लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग का फरमान, उम्मीदवारों को अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का देना होगा विज्ञापन
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ सख्त प्रावधान किए हैं. चुनाव आयोग ने सभी उम्मीदवारों को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलो को सार्वजनिक करने का आदेश भी दिया है.

नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव अभियान में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनजर कुछ सख्त प्रावधान किए हैं. चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रसार एवं छद्म प्रचार को रोकने के लिये कड़े कदम उठाए हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी आयोग को देनी होगी.
चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये आयोग ने लोकसभा चुनाव में पहली बार यह पहल की है. इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह व्यवस्था की गयी थी. अरोड़ा ने बताया कि स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने 17वीं लोकसभा के चुनाव में इस तरह के तमाम कारगर एवं सख्त उपाय किए हैं.
उम्मीदवारों को अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को करना होगा सार्वजनिक
चुनाव आयोग प्रावधानों के तहत उम्मीदवारों को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी प्रचार अभियान के दौरान कम से कम तीन बार ऑडियो वीडियो माध्यम से सार्वजनिक करनी होगी. इसके अलावा आयोग ने उम्मीदवारों के द्वारा पेश किए जाने वाले हलफनामे के प्रारूप में भी जरूरी बदलाव किए हैं.
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मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि मुख्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर और गूगल से भी फर्जी सूचनाओं, अपुष्ट जानकारियों और छद्म प्रचार अभियान रोकने में मदद की आयोग ने पहल की है. वहीं, मीडिया में पेड न्यूज एवं फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिये राज्य एवं जिला स्तर पर मीडिया निगरानी समितियों की भी मदद ली जाएगी.
मोबाइल एप 'सी-विजल' की मदद से दर्ज करा सकते हैं शिकायत
सुनील अरोड़ा ने बताया कि चुनाव की शुचिता बरकरार रखने में जनता की भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल एप 'सी-विजल' का इस्तेमाल किया जायेगा. इसके जरिए कोई भी नागरिक निर्वाचन नियमों के उल्लंघन की शिकायत कर सकेगा. इस पर संबद्ध प्राधिकारी को 100 मिनट के भीतर कार्रवाई करना जरूरी है. इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस एप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया था.
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अरोड़ा ने चुनाव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की जानकारी देते हुए बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों में पर्याप्त सुरक्षा बलों और सीसीटीवी कैमरों की मदद से लगातार निगरानी की जाएगी. इसके अलावा संवेदनशील इलाकों में वेबकास्टिंग तथा स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की मदद ली जाएगी. उन्होंने कहा कि आयोग के मतदाता हेल्पलाइन नंबर 1950 के माध्यम से भी मतदाता चुनाव प्रक्रिया संबंधी शिकायत एवं सुझावों से आयोग को अवगत करा सकेंगे.
पासपोर्ट और आधार कार्ड सहित 11 अन्य पहचान दस्तावेजों को दी गई है मान्यता
अरोड़ा ने बताया कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता सहायता केन्द्र होगा. इसके माध्यम से मतदताओं को मतदान संबंधी हर प्रकार की मदद मुहैया करायी जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाताओं की पहचान की पुष्टि के लिए फोटोयुक्त मतदाता पर्ची मान्य नहीं होगी. इसके लिए मतदाताओं को पासपोर्ट और आधार कार्ड सहित 11 अन्य पहचान दस्तावेजों को मान्यता दी गयी है.
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