60 साल का हुआ दूरदर्शन, यादों के झरोखे से झांकते ये टीवी सीरियल क्या आपको याद हैं?
हम उस दौर में जी रहे हैं जिस दौर में टीवी पर स्पेशल इफेक्ट्स के बगैर एक सीन का पूरा होना नामुमकिन हो गया है, इस दौर में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की बाढ़ सी आ गई है, मगर भारतीय टीवी के इतिहास ने सादगी का वो दौर भी दिखाया है जिसे देखने के बाद दर्शक उन सादगी भरे अहसासों के सुकून में खो जाते हैं.
'करमचंद' की ऐंठन, 'किट्टी' की हंसी, 'मालगुडी डेज' की दोपहरें, 'बुनियाद' की तकलीफें, 'फटीचर' के सपने और 'वागले' की दुनिया. ये सभी दूरदर्शन की तरफ से दिखाई गई कहानियों और किरदारों के अलग अलग पहलू हैं जो हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी. हम उस दौर में जी रहे हैं जिस दौर में टीवी पर स्पेशल इफेक्ट्स के बगैर एक सीन का पूरा होना नामुमकिन हो गया है, इस दौर में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की बाढ़ सी आ गई है, मगर भारतीय टीवी के इतिहास ने सादगी का वो दौर भी दिखाया है जिसे देखने के बाद दर्शक उन सादगी भरे अहसासों के सुकून में खो जाते हैं. आज दूरदर्शन पूरे 60 साल का हो गया है, मगर इस 60 सालों के सफर में यादों के झरोखे से झांकते ये टीवी सीरियल क्या आपको याद हैं?
उस दौर के टीवी सीरियल का यहां जिक्र किया गया है जिसके लिए लोगों की बेताबी सर चढ़ कर बोलती थी, जिस उत्सुक्ता से लोग बस स्टॉप पर अपनी बस का इंतजार करते थे ठीक वैसी ही उत्सुकता उस दौर में टीवी सीरियल को लेकर होती थी.
हमलोग- आपको अशोक कुमार की उस बेहतरीन आवाज में हिंदी के दोहे याद हैं? यदि हां, तो आप निश्चित तौर पर देश के पहले सोप ऑपेरा 'हम लोग' को जरूर मिस कर रहे होंगे. ये शो दूरदर्शन पर ऑन एयर होते ही बेहद लोकप्रिय हो गया था. शो की कहानी 1980 के दशक के मिडिल क्लास फैमिली की कहानी के आरी-किनारी घूमती है जिसमें रोजाना के संघर्ष और जरूरी चीजें पाने की चाह को दिखाया गया है जो उस वक्त के समाज के दिलों में बसी चाह और एक महत्वाकांक्षी भारत की छवि को साफ करती है.
इसी महत्वाकांक्षी नजरिए के बदौलत ये देश आज विकास और आत्मनिर्भरता की ओर रवां दवां है. शो में दिखाए गए किरदार सीरियल के टायटल 'हमलोग' के साथ बेहतर न्याय करते हैं. चूंकि टीवी पर दिखाए जाने वाला ये पहला डेली सोप था जिससे कई लोगों की यादें जुड़ी हैं. 'हमलोग' को वापस से टीवी पर देखकर लोग अपने उस मीठे माज़ी को जरूर याद करना चाहेंगे.
बुनियाद- भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बीच 'मास्टर हवेली राम' और 'लाजो जी' जैसे किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती सीरियल 'बुनियाद' की कहानी विश्व के सबसे बड़े पलायन से होने वाली तकलीफों को बयान करती है. बंटवारे पर बने सीरियल 'बुनियाद' की कहानी दूरदर्शन पर साल 1986 में पहली बार दिखाई गई थी. इस सीरियल को बनाने में रमेश शिप्पी जैसे निर्माताओं का हाथ था जो बॉलीवुड में 'शोले' जैसी शानदार फिल्म भेंट कर चुके थे. 'मास्टर हवेली राम', 'लाजो जी' और बंटवारे की तकलीफ के आरी-किनारी घूमती 'बुनियाद' की कहानी 80 और 90 के दशक में दूरदर्शन के दर्शकों के दिलों में एक खूबसूरत याद की तरह ताजा है. इस सीरियल को भी लोग वापस टीवी पर देख कर पुरानी यादों में जरूर खो जाना चाहेंगे.
मालगुडी डेज- हम इस लिस्ट में 'मालगुडी डेज' को कैसे भूल सकते हैं. टीवी की स्क्रीन पर चमकती मालगुडी शहर की दोपहरी के दृश्य हर उस शख्स के जेहेन में ताजा हैं जिसने 80 और 90 के दशक में टीवी को जिया है. इस टीवी शो में दो दिग्गजों की जुगलबंदी देखने को मिली थी. जिसमें 'मालगु़डी डेज' के लेखक आर के नारायन की दिलों को छू जाने वाली आसान सी कहानियां और उनके भाई आर के लक्ष्मण की चित्रकारी साथ नजर आई थी. 'मालगुडी डेज' शो की मशहूर धुन आज भी कई लोगों के मोबाइल फोन की रिंगटोन बनी हुई है. ये उस वक्त की टीवी की दुनिया की सादगी और आसान किस्सागोई का नतीजा ही था जिसकी वजह से लोगों ने 'मालगुडी डेज' को बेहद पसंद किया. इस शो से भी लोगों की बहुत सारी यादें जुड़ी हैं, टीवी के स्क्रीन पर इस शो को वापस से देख कर लोगों को खुशी का अहसास जरूर होगा.
करमचंद- लगभग 30 साल पहले शो 'करमचंद' ने देश में टीवी की सही पसंद को उसी समय आंक लिया था. 'करमचंद' किरदार में गाजर खाने के अंदाज के साथ जासूस होने की एक अनोखी ऐंठन थी जिसे आज भी याद किया जाता है. उस दौरान 31 साल के पंकज कपूर एक चतुर जासूस की मुख्य भूमिका में थे, सुष्मिता मुखर्जी इस सीरियल में उनकी सेक्रेटरी 'किट्टी' के किरदार में थीं. दोनों के बीच किए गए संवादों में हंसी और मजाक को लोग बेहद पसंद किया करते थे. गहरे रंग का चश्मा उन दिनों 'करमचंद' के नाम से ही बेचा जाने लगा था. साल 1985 में दिखाया गए शो 'करमचंद' ने टीवी पर जासूसी सीरियल की बुनियाद रखी थी जिससे दर्शक वापस से जुड़ना जरूर पसंद करेंगे.
वागले की दुनिया- मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्षमण की कार्टून सीरीज पर आधारित सीरियल 'वागले की दुनिया' साल 1988 से 1990 तक दूरदर्शन पर चला. 'श्रीनिवास वागले' की कहानी से जोड़ कर ये शो एक मिडिल क्लास आदमी के रोजाना की जद्दोजहद की कहानी को बयान करता था. 'श्रीनिवास वागले' का किरदार जिसे अर्जुन श्रीवास्तव ने बेहद ही खूबसूरती के साथ निभाया था. इस शो की कहानी भी रोजना की जिंदगी से रू-ब-रू होने वाले हर आम इंसान की असल कहानी से मिलती जुलती थी. जिससे लोग जुड़ना और वापस से टीवी के स्क्रीन पर देखना पसंद करेंगे.