Opinion: जुमे की नमाज पर संभल CO का बयान बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान का है अपमान

होली पर जुमे की नमाज को लेकर उत्तर प्रदेश के संभल के सीओ का बहुत ही गैर जिम्मेदाराना बयान आया है. पुलिस की वर्दी पहनकर जिस तरह से राजनीतिक बयानबाजी हो रही है, इससे ऐसा लगता है कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तरफ से दिए गए संविधान की धज्जियां उड़वाई जा रही है. ये सबकुछ जानबूझकर किया जा रहा है. जिन लोगों का भारत के संविधान में विश्वास नहीं है, जो लोग मनुस्मृति को लागू करना चाहते हैं, उनकी तरफ से बार-बार ऐसी हरकतें की जाती है. साथ ही, बाबा साहेब अंबेडकर के दिए संविधान का मजाक उड़वाने की कोशिश की जाती है.
हजारों बार होली आयी है, हजारों बार रमजान आया है और लाखों बार जुमा आया है. भारत मिलीजुली संस्कृति का देश है और इसीलिए मेरा भारत महान है. मेरे भारत महान को ठेस पहुंचाने की रात-दिन कोशिश संघ और बीजेपी की तरफ से की जा रही है.
लेकिन, लोग जागरुक हैं और समझ चुके हैं . और वे इस तरीके से ट्रैप में नहीं आने वाले हैं. लोग जानते हैं कि ऐसी भाषाओं का प्रयोग करवा कर लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि लोग सरकार से अपने असली अधिकारों की बात न करें. नौजवान रोजगार की बात न कर सकें और छात्र बढ़ती फीस और प्राइवेटाइजेशन की बात न कर सके. किसानों से उनकी आमदनी दोगुनी करने का वादा किया गया था, लेकिन अब उन लोगों का ध्यान भटकाया जा रहा है. पश्चिमी यूपी का किसान समय पर भुगतान न मांग सके. ऐसे में कोई होली कैसे मनाएगा?
मेरे लोकसभा क्षेत्र के सभी शुगर मिल का गन्ने का करोड़ों रुपये बकाया है. ऐसी स्थिति में वे बेचारे क्या होली मनाएंगे.इसलिए ऐसी कोशिश है कि इस तरह की बयानबाजी कराते रहिए और लोगों को आपस में ही बांटते रहिए. इस तरह के पुलिस ऑफिसर को पुलिस कहना या फिर उन्हें पुलिस फोर्स कहना शोभा नहीं देता है. तुरंत ऐसे अधिकारी को बर्खास्त किया जाए. ऐसा पहली बार नहीं है जब हुआ है, ये आदतन ऐसा कर रहे हैं.

जिस संविधान की शपथ ली है, उस संविधान के मुताबिक आप काम करिए. मेरा तो साफतौर पर ये कहना है कि इनके भड़काने से कुछ नहीं होगा. इस देश में हमेशा होली-दिवाली और ईद के त्योहार भाईचारगी के साथ मनाए जाते रहे हैं और आगे भी ऐसे ही मनाए जाते रहेंगे. इस तरह से लोग भारत के भाईचारे को नहीं बिगाड़ सकते हैं.
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि ऐसे लोगों पर एक्शन कौन लेगा? जब एक्शन लेने वाले ही इस तरह के लोगों को संरक्षण देते हैं, तो कौन इन पर कार्रवाई करेगा? देश के सुप्रीम कोर्ट के पास भी तो इतना वक्त नहीं है कि वे हर चीज में दखलंदाजी करे. एक गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय की गई है, लेकिन उसे लागू करने का काम तो लोकतंत्र के अंदर चुनी हुई सरकारों का होता है.
लेकिन, जब संवैधानिक पदों पर बैठे लोग ही ऐसे लोगों को संरक्षण देने लगे तो ऐसा लगता है कि ये बिल्कुल आसान तरीका है. अगर ऐसे लोगों की कोई राजनीतिक इच्छा है तो वे वर्दी उतारकर खुलेआम सियासी मैदान में आ जाएं. लेकिन वर्दी पहनकर ये काम न करें.
इस देश का सबसे बड़ा स्ट्रेंथ भाईचारा है. मेरा भारत महान है ही इसलिए क्योंकि यहां पर सभी धर्मों के लोग एक साथ रहकर अपने धर्म के साथ जीते हैं. लोगों ने पहले भी बांटने की कोशिश की है, लेकिन इस देश में गांधी, अंबेडकर, मौलाना आजाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू को मानने वाले लोग हैं. पहले भी बांटने की कोशिश या फिर उसकी बातें करते थे और उन्होंने ऐसा किया भी. ऐसे किसी ट्रैप में लोग कभी नहीं आएंगे.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]



























