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Crude Oil from Russia: जून में भारत को मिला रूस से सबसे सस्ता तेल, साल भर पहले से डेढ़ गुना कम लगा भाव

Cheapest Crude Oil: यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बीच रूस पिछले एक-डेढ़ साल से सस्ते भाव पर कच्चा तेल बेच रहा है और भारत उसके सबसे बड़े खरीदारों में से एक बना हुआ है...

पूर्वी यूरोप में करीब डेढ़ साल से जंग छिड़ी हुई है और अब तक उसका कोई नतीजा सामने नहीं आया है. हालांकि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध से कुछ देशों को फायदा हो रहा है, जिनमें भारत भी शामिल है. भारत को युद्ध शुरू होने के बाद से रियायती दर पर कच्चे तेल की सप्लाई मिल रही है. जून महीने के दौरान तो यह फायदा और बढ़ गया, जब रूस से मिल रहा कच्चा तेल डेढ़ साल में सबसे सस्ता हो गया.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, रूस से भारत आ रहे कच्चे तेल की औसत कीमत जून महीने के दौरान सबसे कम हो गई. यह कीमत महज 68.17 डॉलर प्रति बैरल रह गई, जिसमें ढुलाई की लागत भी शामिल है. रूस से आने वाले कच्चे तेल की औसत कीमत इससे पहले मई महीने के दौरान 70.17 डॉलर प्रति बैरल बैठ रही थी.

इतना सस्ता मिला कच्चा तेल

भारत को जून में रूस से कच्चा तेल कितना सस्ता पड़ा, उसे समझने के लिए कुछ आंकड़ों को देखना जरूरी है. जैसे जून महीने के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल का भाव 80 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास चल रहा था, जिसमें ढुलाई का खर्च शामिल नहीं है. इसका मतलब हुआ कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के भाव की तुलना में भारत को हर बैरल पर 15 से 20 डॉलर की बचत हुई. वहीं साल भर पहले भारत को रूस से ही 100.48 डॉलर प्रति बैरल के भाव से कच्चा तेल मिल रहा था. इस तरह देखें तो साल भर में भारत को मिल रहे कच्चे तेल के भाव में डेढ़ गुने की गिरावट आई.

पश्चिमी देशों ने लगाई कई पाबंदियां

रूस ने पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला बोल दिया था. उसके बाद से दोनों पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच युद्ध जारी है. यूक्रेन को अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश सपोर्ट कर रहे हैं. इसके चलते अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के ऊपर कई आर्थिक पाबंदियां लगा दी हैं. रूस के कच्चे तेल पर भी पाबंदी लगाई गई है. पश्चिमी देशों ने रूस के कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का कैप लगा दिया है. हालांकि कच्चे तेल की मात्रा पर कोई लिमिट नहीं है.

दो महीने से कम हो रहा है आयात

युद्ध शुरू होने के बाद से चीन के साथ-साथ भारत भी रूस के सस्ते कच्चे तेल का फायदा उठा रहा है और उसके सबसे बड़े खरीदारों में एक बना हुआ है. केपलर के आंकड़ों के अनुसार, रूस से भारत का कच्चा तेल आयात पिछले 2 महीने से कम हो रहा है. अगस्त महीने में इसमें और कमी आने के अनुमान हैं. हालांकि केपलर के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर से आयात फिर से बढ़ रहा है.

इराक से भी मिला सस्ता कच्चा तेल

भारत अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों पर बड़े हद तक आयात पर निर्भर है. भारत अपनी कुल जरूरत का 88 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत अभी रूस के अलावा इराक और सऊदी अरब से भी ठीक-ठाक मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है. जून महीने के दौरान भारत को इराक का कच्चा तेल 67.10 डॉलर प्रति बैरल के भाव पड़ा, जबकि सऊदी अरब के कच्चे तेल का भाव 81.78 डॉलर प्रति बैरल पड़ा.

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