एक्सप्लोरर

पीएम मोदी के सामने मुकाबला करने न नीतीश आ रहे, न विपक्ष चाहता है किसी चेहरे को उतारना, इसके हैं ये 3 खास कारण

लोकसभा चुनाव 2024 लेकर सभी पार्टियों की तरफ से अब धीरे-धीरे रणनीति बनाई जाने लगी है. सभी दल इस जोड़-घटाव में लग गए हैं कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा जा सके, ताकि अधिक सीटें अपने खाते में लाई जा सके. इस बीच पीएम मोदी के सामने विपक्षी दलों की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर दूर-दूर तक कोई एक राय नहीं बनती दिख रही है. तीन दिन पहले शरद पवार ने राजधानी दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो तीन बातें कहीं थीं, उसमें उन्होंने ये कहा था कि हम प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नहीं तय कर रहे हैं, क्योंकि ये आवश्यक नहीं है. हम बीजेपी के विकल्प की तैयारी कर रहे हैं.

शरद पवार ने इसके लिए ये उदाहरण दिया कि 1977 में जब चुनाव हुआ तो विपक्ष का कोई भी उम्मीदवार नहीं था, लेकिन जनता पार्टी चुनाव जीत गई और बाद में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. लगभग यही बात पिछले कुछ समय से विपक्ष के कई नेता बोल रहे हैं. यहां तक की जनता दल यूनाइटेड नेता और बिहार सीएम नीतीश कुमार ने तो कहा कि मैं उम्मीदवार नहीं हूं, लेकिन उनके समर्थक लोग लगातार ये बात कहते रहे कि राष्ट्र आपकी प्रतीक्षा कर रहा है. उनकी पार्टी के लोग अलग-अलग मंचों पर ये बोलते रहे कि देश के नेता नीतीश कुमार हैं.  

क्यों पीछे हटे नीतीश कुमार?

हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी के लोगों ने ही पिछले दिनों से ये कहना शुरू किया कि 1977 में तो कोई नेता था नहीं, उसी तरह शिवानंद तिवारी जो आरजेडी के नेता हैं, उनका भी यही बयान आया. हमारी राजनीति की यह विडंबना है कि कई बार जब हम किसी मायने में अक्षम होते हैं, या हमारे अंदर वैसी सलाहियत नहीं होती कि हम अपना मनचाहा कर सकें तो उसे कई उदाहरणों से समझाया जाता है. यही भारत का विपक्ष अभी कर रहा है. ये माना जा सकता है कि लोकतंत्र में चेहरा न हो, तो कोई दिक्कत नहीं है. विचारधारा होनी चाहिए. विचारधारा के आधार पर लोग चुनाव लड़ें और फिर उसी के आधार पर लोग किसी एक नेता का चुनाव कर लें. हालांकि, ऐसा होता नहीं है.

दुनिया में हरेक लोकशाही में एक नेता होता है, नहीं तो बनाया जाता है और फिर उसके नाम पर चुनाव लड़ा जाता है. कोई भी पार्टी रहे, एजेंडे का शीर्ष व्यक्ति तो बताया ही जाता है. बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टियां जब तक ज्योति बसु रहे, उनको आगे कर चुनाव लड़ी. मुलायम सिंह यादव के रहते या अखिलेश यादव को नेता बनाकर क्या समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं लड़ी, क्या मायावती को नेत्री बनाकर बसपा चुनाव नहीं लड़ी? हरेक पार्टी जो वैसा तर्क दे रही है, खुद उसका उल्टा कर चुकी है. राकांपा की बात अलग है क्योंकि वह तीन पार्टियों के साथ चुनाव लड़ रही है, उसका नेता तय करना मुश्किल है. 


पीएम मोदी के सामने मुकाबला करने न नीतीश आ रहे, न विपक्ष चाहता है किसी चेहरे को उतारना, इसके हैं ये 3 खास कारण

विपक्षी नेताओं में आपसी सम्मान और सहमति नहीं

दरअसल, हरेक पार्टी का नेता तय है लेकिन केंद्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी के मुकाबले खड़ा कर दे, ऐसा नेता नहीं है, उस पर सहमति नहीं बन रही है. इसका पहला कारण तो यह है कि सबको पता है कि भले ही भाजपा कर्नाटक और हिमाचल का चुनाव हार चुकी है और अंदरूनी कलह की वजह से हारी है, लेकिन उसके वोट घटे नहीं हैं. जो असंतोष है, वह नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं है. विपक्ष को पता है कि नरेंद्र मोदी के कद या लोकप्रियता का कोई नेता अभी उपलब्ध नहीं है, और जो भी व्यक्ति सामने खड़ा होगा उस पर नरेंद्र मोदी और उनके लोग जिस तरह आक्रमण करेंगे, उसका सामना भला कैसे करेंगे, जो मसले उठेंगे, जो मुद्दे उखड़ेंगे, उसको झेलने के लिए कोई तैयार नहीं है. 

नीतीश कुमार और सभी नेताओं को यह पता है कि वे एक साथ भाजपा को हराने के लिए इकट्ठा तो हो रहे हैं, लेकिन उनमें आपस में इतना भी सहयोग और विश्वास नहीं है कि किसी एक को प्रोजेक्ट कर सकें. ममता बनर्जी या के चंद्रशेखऱ राव या शरद पवार क्या नीतीश कुमार को नेता मान लेंगे? तेजस्वी यादव भले मान सकते हैं. नीतीश कुमार जानते हैं कि अभी जो बिहार की हालत है, उसमें मोदी के खिलाफ उनको चेहरा बनाया जाएगा,लेकिन आगे अगर धक्का लगा तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी खतरे में पड़ जाएगी. उनके लिए तो अस्तित्व का सवाल है. उनके पास काम ही ये है कि वह विपक्ष को इकट्ठा करें, विपक्ष को साथ लाएं और माहौल बनाए रखें. 

आम लोग तो चाहेंगे विपक्ष का उम्मीदवार देखना 

1977 में जब मोरारजी देसाई नेता बने और जिसके बारे में ये बात कर रहे हैं, तो उस समय जयप्रकाश नारायण के तौर पर एक विराट व्यक्तित्व उपलब्ध था. जो विपक्ष कह रहा है, वह स्थिति अभी है नहीं, न ही कोई जेपी उपलब्ध हैं. आम लोग देखना चाहेंगे कि  विपक्ष का नेता कौन है, लेकिन नरेंद्र मोदी के सामने खड़े होने का कोई साहस नहीं कर रहे हैं.

आपस में इनके सम्मान नहीं है, विश्वास नहीं है कि फलाने को हम चेहरा बना दें, फिर जो बन सकता है चेहरा वो भी डरा हुआ है. दूसरी बात ये है कि वोटर्स का एक बड़ा जो ग्रुप है, वह राज्यों में भले बीजेपी को हरा दे, लेकिन मोदी के आने के बाद जो हिंदुत्व और हिंदुत्व अभिप्रेरित राष्ट्रवाद की जो चेतना घनीभूत हुई है, वह राष्ट्रीय स्तर पर यह बड़ा समूह मानता है कि इस वक्त अगर मोदी को हटाया तो जो इतिहास में बदलाव है, धर्म-संस्कृति को लेकर जो काम हो रहा है, जो देवालयों का उद्धार हो रहा है, वह सारे काम रुक जाएंगे. विपक्ष में इसकी अभिव्यक्ति करनेवाला नरेंद्र मोदी के समानांतर कोई नेता नहीं है. 

विपक्षी एकता की बात करने से पहले यह समझना चाहिए कि विपक्ष कहने से तो यूनिट का बोध होता है. यह तो भाजपा विरोधी पार्टियों की एकता हो रही है. अरविंद केजरीवाल पहले कहते थे कि विपक्षी एकता से उन्हें कोई मतलब नहीं, वह अकेले लड़ेंगे. अब जैसे-जैसे भ्रष्टाचार के मुकदमे हुए हैं और दो बार केंद्र की सत्ता में नहीं पहुंच पाने की जो ठेस है, वह लोगों को लग रहा है कि अगर सब नहीं मिले तो भैया कितने लोग जेल जाओगे, कितनी पार्टी नष्ट हो जाएगी, उसका तो हिसाब नहीं रहेगा. इसलिए, सब इकट्ठे हो रहे हैं. विपक्ष के लड़ने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन एक स्पष्ट विचारधारा तो होनी चाहिए. उस विचारधारा का एक चेहरा तो होना चाहिए. अगर यह दोनों ही बातें नहीं है, तो दिक्कत होती है और विपक्षी एकता कमजोर होती है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू की दो टूक
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में राम मोहन नायडू की दो टूक
'20-30 गुंडों के साथ आक्रमण किया गया, न्यूड वीडियो…', तेज प्रताप यादव पर उनके कार्यकर्ता का आरोप
'20-30 गुंडों के साथ आक्रमण किया गया, न्यूड वीडियो…', तेज प्रताप यादव पर उनके कार्यकर्ता का आरोप
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
ABP Premium

वीडियोज

Saas Bahu Aur Saazish: मंगल- कुसुम जा रहें है जोर्जिया
IT Refund Delay का असली कारण! हजारों Taxpayers के Refund क्यों रुके हैं? |Paisa Live
Amritsar पहुंचीं Cm Rekha Gupta,  दरबार साहिब जाकर टेका  माथा | Breaking | ABP News
Kiyosaki का बड़ा दावा: BRICS ने बनाई Gold Currency! असली सच्चाई क्या है ? Paisa Live
Parliament Session: 6 वें दिन भी इंडिगो की बदइंतजामी का मुद्दा विपक्ष ने संसद में उठाया । Congress

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू की दो टूक
'ऐसा एक्शन होगा, जो भविष्य के लिए नज़ीर बनेगा', इंडिगो संकट पर संसद में राम मोहन नायडू की दो टूक
'20-30 गुंडों के साथ आक्रमण किया गया, न्यूड वीडियो…', तेज प्रताप यादव पर उनके कार्यकर्ता का आरोप
'20-30 गुंडों के साथ आक्रमण किया गया, न्यूड वीडियो…', तेज प्रताप यादव पर उनके कार्यकर्ता का आरोप
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
भारतीय रुपये के मुकाबले किस देश की करेंसी है सबसे कमजोर, किस नंबर पर आता है पाकिस्तानी रुपया?
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
पलाश के साथ शादी टूटने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना, क्रिकेटर की फोटो हुई वायरल
रणवीर से संजय दत्त तक, जानें- 'धुरंधर' में किस स्टार ने निभाया कौन सा रियल लाइफ किरदार
रणवीर से संजय दत्त तक, जानें- 'धुरंधर' में किस स्टार ने निभाया कौन सा रियल लाइफ किरदार
Metro Jobs: इस शहर की मेट्रो ट्रेन में निकली वैकेंसी, होना चाहिए ये सर्टिफिकेट, ऐसे करें Apply
Metro Jobs: इस शहर की मेट्रो ट्रेन में निकली वैकेंसी, होना चाहिए ये सर्टिफिकेट, ऐसे करें Apply
Heart Attack In Women: 40 साल से कम उम्र की महिलाओं को ज्यादा क्यों पड़ता है हार्ट अटैक, क्यों मिस हो जाते हैं इसके वॉर्निंग साइन?
40 साल से कम उम्र की महिलाओं को ज्यादा क्यों पड़ता है हार्ट अटैक, क्यों मिस हो जाते हैं इसके वॉर्निंग साइन?
समय रैना वाले पनौती ने लगाई इंडिगो की लंका? वायरल वीडियो ने मचाई सोशल मीडिया पर सनसनी- यूजर्स हैरान
समय रैना वाले पनौती ने लगाई इंडिगो की लंका? वायरल वीडियो ने मचाई सोशल मीडिया पर सनसनी- यूजर्स हैरान
Embed widget