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60 साल...एक आदमी और 638 जानलेवा हमले, नाम - फिदेल कास्त्रो

साल था 1961, फिदेल कास्त्रो ने अचानक से अमेरिकी दूतावास को कहा कि वह अपने कर्मचारियों की संख्या 60 से घटाकर 18 कर दें. अमेरिका इस बात से बौखला गया और उसने क्यूबा के साथ अपने सारे संबंध खत्म कर दिए.

तारीख 26 नवंबर 2016... सुबह 11 बजे के आसपास एक ख़बर आती है. फिदेल कास्त्रो नहीं रहे. लेकिन कौन थे ये फिदेल कास्त्रो, जिनकी मौत पूरी दुनिया की मीडिया के लिए 26 नवंबर की सबसे बड़ी सुर्खिंयों में से एक थी. चलिए आज आपको इस आर्टिकल में उसी शख़्स की कहानी बताते हैं, जिसे 60 साल में दुनिया के सुपर पावर देश कहे जाने वाले अमेरिका ने 638 बार मारने की कोशिश की. लेकिन वो हर बार अपना सिगार जलाता हुआ और मौत को धुएं में उड़ाता हुआ बच निकला.

छात्र राजनीति और तानाशाही

फिदेल कास्त्रो का जन्म 13 अगस्त 1926 को क्यूबा के एक ऐसे घर में हुआ जो समृद्ध था. दरअसल, फिदेल के पिता एंजल कास्त्रो वाई अर्गिज स्पेन की सेना में थे, लेकिन 1890 के दौरान जब अमेरिका और स्पेन के बीच युद्ध चल रहा था तब वो क्यूबा आए और फिर कभी अपनी नौकरी पर नहीं लौटे. यहां उन्होंने अपना बिजनेस सेट किया और जमींदार बन गए. फिर उन्होंने लीना रूज गोंजाजेल नाम की एक महिला से शादी की, जिनसे उनको सात बच्चे हुए. इनमें एक फिदेल कास्त्रो भी थे. फिदेल ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने घर के पास के स्कूल में ही पूरी की. लेकिन बाद में कानून की पढ़ाई करने के लिए वो क्यूबा की राजधानी हवाना पहुंच गए.

वहां पहुंचने पर उन्होंने छात्र राजनीति को समझा और उसमें हिस्सा लेने के लिए कूद पड़े. ये वही दौर था, जब क्यूबा में तानाशाही सरकार चल रही थी. थोड़े दिनों बाद खबर आई कि फुल्गेन्सियो बतिस्ता जो अमेरिका का समर्थन करते थे, उन्होंने क्यूबा की पुरानी सरकार यानी राष्ट्रपति ट्रुजिलो की सरकार गिरा दी और खुद तानाशाही सरकार चलानी शुरू कर दी. राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अमेरिका के हितों के लिए अपने देश के नागरिकों का ध्यान नहीं दिया और देश में गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया.

क्रांति का झंडा और 15 साल की जेल

फिदेल कास्त्रो मौजूदा सरकार के कामों और उसकी भ्रष्ट नीतियों से परेशान थे. ये चीजें उन्हें इतनी ज्यादा परेशान करने लगीं कि 26 जुलाई 1953 को उन्होंने मैदान में इस तानाशाही सरकार से लड़ने का फैसला कर लिया. फिदेल ने अपने साथ अपने भाई राउल कास्त्रो और 100 लोगों को लिया और सेंटियागो डी क्यूबा में स्थित एक सैनिक बैरक पर आक्रमण कर दिया. लेकिन फिदेल कास्त्रो और उनके साथी इसमें नाकाम रहे और पकड़े गए.

इस केस में जब फिदेल कास्त्रो पर ट्रायल चल रहा था तो उस दौरान उन्होंने चीखते हुए कहा, 'मैं नहीं डरता. इस क्रूर आदमी (राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता) से तो कतई नहीं. इसने मेरे सत्तर भाइयों को मारा है. इस हमले के लिये मेरी निंदा करो. लेकिन इतिहास मुझे हर अपराध से मुक्त कर देगा.' खैर, फिदेल कास्त्रो और उनके साथियों को इस हमले के लिए 15 साल की जेल हुई. हालांकि, बतिस्ता की तानाशाही सरकार फिदेल को ज्यादा दिनों तक जेल में नहीं रख पाई. 1954 में बतिस्ता ने फिदेल कास्त्रो को जेल से रिहा कर दिया.

हीरो वाली इमेज और गुरिल्ला लड़ाई

जेल से छूटने के बाद फिदेल कास्त्रो मैक्सिको चले गए. वहां उन्होंने बतिस्ता की तानाशाही सरकार के खिलाफ हथियार और आदमी इकट्ठा करना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने बतिस्ता के खिलाफ गुरिल्ला लड़ाई शुरू कर दी. फिदेल ने बतिस्ता की नाक में इतना दम कर दिया कि फुल्गेन्सियो बतिस्ता ने अपने सैनिकों से यहां तक कह दिया कि जब तक फिदेल कास्त्रो को मार मत देना चैन से मत बैठना.

इधर क्यूबा की तानाशाही सरकार फिदेल कास्त्रो को मारने पर तुली थी, उधर फिदेल अमेरिकी अख़बारों में अपनी छवि किसी हीरो की तरह बना रहे थे. आए दिन वहां के और दुनियाभर के बड़े अख़बारों में उनकी खबर और तस्वीर छपती. हाथ मे सिगार लिए, दाढ़ी बढ़ाए हुए 30 साल का एक लड़का क्यूबा के तानाशाही सरकार के खिलाफ खड़ा है. ये बातें, फिदेल कास्त्रो को हीरो बना रही थीं. युवाओं के बीच उनका क्रेज बढ़ रहा था और हर युवा चाह रहा था कि वो उनके साथ जुड़े.

क्यूबा का हीरो अमेरिका के लिए विलन

फिदेल कास्त्रो अमेरिका में हीरो की तरह अपनी छवि बना रहे थे. उधर अमेरिका का समर्थन हासिल होने के बाद भी बतिस्ता कुछ नहीं कर पा रहा था. कुछ दिन बीते फिर बतिस्ता को समझ आ गया कि अब और वह क्यूबा में अपनी तानाशाही नहीं चला पाएगा. 1959 में वह क्यूबा छोड़ कर भाग गया. ये मौका फिदेल के लिए सोने पर सुहागा साबित हुआ और फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा की सत्ता अपने हाथ में संभाल ली.

सत्ता हाथ में आते ही दुनिया ने फिदेल कास्त्रो का एक नया रूप देखा. दरअसल, एक दिन खबर आई की क्यूबा में उन 500 अफसरों को गोली मार दी गई जो बतिस्ता के साथ थे. इसके बाद भी कुछ दिनों तक फिदेल कास्त्रो की सरकार सही चली. लेकिन 1960 आते-आते अमेरिका के साथ फिदेल कास्त्रो के रिश्ते बिगड़ने लगे. दरअसल, फिदेल कास्त्रो रूस के नजदीक होने लगे थे. उन्होंने रूस से अपने कारोबारी रिश्ते मजबूत किए. अमेरिका को ये सब नाखुश कर रहा था और धीरे-धीरे वो अमेरिका के लिए विलन बन गए.

638 बार हुए जानलेवा हमले

साल था 1961, फिदेल कास्त्रो ने अचानक से अमेरिकी दूतावास को कहा कि वह अपने कर्मचारियों की संख्या 60 से घटाकर 18 कर दें. अमेरिका इस बात से बौखला गया और उसने क्यूबा के साथ अपने सारे संबंध खत्म कर दिए. इसके बाद अमेरिका से क्यूबा कि दूरियां इतनी बढ़ीं कि 55 साल तक कोई अमेरिकी राष्ट्रपति क्यूबा नहीं गया.

साल 2015 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा क्यूबा गए तब जा कर दोनों देशों के बीच संबंध थोड़े बेहतर हुए. हालांकि, इस बीच अमेरिका में 11 राष्ट्रपति आए और गए और कहा गया कि इन राष्ट्रपतियों के आने और जाने के बीच फिदेल कास्त्रो पर लगभग 638 बार जानलेवा हमले किए गए. लेकिन हर बार फिदेल कास्त्रो किसी हीरो की तरह मौत को मात देकर बच निकले.

ये भी पढ़ें: सिर्फ पांच मिनट की बातचीत और फोन स्विच्ड ऑफ... मूर्तियां सेलेक्ट होने की खबर के बाद कितनी बदल गई अरुण योगीराज की जिंदगी?

सुष्मित सिन्हा एबीपी न्यूज़ के बिज़नेस डेस्क पर बतौर सीनियर सब एडिटर काम करते हैं. दुनिया भर की आर्थिक हलचल पर नजर रखते हैं. शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच तेजी से बदलते आंकड़ों की बारिकियों को आसान भाषा में डिकोड करने में दिलचस्पी रखते हैं. डिजिटल मीडिया में 5 साल से ज्यादा का अनुभव है. यहां से पहले इंडिया टीवी, टीवी9 भारतवर्ष और टाइम्स नाउ नवभारत में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
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