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बजट 2023 : चुनाव से पहले खजाना खोलेगी सरकार, या फिर मिलेगी देश को कड़वी दवा?

लोकसभा चुनाव 2024 और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले इस साल का बजट बहुत ही अहम है. सरकार कई लोकलुभावन योजनाओं का ऐलान कर सकती है. लेकिन दूसरी ओर अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी बहुत चुनौतियां हैं.

1 फरवरी 2023 को मोदी सरकार अपना 10वां पूर्ण बजट पेश करेगी. सरकार इस बजट में किसी तरह की गलती नहीं करना चाहेगी क्योंकि इसके अगले साल यानी 2024 में लोकसभा का चुनाव होगा.

लेकिन सरकार के सामने न सिर्फ चुनाव की चुनौती है, राजकोषीय घाटा, बेरोजगारी और चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट को कम करना और ग्लोबल मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत बनाना भी है.

इन्ही बातों का ध्यान रखते हुए पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर नवंबर महीने में जनता से बजट के लिए सुझाव मांगे थे और 13 जनवरी को अर्थशास्त्रियों के साथ मीटिंग भी बजट की तैयारी का ही एक भाग है. 
 
राजकोषीय घाटे को कम करने पर सरकार का फोकस 
बजट को लेकर बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ काम कर रहे जाने-माने अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा है कि वो उम्मीद नहीं कर रहे हैं न ही सरकार को सुझाव दे रहे हैं बल्कि सरकार इस बजट में जो काम करने वाली है उसमें सबसे पहला काम राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कदम उठना होगा. उन्होने कहा कि सरकार ऐसे कदम उठाएगी जिससे देश के वित्तीय घाटे को 6.4 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी लाया जा सके. 

उन्होंने 'वित्तीय जिम्मेदारी और बजट मैनेजमेंट' यानी FRBM का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य राजकोषीय प्रबंधन और दीर्घकालिक वृहद-आर्थिक स्थिरता में सुनिश्चित करनी की है और इसके लिए देश के वित्तीय घाटे को 4.5 फीसदी करने की जरूरत है. 

लोकलुभावन बजट या पिलाई जाएगी कड़वी दवा
चुनाव को देखकर या फिर अर्थव्यवस्था के सामने आ रही है चुनौतियों को देखकर बजट बनाया जाएगा इस सवाल पर अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार देश के खजाने पर बोझ को कम करने के साथ ही खजाने से खर्च को भी तैयार रहेगी. लेकिन चुनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार फूड सब्सिडी और फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए फंड देगी. 

सबनवीस ने कहा कि बजट कैसा होगा ये तो 1 फरवरी को ही पता चलेगा क्योंकि साल के पहले सप्ताह में मीडिया में खबर आई थी कि सरकार चालू वित्त वर्ष की तुलना में अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी में भारी कटौती करने वाली है.
 
उन्होंने कहा कि नए वित्त वर्ष में सरकार इस मद पर 26 फीसदी तक की कटौती कर सकती है. फिलहाल सरकार फूड और फर्टिलाइजर सब्सिडी लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

सबनवीस ने बताया कि सरकार की मुफ्त अनाज योजना की वजह से फूड सब्सिडी का खर्च काफी बढ़ गया है.  इसके अलावा किसानों को फर्टिलाइजर पर भी बड़ी मात्रा में सब्सिडी दी जा रही है, जबकि वैश्विक बाजार में  फर्टिलाइजर्स की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. 

मदन सबनवीस ने कहा कि चुनाव से पहले सरकार अर्थव्यस्था के मोर्चे पर किसी भी तरह की कड़वी दवाई से परहेज करना चाहेगी. लेकिन ये भी सच है कि सरकार अगर इस मद पर पहले पेश किये बजट की तर्ज पर खर्च करती है तो वोट बैंक मजबूत होगा लेकिन सरकारी खजाने पर काफी गहरा असर पड़ेगा. 

कॉर्पोरेट जगत कितना करे उम्मीद
बजट 2023 से कारपोरेट सेक्टर कितना उम्मीद करे इस बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सरकार इस बजट में पीएलआई (Productivity Linked Incentive Scheme ) का 14 सेक्टर्स तक विस्तार सकती है. 

वर्तमान में सरकार ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, व्हाइट गुड्स, फार्मा, टेक्सटाइल्स, फूड प्रोडक्ट्स, हाई एफिशिएंसी सोलर पीवी मॉड्यूल्स, एडवांस केमिस्ट्री सेल और स्पेशियलिटी स्टील सहित 14 क्षेत्रों के लिए लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली ये स्कीम चल रही है.

सबनवीस ने कहा कि सरकार आने वाले बजट में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को ज्यादा प्रतियोगी बनाने और चीन के स्लो ग्रोथ का फायदा उठाने के लिए एमएसएमई सेक्टर के लिए इस स्कीम का विस्तार करेगी. 

उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि सरकार अगर ऐसा करती है तो न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती दे सकती है बल्कि इसके जरिए चीन को भी इस सेक्टर से रिप्लेस कर सकती है.
  
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने मार्च 2020 में इस स्कीम की शुरूआत की थी. इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को ग्लोबल लेवल  कंपटीटिव (प्रतियोगी ) बनाना है. सरकार इस स्कीम के अंतर्गत घरेलू कंपनियों में बनें प्रोडक्ट्स की बिक्री में बढ़ोतरी पर सरकार प्रोत्साहन देती है.

सबनवीस का कहना था कि इस साल के बजट में सरकार पूंजीगत व्यय (पुल और सड़क निर्माण)  को बढ़ा सकती है. लेकिन वो भी 5% से ज्यादा नहीं होगा क्योंकि आने वाले साल में जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी होने के कयास लगाए जा रहे हैं इसीलिए सरकार CAPEX यानी पूंजीगत व्यय  जो पिछले बजट में 7.5 लाख करोड़ था उसमें 5 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है लेकिन उससे ज्यादा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

मदन सबनवीस का मानना है कि इस बार के बजट का साइज भी कमोबेश पिछले साल के आसपास ही होगा. पिछली बार का बजट 40 लाख करोड़ का था तो इस बार का बजट 42 लाख करोड़ तक का हो सकता है लेकिन इससे ज्यादा सरकार नहीं करेगी.

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