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ये आग कब बुझेगी...मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST स्टेटस की मांग और उसका विरोध, जानिए असली कारण
![ये आग कब बुझेगी...मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST स्टेटस की मांग और उसका विरोध, जानिए असली कारण Poor governance and inequality are the reasons behind this outburst of violence in Manipur government should now wake up ये आग कब बुझेगी...मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST स्टेटस की मांग और उसका विरोध, जानिए असली कारण](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/05/66674250082d4875cef516c4369bb67c1683286454700606_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
मणिपुर में नगा और कुकी आदिवासियों की ओर से ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क गई, जिसने रात में और गंभीर रूप ले लिया. वहां के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की मांग थी कि उनको भी एसटी का दर्जा दिया जाए. इसके खिलाफ आदिवासी लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और हिंसा भड़क गई. 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है जबकि 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. मणिपुर उच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य सरकार को कहा था कि वह मैतेई समुदाय के एसटी दर्जे की मांग पर 4 सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजे. इसके बाद ही आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था. उसी दौरान यह हिंसा भड़की. फिलहाल, 9 हजार लोगों को राज्य सरकार के परिसरों में रखा गया है और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं.
उत्तर पूर्व की अनदेखी है बड़ा कारण
मणिपुर में हिंसा भड़कने का तात्कालिक जो कारण था. वह यहां मैतेई कम्युनिटी है. यह समुदाय मेजॉरिटी है. उन्होंने अपने लिए एसटी स्टेटस की मांग की है. उनकी इस मांग की वजह से राज्य की जो बाकी कम्युनिटीज हैं, जैसे कुकी या नगा. वे लोग इस मांग से भड़क गए हैं, वहां के आदिवासी समुदाय के लोग भड़क रहे हैं. इसके लिए थोड़ा मणिपुर के भूगोल को समझना पड़ेगा. वह पहाड़ी और मैदानी इलाके में बंटा है. मैदानी इलाके में मैतेई हैं, जबकि आदिवासी अधिकतर पहाड़ी इलाके में बसे हुए हैं. पहाड़ी इलाका हमेशा से पिछड़ा रहा है और उसकी अनदेखी की गई है.
आप अगर उत्तर-पूर्व की राजनीति देखें तो पहाड़ी इलाकों को लंबे समय तक नेग्लेक्ट किया गया है. आरोप लगाया जाता है कि सरकार हरेक समुदाय के प्रति समान व्यवहार नहीं करती. इसलिए, बहुतेरे इलाके और वहां के लोग पिछड़े ही रह जाते हैं. अब यहां के आदिवासियों का कहना है कि अगर मैतेई समुदाय को भी एसटी बना दिया तो उनके रोजगार से लेकर बहुतेरे आयामों पर प्रभाव पड़ेगा. हो सकता है कि और भी कारण हों, लेकिन फिलहाल तो ये कारण सबसे बड़ा है.
खराब प्रशासन है सबसे बड़ा कारण
अधिकांश उत्तर-पूर्व के राज्यों का जो शासन रहा है, वह बेहद बुरा है. हमारे मेनस्ट्रीम मीडिया में भी इसकी खबर नहीं आती, इसलिए यह धारणा बनती है कि यहां सब कुछ शायद ठीक चल रहा है. अभी-अभी नगालैंड में चुनाव हुआ, लेकिन कितने पत्रकार दिल्ली से आए, या कितनों ने बात की, उसके ऊपर? बहुत कम पत्रकार आए. मणिपुर के भ्रष्टाचार, असमानता या खराब प्रशासन पर तो कोई बात नहीं करता. इसलिए, ऐसा लग सकता है कि मणिपुर अपेक्षाकृत शांत है, लेकिन वह है नहीं.
जो गवर्नेंस है यहां का, उस पर अगर हम रोजाना नजर रखें, तभी हमें असली हालात का पता चलेगा. न केवल मणिपुर का बल्कि नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश सहित सभी उत्तर-पूर्व के राज्यों के प्रशासन को करीब से देखने और समझने की जरूरत है.
यह सरकार नाम बदलने में माहिर
अभी की जो केंद्र सरकार है, उसके बारे में क्या ही कहा जाए, वह तो सबको मालूम है. वे नाम बदलने में माहिर हैं. लुक ईस्ट पॉलिसी को एक्ट ईस्ट कर दिया, प्लानिंग कमीशन को बदलकर नीति आयोग कर दिया. जमीन पर हालात जस के तस हैं. आप मणिपुर की सड़कें देखिए, नगालैंड का इंफ्रास्ट्रक्चर देखिए, मिजोरम के अंदरूनी इलाके देखिए, हरेक जगह आपको निराशाजनक हालात दिखेंगे. दिल्ली से दरअसल हालात दिखते नहीं हैं. यहां कोई बदलाव नहीं है. बस, नैरेटिव बदला है कि देखोजी हम तो बहुत काम कर रहे हैं, उत्तर पूर्व के लिए. ग्राउंड पर कुछ भी नहीं बदला है. पहाड़ी इलाकों में पीने का पानी नहीं है, सड़कें इतनी खराब हैं कि गाड़ी 10 किमी प्रति घंटे चलता है. ट्रेन यहां अभी तक पहुंची नहीं है. सभी पैमानों पर हालात बहुत बुरे हैं. अभी बहुत कुछ करने का स्कोप है.
खराब प्रशासन और असमानता है कारण
इस गतिरोध को दूर करने का एक ही उपाय है कि आप सारे समुदायों को बराबरी से देखें. उन्हें समान अवसर दें, समानता से व्यवहार करें. अब एक समुदाय है कुकी. वह बहुत छोटी जनजाति है. मैतेई जो है, वह जाति है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि बात चाहे कहीं की भी हो, चाहे वह नगालैंड हो, अरुणाचल हो या मणिपुर हो, वहां सभी समुदायों का विकास करना चाहिए. आप अगर सभी को समान मानवीय आधार पर ट्रीट करें तो किसी को भी स्पेशल ट्रीटमेंट देने की जरूरत नहीं है. मैतेई क्यों एसटी स्टेटस मांग रहे हैं? अगर आप काम करते हैं, विकास करते हैं, बराबर मौके देते हैं तो फिर कोई भी समुदाय स्पेशल स्टेटस नहीं मांगता. उनका स्पेशल स्टेटस मांगना बताता है कि राज्य में गवर्नेंस की कमी रही है, डेवलपमेंट नहीं हुआ है.
फिर कुकी इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? उनकी अपनी शिकायतें हैं. उनको अवैध शरणार्थी बताया जाता है, उनको गालियां दी जाती हैं. हो सकता है कि एकाध फीसदी लोग म्यांमार बॉर्डर से आते हों, लेकिन उसके आधार पर पूरे समुदाय को तो गाली नहीं दी जा सकती है. मणिपुर के कई बड़े पदों पर कुकी हैं, वह अपना योगदान दे रहे हैं, उनके कंट्रीब्यूशन को नकार नहीं सकते.
निष्कर्ष तौर पर यही समझना होगा कि पूअर गवर्नेंस और इनइक्वलिटी या असमानता, ये दो ही कारण हैं मणिपुर की हिंसा के पीछे. गवर्नमेंट को अगर हम प्रभावी बनाएं और थोड़ा सा लोगों के बीच समानता लाएं तो शायद इस समस्या का समाधान कर सकते हैं.
(यह आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)
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