरनाक केमिकल? जानें गंदगी की सबसे बड़ी वजह
यमुना नदी दिल्ली के लिए पानी का मुख्य स्रोत है. इसके बावजूद इसका जल इतना प्रदूषित है कि इसे नहाने और खेतों की सिंचाई में भी प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है. इसके पानी को पीना तो अलग ही बात है.

Yamuna River Pollution: हमारे देश में गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है यमुना. यमुना नदी हिमालय के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलकर 1376 किलोमीटर की दूरी तय करती है. दिल्ली में जब भी छठ पूजा की बारी आती है तो यमुना नदी सुर्खियों में आ जाती है. इसकी वजह है यमुना का प्रदूषण. आपने यमुना नदी में बने झाग की लेयर वाली कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर देखी होंगी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी यमुना नदी का प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बना. यहां तक कि आम आदमी पार्टी की करारी शिकस्त का भी एक बड़ा कारण यमुना नदी का प्रदूषण ही है.
आम आदमी पार्टी दिल्ली में यमुना नदी को साफ करने के वादे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन इसकी स्थिति जस की तस है. भाजपा ने यमुना नदी में झाग को बड़ा मुद्दा बनाया और केजरीवाल सरकार की इस नाकामी का जोर-शोर से प्रचार किया. यहां तक कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी यमुना नदी के किनारे पहुंचे और केजरीवाल से सवाल किया कि वे इसमें डुबकी कब लगा रहे हैं? अब हमारा मुख्य सवाल यह है कि आखिर यमुना नदी में इतने खतरनाक केमिकल आते कहां से हैं? चलिए जानते हैं...
बेहद खतरनाक है यमुना का पानी
यमुना नदी दिल्ली के लिए पानी का मुख्य स्रोत है. इसके बावजूद इसका जल इतना प्रदूषित है कि इसे नहाने और खेतों की सिंचाई के भी प्रयोग में नहीं लाया जा सकता. इसके पानी को पीना तो अलग ही बात है. इस नदी के पानी में इतने खतरनाक केमिकल घुल चुके हैं कि यह पानी बेहद जहरीला हो चुका है.
यमुना में झाग की कई वहज
यमुना नदी में ओखला बैराज के पास झाग बनने की कई वजहें हैं. इसमें 18 नालों से आने वाला सीवेज बिना ट्रीटमेंट के नदी में छोड़ा जाता है, जो इसके पानी को काफी प्रदूषित करता है. इसके अलावा केमिकल फैक्ट्रीज से आने वाला अपशिष्ट भी यमुना में सीधे मिलता है. यह समस्या और भी खतरनाक तब हो जाती है जब उत्तर प्रदेश में चीनी और कागज मिलों से निकलने वाला अपशिष्ट हिंडन नहर से होकर यमुना में मिल जाता है.
इसलिए बनता है झाग
दिल्ली में यमुना के पानी में प्रदूषण की मात्रा इतनी खतरनाक हो चुकी है कि इसमें कोई जलीय जंतु भी जीवित नहीं रह सकता है. दरअसल, इंडस्ट्रियल फैक्टरी से निकलने वाले वेस्ट फॉस्फेट और डिटर्जेंट युक्त अपशिष्टों के साथ यमुना में मिलते हैं, जिसके कारण झाग बनता है. यह झाग यमुना के पानी के ऊपर तैरता रहता है.
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Source: IOCL
























