स्वर्ण मंदिर में आतंकियों के साथ मिलकर क्या कर रहे थे अजित डोभाल?
Ajit Doval In Golden Temple: इस वक्त अमृतसर का स्वर्ण मंदिर सुर्खियों में है. चलिए जानें कि अजित डोभाल आतंकियों के साथ स्वर्ण मंदिर में क्या कर रहे थे.

पाकिस्तान पर चलाए गए ऑपरेश सिंदूर के बाद पड़ोसी मुल्क ने देश पर हमला कर दिया था. जिसके बाद भारत ने पड़ोसी मुल्क को करारा जवाब दिया. लेकिन बीते दिनों से पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले को लेकर कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं तो कि थोड़ा तनाव बढ़ा सकती हैं. पिछले दिन खबर थी कि पाक ने भारत पर शाहीन मिसाइल से हमले की कोशिश की थी, जो कि नाकाम हो गया. अब खबर आ रही है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को भी निशाना बनाने की कोशिश की.
इस घटना के बाद स्वर्णं मंदिर को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है. अब पहली बार स्वर्णं मंदिर में एयर डिफेंस गन तैनात की जाएगी. पाक ने ड्रोन और मिसाइल के जरिए स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने की कोशिश की थी. लेकिन भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम की वजह से यह संभव नहीं हो पाया. स्वर्ण मंदिर से जुड़ा एनएसए प्रमुख अजित डोभाल का भी एक पुराना किस्सा है. चलिए इस बारे में जानते हैं.
1980 के दशक में उग्रवादियों का अड्डा बन गया था स्वर्ण मंदिर
भारत के जेम्स बॉन्ड अजित डोभाल की बहादुरी के आपने कई किस्से सुने होंगे. इनमें से एक किस्सा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से भी जुड़ा है जब अजित डोभाल रिक्शेवाले के भेष में अंदर घुस गए थे. दरअसल 1980 के दशक में पंजाब बहुत अशांत हुआ करता था. खालिस्तानियों का सिख राज्य बनाने के लिए चलाए जाने वाला आंदोलन हिंसक रूप धर रहा था. उस दौरान सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर को भी उग्रवादियों का अड्डा बना दिया गया. उन्होंने इसे अपना गढ़ घोषित कर दिया था. इस वजह से कई बार सुरक्षा बलों के साथ उनकी तकरार हुई थी. इसी में से एक था ऑपरेशन ब्लू स्टार, जो कि 1984 में चलाया गया था.
फिर स्वर्ण मंदिर में कब्जा जमाकर बैठ गए खालिस्तानी
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद 1988 तक स्थिति गंभीर हो गई थी और उग्रवादियों ने फिर से मंदिर पर अपना कब्जा जमा लिया. इसके बाद शुरू हुआ ऑपरेशन ब्लैक थंडर. इसका मकसद था कि मंदिर को कम नुकसान पहुंचे और नागरिकों को कम हताहत करते हुए उग्रवादियों को भगाया जाए. इस दौरान अजित डोभाल ने गंभीर भूमिका निभाई थी. इस ऑपरेशन की अहम भूमिका थी अजित डोभाल का पाकिस्तानी ISI एजेंट बनकर स्वर्ण मंदिर में घुसना और जानकारी इकट्ठा करना.
जब रिक्शा चालक बनकर अजित डोभाल ने खोला भेद
उस वक्त खुफिया विभाग ने अजित डोभाल को अमृतसर में रिक्श चालक बनाकर भेजा और वे वहां पर जासूसी करते थे. इस दौरान वे सिर्फ स्वर्णं मंदिर के आसपास ही रिक्शा चलाया करते थे. एक दिन अजित डोभाल रिक्शावाला के रूप में ही स्वर्ण मंदिर में घुस गए, लेकिन खालिस्तानियों को उन पर शक हो गया. उन्होंने अजित डोभाल को पकड़ लिया. लेकिन फिर खालिस्तानियों को यकीन दिलाने में उनको करीब 10 दिन का समय लग गया कि वे जासूस नहीं बल्कि पाकिस्तानी हैं और आईएसआई के एजेंट हैं. इसके बाद उन्होंने अंदर घुसकर सारी जानकारी इकट्ठा की और सफल रहे. बाद में उन्ही की जानकारी पर सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन थंडर बर्ड को अंजाम दिया था.
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Source: IOCL





















