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OBC की 18 जातियों को एससी में क्यों शामिल करना चाहती हैं BJP और समाजवादी पार्टी?

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि किसी जाति को एससी, एसटी या ओबीसी में शामिल करने का अधिकार सिर्फ देश की संसद को है.

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 अगस्त को एक आदेश में ओबीसी की 18 जातियों को अनुसूचित जाति की कैटेगरी में शामिल करने के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट के इस आदेश ने समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों को ही झटका दिया है. दरअसल, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 2016 और योगी सरकार ने 2019 में इन 18 जातियों को ओबीसी से हटाकर एससी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी किया था. अब कोर्ट के आदेश के बाद ये चर्चा होने लगी है कि ओबीसी और एससी समाज के साथ यूपी की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा?       

बता दें कि इसकी शुरुआत यूपी के पू्र्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2005 में की थी. तब 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन उस समय भी कोर्ट ने मुलायम सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. इसी को आगे बढ़ाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (2016) और फिर मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी 2019 में अधिसूचना जारी की. हालांकि अखिलेश सरकार के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनवरी 2017 को इन जातियों को एससी प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी. वहीं योगी सरकार के फैसले पर अब रोक लगाई गई है.

राज्यों को संशोधन करने का अधिकार नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार के इस नोटिफिकेशन के खिलाफ याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि किसी जाति को एससी, एसटी या ओबीसी में शामिल करने का अधिकार सिर्फ देश की संसद को है. वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से ये भी कहा गया कि अनुसूचित जातियों की सूची भारत के राष्ट्रपति द्वारा तैयार की गई थी. इसमें किसी तरह के बदलाव का अधिकार सिर्फ देश की संसद को है. राज्यों को इसमें किसी तरह का संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है.

समाजवादी पार्टी का बीजेपी पर हमला
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर बीजेपी पर हमला बोलते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा कि 18 अति पिछड़े समुदायों को आरक्षण बीजेपी सरकार की निष्क्रिय कार्रवाई की वजह से निरस्त किया गया. पार्टी ने कहा, "सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 18 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का अपना वादा पूरा किया था जिसे बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा खारिज किया गया."

अखिलेश सरकार ने डीएम को दे दिया था आदेश
गौरतलब है कि तत्कालीन अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में 22 दिसंबर 2016 को नोटिफिकेशन जारी कर 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. वहीं अखिलेश सरकार की तरफ से सभी जिले के कलेक्टरों को आदेश भी जारी कर दिया गया था कि इन जातियों के सभी लोगों को ओबीसी की बजाय एससी का सर्टिफिकेट दिया जाए. बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 24 जनवरी 2017 को इस नोटिफिकेशन पर रोक लगाई.


OBC की 18 जातियों को एससी में क्यों शामिल करना चाहती हैं BJP और समाजवादी पार्टी?

सपा-बीजेपी की राय एक समान
वहीं अखिलेश सरकार के ही आदेश को दोहराते हुए 24 जून 2019 को योगी सरकार ने एक बार फिर से नया नोटिफिकेशन जारी कर इन 18 जातियों को ओबीसी से हटाकर एससी कैटेगिरी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी किया था. यानी कि समाजवादी पार्टी और बीजेपी सरकार दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि 18 जातियों को ओबीसी से हटाकर एससी में शामिल कर लिया जाए. अब इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं कि आखिर दोनों ही धुर विरोधी पार्टियां एक मुद्दे पर सहमत क्यों हैं.   

पार्टियों में हो रही जोर-आजमाइश
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक पार्टियां जाति कार्ड खेलती हैं. पार्टियों की ज्यादा से ज्यादा जातियों को अपने पाले में करके वोट हासिल करना लक्ष्य होता है, जिससे कि जातियों को वोटबैंक में कनवर्ट किया जा सके. इन 18 ओबीसी जातियों को एससी केटेगरी में शामिल करना भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि जो पार्टी 18 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करवाएगी वो इनको अपने पाले में लाने में सफल होगी. 
  
राज्य सरकार फैसले को चुनौती देगी?
यूपी में पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी में आने वाली जातियों में निषाद, मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी और मछुआ को अनुसूचित जाति में लाने की कोशिश हुई. इन जातियों में यूपी के 2 चर्चित नेता डॉ संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर गाहे बगाहे लोगों से ओबीसी से एससी में ले जाने की बात कहते सुनाई देते थे. हालांकि अब हाई कोर्ट के फैसले के बाद सवाल ये है कि क्या हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार चुनौती देगी या फिर केंद्र को प्रस्ताव भेजकर संवैधानिक तरीके से इस मामले को हल करने की कोशिश की जाएगी. 


OBC की 18 जातियों को एससी में क्यों शामिल करना चाहती हैं BJP और समाजवादी पार्टी?

ओपी राजभर का सपा पर हमला
जातियों के इस विवाद पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले बिना प्रक्रिया का पालन किये नोटिफिकेशन जारी कर दिया. नियम कहता है कि राज्य सरकार का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाता है. इसके बाद केंद्र सरकार पहले लोकसभा में और फिर राज्यसभा में बिल पारित कराकर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को भेजती है. इसके बाद रजिस्ट्रार जनरल के यहां जाति की स्थिति में बदलाव को लिस्ट करके संसद को सूचित किया जाता है. 

ओम प्रकाश राजभर ने कहा, फिर संसद से स्वीकृति राज्य को भेजकर बताया जाता कि कि प्रस्ताव में भेजी गई जातियों की लिस्ट की स्थिति में बदलाव मंजूर हो गया है. लेकिन जब समाजवादी पार्टी ने लिस्ट बनाकर नोटिफिकेशन जारी किया तब नियम का पालन नहीं किया गया. राजभर ने कहा कि नेता धोखा देने वाले दोमुंहा सांप होते हैं. इसलिए 26 सितंबर से सुभासपा की साविंधान यात्रा में जनता को इस बाबत बताया जाएगा कि नेता ओबीसी को अनुसूचित में शामिल करने के मामले में धोखा देने का काम कर रहे हैं. 


OBC की 18 जातियों को एससी में क्यों शामिल करना चाहती हैं BJP और समाजवादी पार्टी?

केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे 
यूपी सरकार के मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने कहा कि ये झटका बीजेपी को नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी को लगा है, क्योंकि 2016 में सपा की सरकार ने सबसे पहले नोटिफिकेशन जारी किया था. उन्होंने कहा कि ये मामला कोर्ट में लंबित होने की वजह से अबतक कोई कदम नहीं उठाया जा सका था. लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद मझवार समेत निषादों की सभी उपजातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर केंद्र सरकार से आग्रह कर कार्रवाई करने को कहेंगे. 

पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह से मुलाकात करेंगे
डॉ संजय निषाद का कहना है कि समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने निषादों, राजभर और प्रजापति को धोखा देने का काम किया है. अब नए सिरे से इस मामले को अंजाम तक ले जाने के लिए डॉ संजय निषाद ने दावा किया कि वो पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जल्द मुलाकात करेंगे. 

नेता सबसे अच्छे अभिनेता होते हैं... 
यूपी की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा ने कहा कि ओबीसी की कुछ जातियों को एससी में लाने का मामला सिर्फ राजनैतिक है. उन्होंने कहा कि ये होना बहुत मुश्किल है, इसके बावजूफ मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ ने नोटिगिकेशन जारी कर दिया. ये कोशिश 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में से कुछ जातियों को हटाकर बाकी जातियों के लिए स्पेस क्रिएट करने का था. अनुसूचित जाति के लोग और खासतौर पर मायावती ये नहीं चाहती थीं. चुनाव आने पर ये मामला उछाला जरूर जाता है, लेकिन चाहे ओम प्रकाश राजभर हों या फिर डॉ संजय निषाद, इनके कहने पर कोई इस काम को करने वाला नहीं है. 

योगेश मिश्रा ने ओपी राजभर के नेताओं को दो मुंहा सांप वाले बयान पर कहा कि नेता दरअसल सबसे अच्छे अभिनेता होते हैं जो अपनी स्क्रिप्ट पर खुद अभिनय करके लोगों को अपनी बात पर विश्वास करने पर मजबूर कर देते हैं.

(इनपुट : रणवीर)

 

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