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ITR for Deceased: मृत व्‍यक्तियों का आईटीआर भरना क्यों जरूरी? जानें क्या है प्रोसेस और किसे करना होगा ये काम

How to file ITR for Deceased Person: जिस तरह से मौत शाश्वत सत्य है, उसी तरह से टैक्स भी शाश्वत है. इसी कारण अगर किसी की मौत हो गई है, तो भी उसका आईटीआर भरना होगा...

अंग्रेजी की एक फेमस उक्ति है... 'Nothing can be said to be certain, except death and taxes'. इसका तात्पर्य है कि मौत और कर को छोड़कर किसी भी अन्य चीज के बारे निश्चित नहीं हुआ जा सकता है. बाद में अमेरिकी राजनेता बेंजामिन फ्रैंकलिन ने 1789 में अमेरिका के संविधान को लेकर कहा कि यह स्थायित्व का वादा तो करता है, लेकिन इस दुनिया में सिर्फ मौत और टैक्स को छोड़कर किसी को शाश्वत नहीं कहा जा सकता है.

मौत की तरह टैक्स भी शाश्वत

अब आप सोचेंगे कि आज साहित्य की बातें क्यों हो रही है? ये बातें अनायास नहीं हैं. अभी अपने देश में इनकम टैक्स रिटर्न भरने का मौसम चल रहा है. इसकी डेडलाइन भी अब बहुत दूर नहीं है. 31 जुलाई 2023 तक आपको हर हाल में यह काम निपटा लेना चाहिए. ऊपर वाली बात की प्रासंगिकता इस कारण है कि अगर आपके परिवार में पिछले एक साल के दौरान किसी की मौत हुई है, तो आपको उनका भी आईटीआर भरना होगा. यह बात आपको चौंका सकती है कि जो शख्स इस दुनिया में नहीं है, उसका आईटीआर क्यों भरना... लेकिन नियम के हिसाब से आपको ऐसा करना होगा.

नियम कहता है कि जिस तरह से मौत शाश्वत सत्य है, टैक्स भी उसी तरह से शाश्वत सत्य है. अगर आप इस दुनिया में आए हैं, तो आपको निश्चित जाना होगा. उसी तरह अगर आप कमाई कर रहे हैं या आपने कमाई की है, तो आपको टैक्स भरना पड़ेगा. कुछ मामलों में यह जरूरी नहीं भी है, लेकिन कुछ मामलों में मृतक का आईटीआर नहीं भरना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से कार्रवाई को बुलावा देना साबित हो सकता है.

किन मामलों में मृतक का रिटर्न जरूरी?

आइए अब जानते हैं कि इस संबंध में इनकम टैक्स के नियम क्या कहते हैं... मृतक के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने के मामले में सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि उस व्यक्ति की आय क्या थी. अगर पिछले वित्त वर्ष के दौरान मृतक ने अपनी मौत तक जितनी कमाई की, वह टैक्सेबल इनकम के दायरे में है, तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी हो जाता है. टैक्सेबल इनकम को कैलकुलेट करते समय बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट को इनक्लुड किया जा सकता है.

कैसे तय होगी मृतक की टैक्सेबल इनकम?

ओल्ड टैक्स रिजिम में सुपर सीनियर सिटीजन के लिए बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 5 लाख रुपये, सीनियर सिटीजन के लिए 3 लाख रुपये और सामान्य करदाता के लिए ढाई लाख रुपये सालाना है. न्यू टैक्स रिजिम में वित्त वर्ष 2023-24 से बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये हो गई है. मृतक व्यक्ति की उम्र के हिसाब से आप उसकी कुल कमाई से बेसिक एग्जम्प्शन को घटाकर टैक्सेबल इनकम पता कर सकते हैं.

कौन भरेगा मृतक का आईटीआर?

मृतक की वसीयत होने पर कानूनी उत्तराधिकारी यानी legal heir को उनकी ओर से रिटर्न भरना होगा. अगर वसीयत नहीं है तो पति-पत्नी या किसी बच्चे को लीगल रिप्रेजेंटेटिव माना जा सकता है और उसे रिटर्न भरना होगा. इस व्यवस्था का आशय इस बात से है कि अगर आप मृतक की कमाई या संपत्ति का अधिकारी बन रहे हैं, तो आपको उनकी टैक्स देनदारी का जिम्मेदार भी बनना होगा.

कितने समय के लिए भरेंगे रिटर्न?

मृत व्यक्ति की ओर से वित्त वर्ष की शुरुआत से लेकर मृत्यु के दिन तक के लिए रिटर्न भरा जाएगा. मान लीजिए किसी व्यक्ति की मृत्यु 30 नवंबर 2022 को हुई तो वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1 अप्रैल से 30 नवंबर 2022 तक का रिटर्न भरा जाएगा.

क्या है ऐसे रिटर्न का प्रोसेस?

रिटर्न भरने के लिए इनकम टैक्स के 'ई-फाइलिंग पोर्टल' पर जाकर खुद को कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में रजिस्टर करना होगा. उत्तराधिकारी 'ई-फाइलिंग पोर्टल' पर अपने यूजर आईडी और पासवर्ड से लॉगइन करें. फिर Authorised Partners में Register as Representative पर जाकर Create New Request पर क्लिक करना होगा.

किन कागजातों की होगी जरूरत?

मृत व्यक्ति का पैन, डेथ सर्टिफिकेट, अपना पैन, रिफंड के लिए बैंक अकाउंट, कानूनी उत्तराधिकार का प्रूफ,  Indemnity Letter जैसे डॉक्यूमेंट जमाकर करके रजिस्ट्रेशन कराना होगा. आयकर विभाग से अप्रूवल मिलने के बाद कानूनी वारिस मृत व्यक्ति का रिटर्न फाइल कर पाएगा.

कैसे फाइल होगा मृतक का आईटीआर?

अब रिटर्न फाइलिंग की बारी आती है. कानूनी उत्तराधिकारी मृत व्यक्ति का रिटर्न ठीक उसी तरह फाइल करेगा जैसे जिंदा इंसान का रिटर्न फाइल होता है. बस जनरल इंफॉर्मेशन के सेक्शन में रिप्रेजेंटेटिंव असेसी (Representative Assessee) का ऑप्शन चुनना होगा.

मौत के बाद की कमाई का क्या?

इनकम टैक्स कानून कहता है कि फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत से व्यक्ति की मौत तक की इनकम को मृत व्यक्ति की इनकम माना जाएगा. ये इनकम चाहे FD, शेयर या किसी भी संपत्ति से हो. वहीं, व्यक्ति की मौत के बाद उसकी एसेट से होने वाली इनकम कानूनी उत्तराधिकारी की इनकम होगी. भले ही कानूनी उत्तराधिकार से जुड़े दस्तावेज देरी से मिलें. उसे अपने रिटर्न में इस इनकम को दिखाना होगा. वसीयत के मामले में मृतक की मौत के बाद से संपत्ति कानूनी वारिस को ट्रांसफर होने तक एग्जीक्यूटर को अलग ITR फाइल करना होगा. मृतक का आईटीआर भरने के बाद उसे वैरिफाई करना होगा.

आईटीआर नहीं भरे तो क्या होगा?

अब सवाल उठता है कि अगर आपके परिवार में किसी की मौत हुई और आपने उनके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया तो क्या होगा... दरअसल मृतक का रिटर्न नहीं भरने के कई नुकसान हैं. अगर उनका कोई टैक्स कट चुका है तो वह रिफंड नहीं मिलेगा. कानूनी उत्तराधिकारी होने के नाते आपको बकाया टैक्स के ऊपर जुर्माना और लेट फीस देनी होगी. 31 जुलाई तक रिटर्न नहीं भरने पर 1000 से 5,000 रुपये तक लेट फीस है. आयकर विभाग कमाई नहीं दिखाने को टैक्स चोरी मान सकता है. सेक्शन 276CC के तहत, कर चोरी की रकम 25 लाख रुपये से ज्यादा होने पर जुर्माने के साथ 6 महीने से लेकर 7 साल की सजा हो सकती है. दूसरे मामलों में जुर्माने के साथ 3 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है.

ये भी पढ़ें: अगर छिपाई मूनलाइटिंग से कमाई तो होगी दिक्कत, जानें कैसे भरना होगा आपको आईटीआर

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