RBI on Inflation: महंगाई से राहत तो मिली लेकिन अभी खतरा नहीं टला- आरबीआई
RBI on Inflation: आरबीआई ने बताया कि भले ही महंगाई दर में कमी आई हो. मगर, अभी भी यह हमारे लक्ष्य 4 फीसदी से ज्यादा है. हालांकि, दुनियाभर में बने हालातों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है.
RBI on Inflation: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि देश को महंगाई के मोर्चे पर राहत जरूर मिली है. लेकिन अभी खतरा नहीं टला है. हमें लंबा सफर तय करना है. अभी मुश्किलों का दौर टला नहीं है. दुनियाभर में बने हालातों के चलते कीमतों पर संकट बना हुआ है. हालांकि, त्योहारों के दौरान मांग बढ़ने से अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर बेहतर रहने की पूरी उम्मीद है. आरबीआई ने अपने नवंबर बुलेटिन में बताया कि सितंबर में रिटेल महंगाई करीब 5 फीसद और अक्टूबर में 4.87 फीसद रही.
7.1 फीसदी पर पहुंच गई थी महंगाई
बुलेटिन के ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ लेख में आरबीआई ने बताया कि भले ही महंगाई दर (Inflation Rate) में कमी आई हो. मगर, अभी भी यह हमारे लक्ष्य 4 फीसदी से ज्यादा है 2022-23 में महंगाई दर 6.7 और जुलाई-अगस्त 2023 में 7.1 फीसदी तक पहुंच गई थी. केंद्रीय बैंक आरबीआई को पूरी उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 5 फीसदी के आसपास रहेगी.
अनाज, दाल की कीमतों में हुआ इजाफा
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, अनाज और दाल कीमतों में इजाफा हुआ है. जबकि खाद्य तेल की कीमतों में नरमी आई है. भारत की तरक्की में घरेलू मांग का बड़ा हाथ है. यही वजह है कि बाहर से आ रही चुनौतियां हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पा रही हैं. निर्यात में कमी के बावजूद अर्थव्यवस्था और महंगाई के मोर्चे पर कोई नुकसान देने वाला प्रभाव नहीं दिख रहा. हालांकि, दुनियाभर में मंदी के चलते मांग घटने से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है. साथ ही महंगाई में भी तेजी आ सकती है. आरबीआई ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के ध्यान, खर्चों में बढ़ोतरी, डिजिटलाईजेशन और लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा मिलने से स्थिति में सुधार आया है. देश का चालू खाता घाटा और विदेशी मुद्रा भंडार बेहतर स्थिति में है. रुपये की कीमतों में आई स्थिरता से भी सकारात्मक फर्क पड़ा है.
7.1 फीसदी तक रह सकती है भारत की जीडीपी
भारत इस समय दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भी हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा था 2023 से 2026 तक देश की जीडीपी में सालाना 6 से 7.1 फीसद की वृद्धि होगी. साथ ही दुनिया के हालातों का भारतीय जीडीपी पर कम असर पड़ेगा.
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