क्या रखे-रखे सोना भी हो जाता है खराब? क्या गहनों पर जंग लगने का भी है डर?
Gold Jewellery Value: भारत में लोग पीढ़ियों से सोना इकट्ठा करते रहते हैं. इसे सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि आर्थिक अनिश्चितता और बाजार के उथल-पुथल के बीच भी इसकी वैल्यू बरकरार रहती है.

Gold Jewellery Value: आमतौर पर चीजें समय के साथ-साथ खराब होती जाती है, लेकिन बात अगर सोने की हो तो इसे निवेश से कहीं बढ़कर माना जाता है. भारत में सोने के गहनों को लेकर लोगों में अलग ही क्रेज है. शादी-ब्याह या त्योहार के समय भी सोने की खरीदारी की परंपरा सालों से चली आ रही हैं.
यहां लोग पीढ़ियों से सोना इकट्ठा करते रहते हैं. इसे सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि आर्थिक अनिश्चितता और बाजार के उथल-पुथल के बीच भी इसकी वैल्यू बरकरार रहती है. हालांकि, कुछ लोगों को इस बात का भी डर होता है कि लंबे समय से बिना इस्तेमाल किए सोना रखने से उसमें जंग लग सकता है, ये खराब हो सकते हैं या घिस सकते हैं.
जंग क्या होता है?
जंग मूल रूप से आयरन ऑक्साइड है. जंग केवल लोहे और लोहे के मिश्रण से बनी चीजों पर ही लगता है. नमी और ऑक्सीजन से लोहे में केमिकल रिएक्शन की वजह से एक गहरे लाल रंग की परत बनती है, जिसे हम जंग कहते हैं.
विज्ञान की भाषा में कहे, तो यह ऐसा प्रॉसेस है, जिसमें किसी धातु की सतह ऑक्सीडाइज होकर ऑक्साइड में बदल जाती है जैसे कि लोहा ऑक्सीजन के साथ मिलकर फेरिक ऑक्साइड (Fe₂O₃) बनाता है. उचित रख-रखाव के अभाव में मेटल खराब होने लगते हैं. लौह मिश्र धातु का उपयोग अधिकांश नट, बोल्ट, पंखे, साइकिल चेन और ऑटोमोबाइल पार्ट्स में किया जाता है. ऐसे में इन्हें जंग से बचाने के लिए समय-समय पर पेंटिंग, ऑयलिंग, ग्रीसिंग की जरूरत पड़ती है.
क्या सोने पर भी जंग लगने का है डर?
सोने को कम तापमान पर पिघलाकर गहने बनाए जाते हैं. सोना कॉमन एसिड्स के साथ मिलकर रिएक्ट नहीं करता है. यह केवल एक्वा रेजिया (नाइट्रिक एसिड और हाइड्रोक्लोरिक एसिड का मिश्रण) नामक एसिड में ही घुलता है. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अधिकारियों का कहना है कि सोने में कभी जंग नहीं लगता. वहीं, अगर चांदी की बात करें तो यह हवा में उपस्थित सल्फर के साथ इसकी हल्की अभिक्रिया होती है.
पीतल की बात करें, तो यह जस्ता और तांबे का मिश्रण है. पीतल में जंग नहीं लगता, बल्कि धीरे-धीरे क्षरण होता है. अधिकांश मूर्तिकार पीतल का उपयोग मूर्तियां बनाने के लिए करते हैं क्योंकि इसमें जस्ता अधिक मात्रा में होने की वजह से इसकी मजबूती बढ़ जाती है. जबकि तांबे की वजह से यह गहरे रंग का दिखाई देता है. मौसम में बदलाव का असर पीतल में मौजूद जस्ते पर पड़ता है. यह तमाम केमिकल रिएक्शंस से होकर गुजरता है, लेकिन तांबे में जंग नहीं लगता. सालों-साल इस्तेमाल के बाद भी तांबे में बस आपको धब्बे पड़ते ही नजर आएंगे. तांबा बेहद स्ट्रॉन्ग एसिड्स के साथ भी रिएक्ट नहीं करता.
क्यों नहीं लगती हैं जंग?
कम शुद्धता वाले 14 कैरेट सोने किसी भी सोने के आभूषण में जंग नहीं लगती. गहने पुराने जरूर हो सकते हैं, लेकिन उनमें जंग लगने का कोईडर नहीं है. लंबे समय तक बिना इस्तेमाल के रखे गए सोने के गहनों पर एक पीले-हरे रंग की परत जम सकती है, लेकिन उसमें जंग नहीं लगती. यहां तक कि सदियों से मिट्टी के नीचे दबे सोने के गहनों, सिक्कों पर भी जंग नहीं लगते हैं. सोने के परमाणु बहुत स्थिर होते हैं, यही वजह है कि शुद्ध सोने की रासायनिक संरचना हवा, पानी और अत्यधिक तापमान में भी नहीं बदलती. इसी स्थिरता के कारण सोने का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों, खासकर सर्किट बोर्ड में किया जाता है.
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Source: IOCL























