एक्सप्लोरर

लोकसभा चुनाव परिणाम 2024

UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

नीतीश के नेतृत्व में अगर विपक्ष हुआ गोलबंद तो वन-टू-वन मुकाबला से बढ़ेंगी बीजेपी की मुश्किलें

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 24 अप्रैल को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकता में मुलाकात की. तीनों नेताओं ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता पर बात की.

खास बात यह है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव लगातार बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता के लिए कवायद कर रहे हैं. कोलकाता दौरे से पहले उन दोनों ने दिल्ली दौरा किया था जहां पर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी.

ऐसे में सवाल है कि अब तक ममता बनर्जी विपक्षी एकता से हट कर और कांग्रेस से किनारा करती रहीं हैं. लेकिन नीतीश कुमार से बातचीत के बाद उन्होंने कहा है कि हम सभी (विपक्ष) को एक साथ बैठकर इसके लिए रणनीति तैयार करने की जरूरत है. ऐसे में सवाल है कि क्या ममता बनर्जी अब अपनी एकला चलो की राह से इतर जाकर विपक्षी एकता के साथ होंगी. क्या वे भाजपा के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता का समर्थन देंगी.

नीतीश कुमार पिछले छह महीने से विपक्षी एकता के लिए प्रयास कर रहे हैं. सभी को एक साथ बीजेपी के खिलाफ गोलबंद करने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार की इच्छा है कि कांग्रेस के नेतृत्व में एक महागठबंधन बने. चूंकि कांग्रेस एक राष्ट्रव्यापी पार्टी है और उसका कमोबेश भारत के हर राज्य में अपना जनाधार है. इसके जरिए बीजेपी का 2024 में वन-टू-वन फाइट हो. जिस तरह से 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ तमाम विपक्षी दल गोलबंद हो गये थे. इसके बाद 1989 में राजीव गांधी के खिलाफ विपक्षी पार्टियां गोलबंद हो गईं थी. उस वक्त भाजपा, जनता दल, भाकपा और अन्य कई विपक्षी दल कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हो गए थे. उसी तरह इस बार नीतीश कुमार चाहते हैं कि भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ देश भर की विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़े और जब भी सत्ताधारी दल का मुकाबला विपक्षी पार्टियों के गठबंधन से होता है तब-तब सत्ता पक्ष को पराजित होना पड़ता है.

चूंकि इसमें वोटों का बिखराव नहीं होता है. कुछ दिन पहले तक यह बात सामने आ रही थी कि विपक्षी पार्टियां सीबीआई और ईडी के डर से भी गोलबंद नहीं होना चाहते हैं क्योंकि जो भी विपक्षी एकता की बात करेगा उसे लालू प्रसाद यादव की तरह जेल में डाल दिया जाएगा. ईडी और सीबीआई के छापे पड़ेंगे. इसलिए न ममता बनर्जी, न मायावती और न अखिलेश यादव भी साथ नहीं आ सकते हैं. शरद पवार भी अपना बयान बदल रहे थे. ये तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रहीं थीं.

लेकिन जब विपक्षी एकता की बात हुई तो कांग्रेस ने पहल की और नीतीश कुमार को आगे बढ़ाते हुए विपक्षी एकता की कवायद को आगे बढ़ाया. एक प्रकार से कांग्रेस ने नीतीश कुमार को विपक्ष को गोलबंद करने का जिम्मा सौंपा दिया है. एक तरह से आप इसे अघोषित तौर पर विपक्षी एकता का नेता नीतीश कुमार को कहा जा सकता है. कांग्रेस के संदेशवाहक के रूप में वो तमाम विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं.

मुझे जहां तक मालूम है नीतीश कुमार के 40 साल के राजनीतिक जीवन में अभी तक कोई दाग नहीं हैं. उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है. उनके ऊपर कोई केस-मुकदमा भी नहीं हैं. इस कवायद में जो पहली बैठक हुई उसमें केजरीवाल भी आए, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी थे, तेजस्वी यादव थे. उस बैठक में शामिल नेताओं पर अगर आप गौर से देखेंगे तो पाएंगे की इनमें से अधिकतर पर किसी भी प्रकार का कोई केस-मुकदमा नहीं था. ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सीबीआई और ईडी का जो डर था वो इसमें नहीं दिखा और यह बैठक काफी सफल रही.

उसके बाद से नीतीश कुमार सभी प्रमुख दलों से मुलाकात कर उन्हें गोलबंद करने की कोशिश कर रहे हैं. चूंकि अभी जो वर्तमान में हो रहा है, जैसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह का तानाशाही रवैया, संवैधानिक संस्थाओं को निरस्त किया जा रहा है, जिस तरह से अडानी और अंबानी को आगे बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को धूमिल किया जा रहा है, सार्वजनिक संस्थाओं को बेचा जा रहा है. रेलवे का निजीकरण कर दिया गया है. इन सभी मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार देश को बचाने के अभियान में जुटे हैं.

उसी अभियान के तहत वे ममता बनर्जी से मिले. ममता बनर्जी ने भी काफी सकारात्मक जवाब दिया है. यूपी में अखिलेश यादव ने भी सकारात्मक रिस्पॉन्स दिया है. इसलिए अब यह लग रहा है कि विपक्षी दल अपनी एकजुटता के लिए गोलबंद होंगे. मुझे लगता है कि अगर यह प्रयास सफल रहा और सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगी तो नरेंद्र मोदी और बीजेपी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. चूंकि नीतीश कुमार का छवि बेदाग रहा है. अभी तक यह बात कही जाती रही है कि नरेंद्र मोदी को टक्कर देने वाला कौन है. उनके सामने कौन खड़ा होगा. लेकिन कांग्रेस ने अघोषित तौर पर एक बेदाग छवि के नेता के रूप में नीतीश को बीजेपी और नरेंद्र मोदी के समक्ष खड़ा कर दिया है. नीतीश कुमार की अपनी एक साख भी है. वे बिहार में पिछले 18 वर्षों से शासन कर रहे हैं. ये राजनीतिक सफर उनका काफी बेहतर रहा है. वो जो सोचते हैं, विकास के योजनाएं बनाते हैं. वो काफी सराहनीय रहा है. एक तरह से बिहार का उन्होंने कायाकल्प किया है. देश भर में नीतीश कुमार की एक बढ़िया छवि है.

जहां तक बात लालू प्रसाद यादव का है. वो एक ऐसे नेता हैं जिनकी बात आज भी देश भर की विपक्षी पार्टियों के प्रमुख गौर से सुनते हैं. उनका सभी के साथ बहुत ही बढ़िया संबंध है. वे भी अपने स्तर से फोन पर बातचीत कर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. वे सभी को यह संदेश दे रहे हैं कि मोदी के खिलाफ गोलबंद होइए, नहीं तो जो कोई भी उनके खिलाफ खड़ा होगा उसे जेल में डाल दिया जाएगा. तो ये एक बड़ा अभियान चल रहा है.

मुझे लगता है कि यह 1977 और 1989 की तरह अघोषित रूप से गोलबंदी की कोशिश हो रही है. लोगों के बीच में मोदी-अडानी को लेकर बीजेपी की छवि थोड़ी धूमिल हुई है. लोग महंगाई से त्रस्त हैं. देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. बाजार की स्थिति ठीक नहीं है. इन सब चीजों को लेकर लोगों के मन में कहीं न कहीं नाराजगी है. लेकिन मीडिया मैनेजमेंट के कारण ये सारी बातें लोगों के बीच नहीं आ पा रही है. लोग महंगाई की मार, बेरोजगारी आदि को महसूस कर रहे हैं और ये बातें सोशल मीडिया के जरिए सर्कुलेट भी हो रही हैं.

नीतीश कुमार का आगे आना लोगों में चर्चा का विषय है. मुझे लगता है कि जिस तरह से कांग्रेस के साथ नीतीश कुमार विपक्षी गोलबंदी के अभियान में लगे हुए हैं और कहीं अगर ये प्रयास सफल हो जाता है और वन-टू-वन मुकाबला होता है तो इससे बीजेपी की मुश्किलें निश्चित तौर पर बढ़ेगी और हो सकता है कि उसे 2024 में शिकस्त का सामना भी करना पड़ जाए.

निश्चित तौर पर हर किसी राजनीतिक नेता की अपनी महत्वाकांक्षा होती है लेकिन नीतीश कुमार आज ही नहीं इससे पहले भी उन्होंने 2014 में भाजपा के खिलाफ अभियान छेड़ने की कोशिश की थी. उस वक्त और तमाम पार्टियां उनके साथ खड़ी नहीं हो पाई थी. यह भी देखा जाना चाहिए कि जब भी सत्ता पक्ष के खिलाफ कोई अभियान शुरू होता है तो वो उसके करीबी पार्टियां ही होती हैं या नेता होते हैं. वीपी सिंह, राजीव गांधी के बहुत करीब हुआ करते थे लेकिन बोफोर्स मामले पर वे उनसे अलग होकर आंदोलन शुरू किया था. इसके जरिए उन्होंने तमाम दलों को गोलबंद कर दिया था.

आज से छह महीने पहले तक केजरीवाल और ममता बनर्जी नीतीश कुमार को नहीं मान रहे थे. लेकिन अब वे भी मान रहे हैं. बीजू पटनायक का भी समर्थन मिलने की बात सामने आ रही है. 1989 में भी प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष का कोई नेता नहीं था. अभी भी वही स्थिति है कि कोई भी विपक्षी नेता यह नहीं कह रहा है कि मैं प्रधानमंत्री का उम्मीदवार हूं. न सोनिया गांधी, न राहुल गांधी, न नीतीश न ममता बनर्जी और न केजरीवाल तो मुझे लगता है कि जहां पर त्याग की भावना होता है. वहां पर सफलता अवश्य मिलेगी. 

जहां तक बिहार में सीटों के बंटवारे का सवाल है तो मुझे लगता है यह एक बड़ी लड़ाई है और इसमें सीटों के लिए आपसी सहमति से काम होगा. अभी तक जो फॉर्मूला नजर आ रहा है. उसके तहत नीतीश कुमार की पार्टी जदयू 15 सीटें, राजद 15 सीटें, कांग्रेस को 4 सीटों पर और 4 सीट पर सीपीआई का फार्मूला है. चूंकि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का मुख्य मकसद है कि किसी भी तरह से बीजेपी को रोका जाए. इसलिए ये सीटों का त्याग भी करने को तैयार हैं. राजद कभी भी 20 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थी लेकिन वो 15 पर लड़ने को तैयार है. ये फॉर्मूला मुझे लगता है कि तय है. नीतीश कुमार का एक सूत्रीय लक्ष्य है बीजेपी को परास्त करना, नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाना.
(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)
और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

India-Canada Relations: चीन के बाद भारत कनाडा के लिए सबसे बड़ा खतरा- जस्टिन ट्रूडो के देश का नया आरोप
ट्रूडो के देश का नया आरोप, चीन के बाद भारत कनाडा के लिए सबसे बड़ा खतरा!
NDA Meeting: NDA का बढ़ेगा कुनबा, भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत भी हो सकते हैं बैठक में शामिल
NDA का बढ़ेगा कुनबा, भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत भी हो सकते हैं बैठक में शामिल
Kangana Ranaut News: कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली कुलविंदर कौर के भाई की आई प्रतिक्रिया, कहा- 'मेरी बहन...'
कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली कुलविंदर कौर के भाई की आई प्रतिक्रिया, कहा- 'मेरी बहन...'
Grapes In Pregnancy: प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
metaverse

वीडियोज

Ayodhya में BJP की हार से सवालों में सारे दिग्गज, क्या UP में चल रही है समाजवादी की लहर ?Modi सरकार 3.0 में Agniveer पर होगी समीक्षा, डील-डिमांड की बारी । Lok sabha ElectionPublic Interest : मंत्रिमंडल की फाइनल DEAL क्या है? । Nitish Kumar । Naidu । Narendra ModiLoksabha Election Results : सहयोगी सहारे बहुमत मोदी चुकाएंगे बड़ी कीमत? । Modi । INDIA Alliance

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
India-Canada Relations: चीन के बाद भारत कनाडा के लिए सबसे बड़ा खतरा- जस्टिन ट्रूडो के देश का नया आरोप
ट्रूडो के देश का नया आरोप, चीन के बाद भारत कनाडा के लिए सबसे बड़ा खतरा!
NDA Meeting: NDA का बढ़ेगा कुनबा, भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत भी हो सकते हैं बैठक में शामिल
NDA का बढ़ेगा कुनबा, भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत भी हो सकते हैं बैठक में शामिल
Kangana Ranaut News: कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली कुलविंदर कौर के भाई की आई प्रतिक्रिया, कहा- 'मेरी बहन...'
कंगना रनौत को थप्पड़ मारने वाली कुलविंदर कौर के भाई की आई प्रतिक्रिया, कहा- 'मेरी बहन...'
Grapes In Pregnancy: प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
Online Frauds in Summer: अलर्ट! एसी रिपेयर से लेकर बिजली बिल तक, गर्मियों में खूब होते हैं ये ऑनलाइन फ्रॉड्स
अलर्ट! एसी रिपेयर से लेकर बिजली बिल तक, गर्मियों में खूब होते हैं ये ऑनलाइन फ्रॉड्स
Rajkummar Rao के नाम हुआ ये साल, 'श्रीकांत' और 'मिस्टर एंड मिसेज माही' से की दमदार वापसी
राजकुमार राव के नाम हुआ ये साल, 'श्रीकांत' और 'मिस्टर एंड मिसेज माही' से की दमदार वापसी
Delhi Rain: दिल्ली में बदला मौसम का मिजाज, येलो अलर्ट जारी, जानें- कब होगी बारिश
दिल्ली में बदला मौसम का मिजाज, येलो अलर्ट जारी, जानें- कब होगी बारिश
संसद परिसर से क्यों हटाई गई महात्मा गांधी-अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति? लोकसभा सचिवालय ने दिया ये जवाब
संसद परिसर से क्यों हटाई गई महात्मा गांधी-अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति? लोकसभा सचिवालय ने दिया ये जवाब
Embed widget