एक्सप्लोरर

भारत के पहले प्रधानमंत्री नहीं, अंतरिम सरकार के पीएम थे सुभाष बाबू, कंगना के बयान के उलट है इतिहास

उत्तराखंड के मंडी सीट की भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में कहा कि देश की पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे. अगर इसको तथ्यात्मक तरीके से देखा जाए तो ये कथन बिलकुल ही गलत है. ये सत्य है कि सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में अस्थायी सरकार 13 अक्टूबर 1943 में बनाई थी. उस सरकार के सुभाष चंद्र बोस प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी थे. इससे पहले दो जुलाई 1940 को सुभाष चंद्र बोस की गिरफ्तारी हुई थी, बाद में उनको प्रेसिडेंसी जेल कोलकता में रखा गया था. 5 दिसंबर 1940 को उनका स्वास्थ्य काफी ज्यादा खराब हुआ, स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया. 17 जनवरी 1941 के दिन अंग्रेजों को चकमा देकर वो अफगानिस्तान, पेशावर, काबूल, मास्को की एक लंबी यात्रा करते हुए वो जर्मनी पहुंचे. जर्मनी में उनकी मुलाकात हिटलर से हुई. सके बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत को आजाद कराने के लिए उन्होंने योजना बनायी.   

टोक्यो चले गए थे रासबिहारी बोस 

उस समय के स्वतंत्रता सेनानियों में एक रासबिहारी बोस ने टोक्यो में 28 से 30 मार्च 1942 को एक सम्मेलन करवाया. उसी सम्मेलन में रासबिहारी बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किया, जो बाद में जाकर आजाद हिंद फौज बनी. इसके अलावा उस सम्मेलन में इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का भी गठन किया गया. 23 जून 1942 को इस संगठन की प्रथम बैठक बैंकॉक में हुई, जिसमें दोनों टीम की कमान सुभाष चंद्र बोस को सौंप दी गई. प्रथम स्वतंत्रता-संग्राम में रासबिहारी शामिल थे, लेकिन गिरफ्तारी के डर से वो टोक्यो चले गए. बाद में उन्होंने वहां की नागरिकता लेने के साथ शादी कर ली थी. जापान से ही रासबिहारी बोस स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने का काम करते रहते थे.  हालांकि बैंकॉक में मीटिंग के बाद जब सुभाष चंद्र बोस को दोनों संगठनों की जिम्मेदारी दे गई, उसके बाद ये व्यवस्था जापान से नहीं चल पाई. जापान की सरकार से मतभेद होने के बाद कैप्टन मोहन सिंह और निरंजन सिंह आदि को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद मामला थोड़ा ठंड़ा पड़ गया. तब तक कई जगहों पर आजाद हिंद फौज की इकाई बन चुकी थी. साल 1943 में सुभाष चंद्र बोस फिर से आक्रामक रूप में आए और उसके बाद सिंगापुर, टोक्यो और जर्मनी पहुंचे. इसी क्रम में वो 13 जून 1943 को फिर से सुभाष चंद्र बोस टोक्यो पहुंचें.  सन 1942 में उस समय जो जापान की सरकार से मतभेद थे, उसको दूर करने के लिए तत्कालीन जापान के प्रधानमंत्री से मुलाकात भी किए. उसी समय टोक्यो से रेडियो के माध्यम के जरिए ब्रिटिश सरकार के विरोध में उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया. 

अस्थायी सरकार की हुई थी घोषणा 

सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को अस्थायी सरकार की घोषणा सिंगापुर में की, जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष खुद को घोषित किया. इस क्रम में एक सरकार का गठन किया गया, जिसमें वित्त विभाग सोमनाथ चटर्जी, शिक्षा विभाग अय्यर को दिया गया. ऐसे में अलग-अलग विंग बनाया गया और उसका मुख्यालय रंगून को बनाया.  6 नवंबर को 1943 को जापान के प्रधानमंत्री हिदेकी तोजो ने ये घोषणा किया कि भारत के पास के दो द्वीप अंडमान और निकोबार पर उन्होंने कब्जा कर लिया. उसके बाद दोनों द्वीपों को सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया. इसी क्रम में अंडमान का नाम शहीद और निकोबार का नाम स्वराज रख दिया. इसके अलावा तीन ब्रिगेड भी बनाए थे, जिसमें नेहरु ब्रिगेड, गांधी ब्रिगेड और सुभाष ब्रिगेड का गठन किया गया. जुलाई 1944 में  आजाद हिंद फौज के रेडियो के प्रसारण में बोस ने कहा था कि अब जो आंदोलन होगा वो स्वतंत्रता के लिए आखिरी होगा और उसमें उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आर्शीवाद मांगा. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के नाम के आगे राष्ट्रपिता का संबोधन लगाया. अस्थायी सरकार जो बनाई गई थी वो स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए बनाई गई थी. हालांकि बाद में अलग अलग चीजें हुई. उसमें जहां पर भी जापान का कब्जा हुआ था, वहां पर ब्रिटिश सेना की कब्जा हो गया और उसके बाद आजाद हिंद फौज की भूमिका काफी कम हो गयी. उसके बाद दिल्ली के लाल किला में उन लोगों पर मुकदमा चलाया गया.

कई अंतरिम सरकारें बनीं  

अंतरिम सरकार जो बनी थी, उसमें सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री थे, उस लिहाज से कंगना सही हैं, लेकिन जो ये अंतरिम सरकार बनी थी, वो सिर्फ स्वतंत्रता आंदोलन के लिए बनाई गई थी. ऐसी अंतरिम सरकार यह कोई इकलौती नहीं थी, 23 अक्टूबर 1915 में एक सरकार काबुल में बनी थी. उस सरकार में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को राष्ट्रपति बनाया गया था. मौलाना बरकतुल्ला को उनका प्रधानमंत्री बनाया गया था. अगर अस्थायी सरकार विदेशों में बनती है और उसको मान्यता मिलती है, तो ऐसे में पहले प्रधानमंत्री का नाम तो मौलाना बरकतुल्ला का आएगा.  सन 1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन तेजी से चला तो कई क्षेत्र अंग्रेजों के प्रभाव से मुक्त हो गए. वहां पर समानांतर सरकारें बनी. बलिया में चित्तू पांडेय के नेतृत्व में समानांतर सरकार चली. 17 दिसंबर 1942 से लेकर 1944 तक तामलूक में एक सरकार चली. सतारा में भी एक समानांतर सरकार चली जिसको बाबू चौहान और नाना पाटिल चला रहे थे. इस तरह कई उदाहरण हैं जिस तरह से देश के अंदर और देश के बाहर में सरकारें चली.

सरकार के लिए तय होते हैं मानक

कंगना के बयान आने के बाद सुभाष चंद्र बोस के परपोते ने भी काफी विरोध किया और कहा कि तथ्यात्मक तौर पर ये गलत है. राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा कहना बेहद ही गलत है. सुभाष चंद्र बोस के बताए गए आदर्शों पर चलना ही उनके लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी. जब सरकार बनती है तो उसके कई मानक होते हैं, जिसमें एक अच्छा खास क्षेत्रफल हो, काफी संख्या में जनता रह रही हो, संप्रभुता की स्थिति हो और स्वतंत्र हो. जापान ने भले ही स्वराज और शहीद नामक द्वीप बोस को दे दिए हों, लेकिन उस पर सैन्य अधिकार जापान का ही था. उसमें सिर्फ राजनीतिक गतिविधि करने के लिए सुभाष चंद्र बोस को अनुमति दी गई थी. जापान का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन करना नहीं था, बल्कि जापान और जर्मनी जैसे देश को मुख्य उद्देश्य अमेरिका और ब्रिटेन को दूसरे विश्व युद्ध में हराना था. इसको भी समझने की जरूरत है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

दिल्ली ब्लास्ट में नया खुलासा, घटनास्थल से मिले 9mm के तीन कारतूस, पुलिस की जांच तेज
दिल्ली ब्लास्ट में नया खुलासा, घटनास्थल से मिले 9mm के तीन कारतूस, पुलिस की जांच तेज
भूकंप के झटकों से फिर कांपी धरती, दहशत में लोग, जानें ताजा अपडेट
भूकंप के झटकों से फिर कांपी धरती, दहशत में लोग, जानें ताजा अपडेट
IND vs SA 1st Test Live Score, Day-3: जीत की दहलीज पर खड़ा है भारत, आज इतिहास में पहली बार हो सकता है साउथ अफ्रीका के साथ ऐसा
जीत की दहलीज पर खड़ा है भारत, आज इतिहास में पहली बार हो सकता है साउथ अफ्रीका के साथ ऐसा
पॉकेट में हाथ डाले दिखा सलमान खान का स्वैग, एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए दबंग खान
पॉकेट में हाथ डाले दिखा सलमान खान का स्वैग, एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए दबंग खान
ABP Premium

वीडियोज

हाइवे पर नकली साधु गैंग का आतंक!
Charcha With Chitra: Pappu Yadav छोड़ेंगे राजनीति? ABP न्यूज पर चौंकाने वाला  खुलासा! | Bihar
Bihar Politics: 'Tejashwi 25 सीटों पर सिमटेंगे', Madan Prasad ने पहले ही दे दी थी चेतावनी!
Bihar Politics: बिहार में सीएम फेस पर तकरार! | Bihar CM Face | Chirag | Nitish | Chitra Tripathi
UP Politics: जो बिहार में हुआ क्या वो यूपी में भी होगा? | CM Yogi | UP Elections | Akhilesh

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
दिल्ली ब्लास्ट में नया खुलासा, घटनास्थल से मिले 9mm के तीन कारतूस, पुलिस की जांच तेज
दिल्ली ब्लास्ट में नया खुलासा, घटनास्थल से मिले 9mm के तीन कारतूस, पुलिस की जांच तेज
भूकंप के झटकों से फिर कांपी धरती, दहशत में लोग, जानें ताजा अपडेट
भूकंप के झटकों से फिर कांपी धरती, दहशत में लोग, जानें ताजा अपडेट
IND vs SA 1st Test Live Score, Day-3: जीत की दहलीज पर खड़ा है भारत, आज इतिहास में पहली बार हो सकता है साउथ अफ्रीका के साथ ऐसा
जीत की दहलीज पर खड़ा है भारत, आज इतिहास में पहली बार हो सकता है साउथ अफ्रीका के साथ ऐसा
पॉकेट में हाथ डाले दिखा सलमान खान का स्वैग, एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए दबंग खान
पॉकेट में हाथ डाले दिखा सलमान खान का स्वैग, एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए दबंग खान
सोनभद्र हादसे में 2 लोगों की मौत, मलबे में कई मजदूरों के दबे होने की आशंका, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
सोनभद्र हादसे में 2 लोगों की मौत, मलबे में कई मजदूरों के दबे होने की आशंका, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
Special Feature: ऐश्वर्या राय सरकार, स्टाइल और संस्कृति का संगम
ऐश्वर्या राय सरकार: स्टाइल और संस्कृति का संगम
85 साल के शख्स ने कार में लगाया मैप! एक गलत टर्न ने पहुंचाया 1500 किमी दूर क्रोएशिया
85 साल के शख्स ने कार में लगाया मैप! एक गलत टर्न ने पहुंचाया 1500 किमी दूर क्रोएशिया
पिंपल्स का झंझट खत्म, इन आसान स्टेप्स से पाएं साफ और ग्लोइंग स्किन
पिंपल्स का झंझट खत्म, इन आसान स्टेप्स से पाएं साफ और ग्लोइंग स्किन
Embed widget