'जब भी मुंबई आता हूं, डर लगता है...', जानें डायरेक्टर हंसल मेहता ने कोलंबो से लौटकर ऐसा क्यों कहा
Hansal Mehta on India Situation: हंसल मेहता ने देश के आर्थिक हालातों से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक, सबको लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. उन्होंने अपना डर भी साझा किया है.

फिल्मकार हंसल मेहता शूटिंग के लिए कोलंबो गए थे. अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने पाया कि भले ही वहां की अर्थव्यवस्था डगमगाई हो, राजनीतिक उठापटक चल रही हो, लेकिन श्रीलंका की यह सिटी साफ, अधिक व्यवस्थित और गरिमापूर्ण लगती है.
हंसल मेहता ने सोशल मीडिया पर व्यक्त की भावनाएं
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी भावनाएं व्यक्त की. उन्होंने लिखा, “जब भी मैं मुंबई आता हूं, मैं भयभीत हो जाता हूं, न सिर्फ गंदगी और अराजकता से बल्कि, इसके टूटे हुए इंफ्रास्ट्रक्चर से, इसकी सामूहिक उदासीनता से. हम इसे बढ़ती जनसंख्या को लेकर नजरअंदाज कर देते हैं. सच है, लेकिन हमारे यहां ऐसी जनसंख्या है, जिन्हें बताया जाता है कि वो बहुत कम ही अपेक्षा रखें, किसी चीज की मांग न करें और जो गवारा नहीं, उसे सामान्य मान लें.”
उन्होंने लिखा, “यहां ऊंची-ऊंची इमारतें हैं, जिनकी कीमत सिटी से भी अधिक है. शहर में देखने को तो बस कूड़े से अटी सड़कें, खुली नालियां और डिजाइनर ब्रांडिंग में लिपटी नागरिक उदासीनता है. उपभोक्तावाद से ग्रस्त एक शहर, जो अंदर से खोखला है. हम कैसे इस तरह जीएंगे. थके हुए, उदासीन, हार मान चुके, अराजकता को गौरव मानकर.”
Just returned from a long shoot in Colombo. A country grappling with economic crisis and fairly recent political turmoil, and yet its capital is cleaner, more organised, and more dignified than the so-called financial capital of a rising superpower.
— Hansal Mehta (@mehtahansal) August 3, 2025
Every time I come back to…
'जिनके पास पावर है....'
उन्होंने आगे लिखा, “इसने मुझे सब कुछ दिया है, बस जिनके पास पावर है, यह उनके हाथों उलझी हुई है, जो इसे कभी सांस नहीं लेने देते. वो इसकी सड़न से फायदा उठाते हैं और इसे लचीलेपन का जामा पहनाते हैं.”
हंसल मेहता सोशल मीडिया पर एक विदेशी महिला की पोस्ट पर रिएक्ट कर रहे थे, जो गुरुग्राम में रहती हैं. महिला ने पोस्ट में लिखा था, “मेरे बहुत से विदेशी दोस्त यहां फिर से नहीं आना चाहते.”
महिला ने यह भी कहा कि इतने पॉश इलाके में रहने के बावजूद ऐसा लगता है कि हम पोस्ट वॉर जोन या फिर विकासशील देश में रह रहे हैं.
Source: IOCL




















