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विश्व साइकिल दिवस: दो पहियों में छुपी है विकास की गति, यूएन भी है प्रदूषण रहित वाहन का दीवाना

दुनियाभर में हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) मनाया जाता है. साइकिल परिवहन का एक सरल, सस्ता और टिकाऊ माध्यम है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, प्रदूषण को कम करता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है. साइकिल की उपयोगिता को देखते हुए ही 3 जून, 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाया गया था और तब से हर साल इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. साइकिल के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए विश्व साइकिल दिवस पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.

साइकिल से सतत विकास

संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा वर्ष 2015 में, सतत विकास लक्ष्यों को अपनाया गया जिसमें 17 लक्ष्यों को स्वीकारा गया है. इन लक्ष्यों का उद्देश्य हमारी दुनिया को बदलना है-  ऐसा बदलाव जो सभी के लिए हो, कोई भी पीछे न रह जाए. गरीबी और असमानता को समाप्त करने और सभी लोगों के के लिए 2030 तक स्वास्थ्य, न्याय और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए पूरा विश्व कार्य कर रहा है.

सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में भारत सरकार भी निरंतर प्रयासरत है. वर्तमान समय में भारत सरकार ने साइकिल के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं. सतत विकास लक्ष्यों में से एक लक्ष्य (एसडीजी-7) सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना है. भारत में, साइकिल, कम दूरी के और दैनिक परिवहन के लिए एक स्वच्छ और कुशल माध्यम बन सकती है. साइकिल वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद कर सकती है, जो भारत के कुछ शहरों की एक बड़ी समस्या है. सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य भी सतत विकास लक्ष्यों में से एक महत्वपूर्ण लक्ष्य (एसडीजी-3) है. साइकिल व्यायाम का एक प्रभावी माध्यम हो सकता है और नियमित साइकिल चलाना शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाकर हृदय रोग, मधुमेह, वजन-तनाव जैसी कई स्वास्थ्य-संबंधित समस्याओ को नियंत्रित करने में मदद करता है.

सड़क दुर्घटनाओं में साइकिल चालक 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार की  रिपोर्ट 2021 के अनुसार 4,12,432 लोगों के साथ दुर्भाग्यपूर्ण सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,53,972 लोगों की जान चली गई और 3,84,448 लोग घायल हुए. भारत में सड़क यातायात दुर्घटनाओं में मारे गए साइकिल चालकों की संख्या वर्ष 2020 मे 4,167 व्यक्तियों से बढ़कर वर्ष 2021 में 4,702 हो गयी. वर्ष 2021 में देश में सड़क दुर्घटना में मारे गए कुल व्यक्तियों की संख्या में 3.1 प्रतिशत साइकिल चालकों की हिस्सेदारी रही. वर्ष 2021 में, चेन्नई में 168 साइकिल चालकों और दिल्ली में 147 साइकिल चालकों की सड़क दुर्घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज हुई. इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में सबसे अधिक 45 साइकिल चालकों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई. मौजूदा रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में सड़क यातायात दुर्घटनाओं में साइकिल चालकों के मामलों में वृद्धि हुई है.

‘साइकिलिंग’ के लिए प्रयास जरुरी

साइकिल चालकों की दुर्घटनाओं से रक्षा करने और साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई चीजों पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है, जैसे- बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश, अधिक बाइसिकल लेन बनाना, यातायात कानूनों को प्रभावी रूप से लागू करना और उन वाहन चालकों पर कार्रवाई करना जो साइकिल चालकों के लिए खतरा बनते हैं.

ऐसे क़दमों से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ज़रूरी हरित गतिशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा. सरकारी, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तिगत स्तर पर किये गए प्रयासों से भारत साइकिल अनुकूल देश बन सकता है.

इसके अलावा, साइकिल चलाना सामाजिक समावेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है. साइकिल लोगों को अपने समुदायों से जुड़ने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने में मदद कर सकती है.भारत के ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में, साइकिल बच्चों को स्कूल-कॉलेज जाने में मदद करती है और इस तरह से साइकिल समाज को शिक्षा से जोडती है. यह महत्वपूर्ण दिन, साइकिल की उपयोगिता और उसके बहुआयामी लाभों के प्रति समाज को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है. इस अवसर पर परिवहन के इस उचित, विश्‍वसनीय, स्‍वच्‍छ और पर्यावरण अनुकूल साधन को बढ़ावा देने के लिए संकल्प लेकर हम साइकिल को अपने दैनिक जीवन में जगह दे सकते हैं.

(यह आर्टिकल सेंटर ऑफ़ सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ, जेएनयू के रिसर्च स्कॉलर चन्द्रिका प्रसाद वर्मा और स्पेशल सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च, जेएनयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निकुंज मकवाना से बातचीत पर आधारित है) 

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