Budget 2024: सात सालों का सबसे कम टारगेट, फिर भी मीलों पीछे रही सरकार, अब विनिवेश पर बजट में आ सकता है ये प्लान!
Public Sector Divestment: विनिवेश के मोर्चे पर सरकार के लिए चालू वित्त वर्ष कुछ खास नहीं रहा है. अब बजट में विनिवेश के मोर्चे पर सरकार की आगे की योजना के बारे में पता चल सकता है...
पिछले कुछ सालों से सरकार को विनिवेश के मामले में लगातार निराशा हाथ लग रही है. इस वित्त वर्ष में तो स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब लग रही है. वित्त वर्ष समाप्त होने में अब बस ढाई महीने का समय बचा है और करीब दो सप्ताह के बाद बजट पेश होने वाला है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार अगले वित्त वर्ष में विनिवेश पर ज्यादा ध्यान दे सकती है. इस क्रम में बजट में कम से कम एक सरकारी बैंक और एक सरकारी बीमा कंपनी के विनिवेश का ऐलान किया जा सकता है.
सिर्फ 10 हजार करोड़ जुटा पाई सरकार
पिछले साल बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए 51 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का टारगेट सेट किया था. हालांकि इस बड़े टारगेट के मुकाबले सरकार को विनिवेश से सिर्फ 10,051.73 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. सरकार इस वित्त वर्ष के दौरान अब तक कोई उल्लेखनीय रणनीतिक बिक्री नहीं कर पाई है. वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में इस दिशा में कुछ हो पाने की उम्मीद कम ही है. चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार सिर्फ आईपीओ/एफपीओ रूट से विनिवेश कर पाई है.
सात सालों में सबसे कम था टारगेट
सरकार को विनिवेश के मामले में पहले भी झटका लग चुका है, इसी कारण चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का टारगेट ही कम रखा गया था. चालू वित्त वर्ष के लिए 51 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का टारगेट सात सालों में सबसे कम था. उससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने विनिवेश का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये रखा था, लेकिन महज 35,293.52 करोड़ रुपये जुटा पाई थी.
आईडीबीआई बैंक में इतनी हिस्सेदारी
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आईडीबीआई बैंक समेत कई सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का टारगेट सेट किया था. अब चूंकि सरकार को इसमें सीमित सफलता मिल पाई है, अब उन्हें अगले वित्त वर्ष में हासिल करने का प्रयास किया जा सकता है. आईडीबीआई बैंक में सरकार और सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी की मिलाकर करीब 61 फीसदी हिस्सेदारी है. इस पूरी हिस्सेदारी को बेचने का प्रयास किया जा रहा है.
इस कानून से मिल चुकी है सहूलियत
सरकार आगामी बजट के दौरान एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी के विनिवेश के बारे में भी डिटेल दे सकती है. केंद्र सरकार पहले ही जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) अमेंडमेंट एक्ट को नोटिफाई कर चुकी है. 2021 में अधिसूचित इस कानून से सरकार को सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से भी नीचे लाने की सहूलियत मिल चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार बीमा क्षेत्र की नए सिरे से समीक्षा करे और अगले वित्त वर्ष में किसी सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनी का विनिवेश किया जाए.
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