नहीं रहे मशहूर संगीतकार मोहम्मद ज़हूर खय्याम, 92 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
डॉक्टर ने उन्हें फेफड़ों में गहरे संक्रमण से ग्रस्त बताया था. तब से ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर की देखरेख में उन्हें आईसीयू में रखा गया था. आज रात करीब साढ़े नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

मुंबई: खय्याम के नाम से मशहूर दिग्गज संगीतकार मोहम्मद ज़हूर खय्याम का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. सीने में संक्रमण और न्यूमोनिया की शिकायत के बाद उन्हें पिछले महीने 28 जुलाई को मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही थी. डॉक्टरों के मुताबिक आज इलाज के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे रात करीब साढ़े नौ बजे उनका निधन हो गया.
पिछले दिनों खय्याम के बेहद करीबी माने जाने वाले गजल गायक तलत अजीज ने एबीपी न्यूज से उनके बीमार होने की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि 28 जुलाई को अचानक से वो अपने घर में गिर पड़े थे और फिर फौरन उन्हें सुजय अस्पताल ले जाया गया था. डॉक्टर ने उन्हें फेफड़ों में गहरे संक्रमण से ग्रस्त बताया था. तब से ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर की देखरेख में उन्हें आईसीयू में रखा गया था.
खय्याम का इलाज कर रहे डॉक्टर अभिषेक भार्गव ने दो दिन पहले एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया था कि खय्याम साहब को फिलहाल नॉन इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखा गया और रक्तचाप में अचानक से आई कमी के चलते उन्हें रक्तचाप को बढ़ाने वाली दवाइयां भी दी जा रहीं हैं.
डॉक्टर भार्गव ने कहा था पहले की तरह ही खय्याम साहब की हालत नाजुक मगर स्थिर बनी हुई है और फिलहाल ये बताना मुश्किल है कि खय्याम साहब पूरी तरह से ठीक हो पाएंगे या नहीं. डॉक्टर ने कहा कि फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. डॉक्टर की इसी नाउम्मीदी के बीच खय्याम साहब ने करीब 23 दिनों तक अस्पताल में ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ने के बाद आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
1953 में की थी करियर की शुरुआत आपको बता दें कि पंजाब के राहों गांव में पैदा होने वाले खय्याम ने संगीतकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत 1953 में की थी. उसी साल आई उनकी फिल्म 'फिर सुबह होगी' से उन्हें बतौर संगीतकार पहचान मिली. गौरतलब है कि खय्याम को हमेशा से ही एक चूजी किस्म का संगीतकार माना जाता रहा है. चार दशक के करियर में उनकी पहचान बेहद कम मगर उम्दा किस्म का संगीत देने वाले संगीतकार के रूप में बनी.
2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड तो, वहीं 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया. 'फिर सुबह होगी' के अलावा जिन फिल्मों में उनके संगीत की काफी चर्चा हुई, उनमें कभी कभी, उमराव जान, थोड़ी सी बेवफाई, बाजार, नूरी, दर्द, रजिया सुल्तान, पर्वत के उस पार, त्रिशूल जैसी फिल्मों का शुमार है.
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