US टैरिफ ने एशिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी की करेंसी का किया बंटाधार, सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया
Indian Currency: अमेरिकी टैरिफ के भारी दबाव के बीच गुरुवार को डॉलर के मुकाबले एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी की करेंसी डॉलर की तुलना में रिकॉर्ड निचले स्तर पर चली गई.

Dollar vs Rupee: भारतीय रुपये में बड़ी जबरदस्त गिरावट आयी है. अमेरिकी टैरिफ के भारी दबाव के बीच गुरुवार को डॉलर के मुकाबले एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी की करेंसी रिकॉर्ड निचले स्तर पर चली गई. इसके बाद रुपया 0.39 प्रतिशत लुढ़ककर 88.4425 के स्तर पर बंद हुआ. जबकि इससे पहले यह 88.1000 पर बंद हुआ था. पिछले शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 88.36 पर बंद हुआ था.
क्यों कमजोर पड़ रहा रुपया?
ऐसा माना जा रहा है कि रुपये में यह कमजोरी भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ टेंशन के चलते आयी है. दूसरी तरफ विदेशी मुद्रा कारोबारियों की मानें तो मुद्रास्फीति के आंकड़े आने से पहले अमेरिकी डॉलर में सुधार और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी ने इन्वेस्टर्स की कारोबारी धारणा को और कमजोर किया है.
पिछले कुछ सत्रों के दौरान क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आने से भी रुपये पर जबरदस्त दबाव देखा गया है. कारोबारियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के बारे में पॉजिटिव संकेत दिए जाने के बाद रुपये में मामूली सुधार के संकेत मिले थे. लेकिन डॉलर मांग और वैश्विक कारकों के कारण भारतीय करेंसी में इतनी बड़ी गिरावट आई है.
टैरिफ टेंशन समेत कई फैक्टर
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के ट्रेजरी चीफ और एग्जक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली की मानें तो रुपये पर आयात के लिए डॉलर की मजबूत मांग, बाहरी टैरिफ टेंशन और अमेरिकी इन्फ्लेशन के आंकड़ों तथा फेडरल रिजर्व की नीति को लेकर बाजार की अपेक्षाओं का दबाव है. अनिल भंसाली का कहना है कि डॉलर इंडेक्स भी करीब 98 के स्तर को छू रहा था जबकि ब्रेंट क्रूड की कीमतें बढ़ने से डॉलर की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहीं. पिछले तीन दिन में भारत और अमेरिका के बीच ब्याज दरों के अंतर में वृद्धि के कारण प्रीमियम भी बढ़ रहे थे.
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