ना ना करते हुए हिंदी सिनेमा का हिस्सा बन बैठे Pran, 50 रुपये से पहुंच गए लाखों पर
बात है 1939 की, लाहौर में एक पान की दुकान पर लगभग हर रात कुछ लड़के पान खाने के लिए आया करते थे. उन लड़कों में एक थे प्राण, जो एक फोटोग्राफर के असिस्टेंट हुआ करते थे......
बात है 1939 की, लाहौर में एक पान की दुकान पर लगभग हर रात कुछ लड़के पान खाने के लिए आया करते थे. उन लड़कों में एक थे प्राण, जो एक फोटोग्राफर के असिस्टेंट हुआ करते थे. उस रात भी प्राण वहां पहुंचे और बड़े स्टाइल से बैठे हुए सिगरेट पी रहे थे और पान भी खा रहे थे. प्राण को देखकर वहां खड़े एक आदमी ने उनका नाम पूछा तो प्राण ने ध्यान नहीं दिया.
उस आदमी ने फिर पूछा, इस बार प्राण ने कहा, 'आपको मेरे नाम से क्या करना है?' उस आदमी ने कहा मैं वली मोहम्मद हूं, मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर दलसुख एम. पंचोली का राइटर. मैं उनके लिए एक फिल्म की कहानी लिख रहा हूं, जिसका नाम है 'यमला जट'. उसका किरदार तुम्हारी तरह ही बात करता है, पान चबाता है, क्या तुम ये किरदार करोगे?'
सिनेमा हॉल में हुई मुलाकात
प्राण ने उस आदमी को सीरियसली नहीं लिया और मना कर दिया. मोहम्मद वली ने उन्हें अगले दिन स्टूडियों आने के लिए कहा. सुबह हुई तो प्राण ने सोचा, रात को वो आदमी पान की दुकान पर लोगों के सामने अपना इंप्रेशन जमाने की कोशिश कर रहा होगा, कौन जाए स्टूडियो. ये सोचकर प्राण स्टूडियो गए ही नहीं. कई दिन बीत गए, प्राण एक दिन फिल्म देखने सिनेमा हॉल गए. वहां फिर उनकी मुलाकात वली मोहम्मद से हुई.
वली ने प्राण को देखते ही उन्हें डांटना शुरू कर दिया और कहने लगे, 'मैं पंचोली साहब के साथ स्टूडियो में तुम्हारा इंतजार करता रहा, तुम आए नहीं. मेरा नाम खराब कर दिया, तुम्हें शर्म नहीं आई.' डांट सुनकर प्राण ने कहा कि मैं स्टूडियो आने के लिए तैयार हूं. प्राण की बात सुनकर वली ने कहा, 'मुझे अपना पता दो, मैं साथ लेकर चलूंगा तुम्हें, क्योंकि मुझे तुम पर भरोसा नहीं है.'
अगले दिन प्राण स्टूडियो पहुंचे तो पंचोली साहब ने उन्हें साइन करना चाहा. प्राण ने कहा, 'मेरे परिवार में किसी ने भी फिल्मों में काम नहीं किया है. कम से कम मुझे अपने परिवार से तो पूछने दीजिए.' ये सुनकर पंचोली साहब भड़क गए और कहने लगे, 'अगर कॉन्ट्रेक्ट साइन करना है तो अभी करों नहीं तो चले जाओ.' प्राण ने वली साहब से डरते हुए पूछा कि पैसे कितने मिलेंगे तो उन्होंने बताया कि 50 रुपये महीना.
ये सुनकर प्राण ने कहा कि मुझे तो दुकान पर 200 रुपये मिलते हैं. प्राण की बात सुनकर पंचोली ने गुस्से से कहा, 'फिर तुम सारी उम्र दुकानदारी ही करते रहो, आज तुम थोड़े से पैसों के लिए अपनी किस्मत को ठुकरा रहे हो, क्या पता आज तुम्हें 50 रुपये मिल रहे हैं, आगे चल कर हजारों मिलने लगे.' ये सुनकर प्राण ने कॉन्ट्रेक्ट साइन कर लिया. पंचोली साहब की बात आगे चलकर सही साबित हुई और 50 रुपये से अपना करियर शुरू करने वाले प्राण लाखों में फीस लेने लगे.
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