2018-19 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.5% रहने का अनुमान: मूडीज
वित्त वर्ष 2018-19 के लिये अपने वैश्विक वृहत परिदृश्य में मूडीज ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से एनर्जी के दाम में बढ़त से ग्रॉस करेंसी अस्थायी रूप से बढ़ेगी लेकिन भारत की विकास की कहानी मजबूत बनी हुई है.

नई दिल्ली: भारत की आर्थिक विकास दर 2018 और 2019 में 7.5 फीसदी रह सकती है. तेल की ऊंची कीमत जरूर चुनौती है लकिन भारत ऐसे बाहरी दबाव से पार पाने में काफी हद तक सक्षम है. मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने आज यह कहा जिससे भारत के आर्थिक परिदृश्य को लेकर उम्मीदें और पुख्ता हो गई हैं.
वित्त वर्ष 2018-19 के लिये अपने वैश्विक वृहत परिदृश्य में मूडीज ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से एनर्जी के दाम में बढ़त से ग्रॉस करेंसी अस्थायी रूप से बढ़ेगी लेकिन भारत की विकास की कहानी मजबूत बनी हुई है. इसका कारण मजबूत शहरी और ग्रामीण मांग है और इंडस्ट्रियल गतिविधियों में सुधार है.
मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘जी-20 की कई अर्थव्यवस्थाओं में विकास की संभावना मजबूत बनी हुई है लेकिन इस बात के संकेत हैं कि 2018 में विकास की प्रवृत्ति अलग-अलग रह सकती है. ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिये अल्पकाल में वैश्विक परिदृश्य मजबूत बना हुआ है. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद, नकदी की कड़ी स्थिति और तेल के ऊंचे दाम के कारण कुछ विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति थोड़ी कमजोर है.’
मूडीज ने 2018 के लिये जी-20 देशों की विकास दर 3.3 फीसदी और 2019 में 3.1 फीसदी रहने का अनुमान है. विकसित अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर 2018 में 2.3 फीसदी और 2019 में 2 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं जी-20 में शामिल उभरते बाजार 2018 और 2019 में 5.1 फीसदी विकास के साथ आर्थिक विकास का नेतृत्व करेंगे. उसने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2018 और 2019 दोनों वर्ष में 7.5 फीसदी रहेगी.’
उल्लेखनीय है कि मूडीज ने मई में 2018 के लिये भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को कम कर 7.3 फीसदी कर दिया था जबकि पहले इसके 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. भारत की आर्थिक विकास दर वर्ष 2018 की पहली तिमाही में 7.7 फीसदी रही है.
मूडीज के मुताबिक इंडस्ट्रियल सेक्टर में मजबूत गतिविधियां देखी गयी. इसके साथ सामान्य मानसून और खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में विकास से ग्रामीण मांग में विकास होनी चाहिए. ‘तेल की ऊंची कीमत जैसे बाहरी चुनौतियों और वित्तीय मामले में कड़ी स्थिति के बावजूद वित्त वर्ष की शेष अवधि में विकास संभावना अर्थ्रव्यवस्था की क्षमता के अनुरूप रहेगी.’
Source: IOCL























