इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला! हार का बदला लेने की तैयारी में SP तो जीत का परचम फिर लहराना चाहेगी BJP
Lok Sabha Election: समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाली कन्नौज सीट पर बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराया था. वहीं, इस बार भी इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है.

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए कुछ ही दिनों का समय बचा है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. इस बार का उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है. यह सीट फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास है. यह सीट समाजवादी पार्टी (SP) का गढ़ मानी जाती थी. हालांकि, 2019 के चुनाव में बीजेपी नेता सुब्रत पाठक ने यहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराया था.
इस सीट पर 1998 से 2014 तक समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. 2014 में डिंपल यादव ने बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक को मात दी थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हरा दिया. ऐसे में एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है.
फिर से कन्नौज में जीत हासिल करने में जुटी बीजेपी
कन्नौज सीट पर पहले समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उसके बाद अखिलेश यादव और फिर उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद रहीं. इसके बाद 2019 में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई. पिछले लोकसभा चुनाव में सीट पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी एक बार फिर से कन्नौज में जीत हासिल करने में जुटी हुई है.
2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम
2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 11 लाख 40 हजार 985 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. चुनाव में सुब्रत पाठक को 5 लाख 63 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. वहीं, डिंपल यादव को 5 लाख 50 से हजार के करीब मत मिले थे. इसके अलावा से 8165 वोट नोटा के खाते में भी पड़े थे. इससे पहले 2014 में डिंपल यादव ने महज 19 हजार 907 वोटों के अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी.
आसान नहीं होगी अखिलेश की राह
कन्नौज सीट पर मुस्लिम, दलित और यादवों का दबदबा है. यहां लगभग तीन लाख मुसलमान रहते हैं. वहीं, दलितों और यादवों की आबादी भी यहां काफी ज्यादा है. 2019 के चुनाव में बीजेपी को यहां दलितों और यादवों को वोट ज्यादा मिला था. वहीं, यूपी निकाय चुनावों में भी यहां बीजेपी का पलड़ा भारी रहा था. ऐसे में माना जा रहा है कि अखिलेश यादव के जीत की राह आसान नहीं होगी.
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