न्यूक्लियर पावर से ट्रेनें चलाने की तैयारी में भारतीय रेलवे, प्लांट बनाने के लिए साइट चुनने का भी काम शुरू
Indian Railway: रेलवे के इस प्रोजेक्ट से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलेगी. रेलवे ट्रैक के किनारे पड़ी खाली जमीनों पर प्लांट बनाने का काम शुरू हो सकता है.

Indian Railway: बदलते वक्त के साथ उर्जा की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे न्यूक्लियर पावर प्लांट की मदद ले सकता है. इसके लिए कई छोटे-छांट न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाए जाएंगे, जिसके लिए रेलवे ने परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) और बिजली मंत्रालय के साथ बातचीत शुरू कर दी है. भारतीय रेलवे साल 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखती है.
प्लांट बनाने के लिए जमीन रेलवे देगी
मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा, न्यूक्लियर प्लांट बनाने के लिए जमीन भारतीय रेलवे की तरफ से दी जाएगी, रेलवे बिजली खपत की भी गारंटी देगीदेगी, जबकि डीएई और बिजली मंत्रालय फ्यूल सप्लाई करने के समझौते के साथ प्लांट को बनाने में अपनी मदद देंगे. ET से बात करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, बातचीत शुरू हो गई है, इससे रेलवे को तेजी से नेट जीरो को हासिल करने में मदद मिलेगी. इन न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के जरिए रेलवे की 10 गीगावॉट (gw) ट्रैक्शन ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी.
साइट चुनने का भी काम शुरू
भारतीय रेलवे का लक्ष्य 2030 तक 3 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी, जिसमें हाइड्रोपावर भी शामिल है, के साथ-साथ 3 गीगावाट थर्मल और न्यूक्लियर पावर खरीदने का है. इसके अलावा, ट्रैक्शन के लिए अतिरिक्त 4 गीगावाट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों से एग्रीमेंट के आधार पर प्राप्त की जाएगी. अधिकारी की दी गई जानकारी के मुताबिक, प्लांट बनाने के लिए रेलवे के लिए जमीन मुहैया कराना कोई चिंता का विषय नहीं है. इसके लिए साइट चुनने का भी काम शुरू हो चुका है.
IRFC कर सकती है मदद
एक दूसरे अधिकारी ने ET को बताया, इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता भारतीय रेलवे के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तपोषण शाखाओं की तरफ से दी जाएगी. इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IRFC) भारतीय रेलवे के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने वाली एक संस्था है, जो इस काम में मदद दे सकती है.
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Source: IOCL























