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नागपुर में है संघ का हेडक्वार्टर, जानें कहां लगी थी RSS की पहली शाखा?

RSS The Sangh: नागपुर में आरएसएस का मुख्यालय स्थित है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि संघ की पहली शाखा कहां और कैसे शुरू हुई थी? चलिए जानें कि इसकी शुरुआत कैसी रही.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के 100 साल पूरे होने जा रहे हैं. आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष में ज्यादा से ज्यादा संवाद करने का लक्ष्य रखा है. आज RSS दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठनों में गिना जाता है. इसकी गतिविधियां गांव-गांव और शहर-शहर तक फैली हुई हैं, लेकिन इसकी नींव लगभग एक सदी पहले नागपुर में रखी गई थी. संघ का हेडक्वार्टर आज भी नागपुर के झंडे चौक स्थित हेडगेवार भवन में है, लेकिन इसकी पहली शाखा कहां और कब लगी, चलिए इसे जानें.

कब हुईआरएसएस की स्थापना?

आरएसएस की स्थापना डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में की थी. हेडगेवार का मानना था कि देश की आजादी और समाज के उत्थान के लिए अनुशासन, राष्ट्रभक्ति और संगठन का भाव जरूरी है. इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने संघ की शुरुआत की थी.

कहां लगी थी पहली शाखा?

संघ की पहली शाखा नागपुर के मोहितेवाड़ा मैदान में लगी थी. इस शाखा में करीब 15 से 20 लोग ही शामिल हुए थे. शाखा का स्वरूप बेहद साधारण था, इसमें स्वयंसेवक निर्धारित समय पर आते, शारीरिक व्यायाम करते, अनुशासन का पालन करते और देशभक्ति के गीतों और विचारों को साझा करते. यही शाखा संघ की सबसे महत्वपूर्ण और स्थायी कार्यपद्धति बन गई थी.

क्यों महत्वपूर्ण है शाखा?

शाखा सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि आरएसएस की आत्मा कही जाती है. यह संगठन का बुनियादी ढांचा है, जहां रोजाना या साप्ताहिक आधार पर स्वयंसेवक मिलते हैं और शारीरिक-मानसिक प्रशिक्षण लेते हैं. हेडगेवार का विश्वास था कि छोटी-छोटी शाखाओं के माध्यम से बड़ा संगठन खड़ा किया जा सकता है. इसी मॉडल ने संघ को आज करोड़ों कार्यकर्ताओं से जोड़ा है.

क्यों चुना गया नागपुर?

नागपुर को संघ की जन्मभूमि मानने के पीछे वजह यह थी कि डॉ. हेडगेवार यहीं रहते थे और यह शहर उस समय सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था. यहां से पूरे भारत में शाखाओं के विस्तार की नींव रखी गई थी. आज भी संघ का हेडक्वार्टर नागपुर में है और विजयादशमी का उत्सव यहीं से पूरे देश में संदेश के रूप में प्रसारित होता है.

कैसी है आज की स्थिति

1925 में सिर्फ एक शाखा से शुरू हुआ यह सफर आज हजारों शाखाओं तक पहुंच गया है. संघ के अनुसार भारत में प्रतिदिन 60,000 से ज्यादा शाखाएं लगती हैं. इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कई देशों में भी शाखाओं का संचालन किया जाता है.

यह भी पढ़ें: विनिंग ट्रॉफी लेने से इनकार कर दे कोई टीम तो वह किसके पास रहेगी, क्या है नियम?

About the author निधि पाल

निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.

अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.

खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.

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