(Source: ECI / CVoter)
Layoffs 2023: छंटनी के साथ कर्मचारियों के लिए बढ़ी एक और समस्या, जानिए अब क्या हो रही है परेशानी
Layoffs 2023: कई बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों को नौकरी से बाहर निकालने का दौर चल रहा है, साथ ही उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. जानिए अब उनके सामने एक नई दिक्कत क्या खड़ी हो गई.
Layoff Employees Health Insurance: देश और दुनिया में कई कंपनियों ने हजारों कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया गया है, साथ ही उन कर्मचारियों के लिए एक और बड़ी परेशानी सामने आ रही है. इन कर्मचारियों को पर्सनल हेल्थ कवरेज प्लान (Personal Health Coverage Plan), जो की कंपनी की तरफ से मिलता था, अब उसे भी क्लोज कर दिया जा रहा है. नौकरी जाने के बाद ऐसे समय में कर्मचारियों के लिए पर्सनल हेल्थ कवरेज प्लान पहले से भी ज्यादा अहम हो रहा है. जानिए क्या है यह मामला...
कई कंपनियों में चल रही छंटनी
गूगल (Google), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), अमेजन (Amazon), शेयरचैट (ShareChat) और स्विगी (Swiggy) सहित कई बड़ी कंपनियों में छंटनी चल रही है. कंपनियों ने अपने ऑफिस से हजारों लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया है.
छिन गया हेल्थ इंश्योरेंस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस छंटनी में निकाले गए कर्मचारियों की नौकरी तो गई, साथ ही एम्पलॉयर से मिलने वाला हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) भी छिन गया है. इन हालात में नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों के लिए पर्सनल हेल्थ कवरेज पहले से ज्यादा अहम हो गया है.
ये है स्वास्थ्य बीमा कवर
इससे पहले व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से लोगों को किसी गंभीर बीमारी या चोट की स्थिति में फाइनेंशियल सिक्योरिटी मिल जाती है. व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है. व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस कवर के बिना किसी भी मेडिकल खर्चे का बोझ इन्हें खुद ही उठाना पड़ता है.
कर्मचारियों को मंहगाई की चिंता
कई टेक कंपनियां मेटा (Meta), अमेजन (Amazon), गूगल (Google), आईबीएम (IBM) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) की ओर से घोषित छंटनी के बाद कर्मचारियों में चिंता है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 4 में से 3 लोगों को बढ़ती मंहगाई को लेकर चिंता है. एक रिपोर्ट्स के अनुसार, 4 में से 3 भारतीयों को नौकरी जाने का डर लग रहा है. इसमें समृद्ध वर्ग (Rich Class) में (32 प्रतिशत), 36-55 वर्ष के आयुवर्ग में (30 प्रतिशत) और वेतनभोगी वर्ग (30 प्रतिशत) में काफी अधिक चिंता है.
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