असल में किसने बनाए थे गीजा पिरामिड? नई खोज में वैज्ञानिकों ने किए बड़े दावे
गीजा का महान पिरामिड मिस्र के पुराने साम्राज्य का है, जो 4,000 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसे बनाने में कई साल लगे थे, जिसमें लगभग 2.3 मिलियन पत्थर के ब्लॉक का यूज किया गया था.

गीजा का विशाल पिरामिड दुनिया के सात अजूबों में से एक है. दुनिया के सात अजूबों में से एक द ग्रेट पिरामिड ऑफ गीजा बेहद सुंदर भी है. गीजा का पिरामिड मिस्र में, काहिरा के बाहरी इलाके में स्थित है. बताया जाता है कि गीजा का महान पिरामिड मिस्र के पुराने साम्राज्य का है, जो 4,000 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसे बनाने में कई साल लगे थे, जिसमें लगभग 2.3 मिलियन पत्थर के ब्लॉक का यूज किया गया था जिसका वजन 6 मिलियन टन था.
वहीं गीजा का पिरामिड लगभग 98 फीट लंबा और 20 फीट ऊंचा है. अक्सर लोग यह सोचते हैं कि इस पिरामिड को इतने बड़े और सटीक तरीके से कौन बना सकता था? पहले माना जाता था कि इसे गुलामों ने बनाया था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है, जिससे यह साबित हुआ है कि इसे गुलामों ने नहीं बनाया था.
गुलामों ने नहीं तो किसने बनाया था पिरामिड?
अब तक यह कहा जाता था कि पिरामिड बनाने के लिए एक लाख गुलामों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों की नई खोज ने इस बात को पूरी तरह से गलत साबित कर दिया. पिरामिड बनाने वाले असल में वे पेशेवर श्रमिक थे जो नियमित वेतन पाते थे और एक खास तरीके से काम करते थे. एक्सपर्ट्स की टीम ने गीजा के पिरामिड के अंदर कई जरूरी खोज की हैं. उन्होंने पाया कि पिरामिड के पास कुछ कब्रें हैं, जिनमें पिरामिड बनाने वाले श्रमिकों की मूर्तियां और उनके बारे में शिलालेख मिले हैं.
इन कब्रों से यह साफ हो गया कि ये श्रमिक पिरामिड बनाने में शामिल थे और इन्हें सम्मान दिया गया था. इन कब्रों में श्रमिकों की मूर्तियां और शिलालेख मिले, जो यह बताते हैं कि वे बड़े कुशल कारीगर थे. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर पिरामिड बनाने वाले गुलाम होते, तो उनकी कब्रें पिरामिड के अंदर नहीं होती इसलिए यह साबित करता है कि पिरामिड बनाने वाले श्रमिक थे, न कि गुलाम.
क्या है पिरामिड के अंदर की गई खोज और दावे?
गीजा के पिरामिड में खोजों तक पहुंचने के लिए टीम को खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा. इन स्थानों पर पुरानी लेखन शैली में शिलालेख मिले, जिन्हें समझना आसान नहीं था. यह काम सिर्फ ट्रेन्ड एक्सपर्ट्स के लिए था. इसी के साथ इन एक्सपर्ट्स ने बताया कि पिरामिड बनाने के लिए चूना पत्थर 1,000 फीट दूर से लाया गया था. इसके लिए एक विशेष रैंप का यूज किया गया था, जिससे पत्थरों को ऊपर तक लाया गया. इस रैंप के अवशेष भी वैज्ञानिकों को मिले हैं, जो इस प्रक्रिया को समझने में मदद करते हैं.
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