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Opinion: निर्मला के बजट में कृषि से डिजिटल तक खास जोर, बढ़ेगा उपभोग, लेकिन पैसा कहां से आएगा?

मोदी सरकार के तीसरा कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट अच्छा और प्रगतिशील कदम है. उपभोग को बढ़ाने वाला बजट है. इसके साथ ही, सतत् विकास का आगे लेकर जाने के लिए जो कदम उठाए जा सकते हैं. इसको स्मार्ट बजट कहा जा सकता है, एक अच्छी मंशा के साथ ये बजट लाया गया है. 

चूंकि, ये चुनावी वर्ष नहीं है और मोदी सरकार का ये तीसरा कार्यकाल है. इसमें कुछ वर्षों से डिमांड की जा रही थी कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कैसे बढ़ाया जाए. मौजूदा वित्तीय वर्ष में जो उम्मीद है वो 6.4 प्रतिशत का जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 8 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है. 

जीडीपी में रफ्तार की कमी का मतलब ये है कि रोजगार सृजन कम हो रहा है, उद्योग अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है. इसके अलावा, देश में उपभोग में लगातार कमी आ रही है. इसी को बढ़ावा देने के लिए लगातार इन चीजों की मांग की जा रही थी.

उपभोग को बढ़ावा देनेवाला बजट

बजट से ठीक एक दिन पहले जो आर्थिक समीक्षा पेश की गई, उसमें भी सरकार से ये उम्मीद लगाई गई थी कि अगर विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना हैं तो जीडीपी ग्रोथ को 8 प्रतिशत से ऊपर लेकर जाना होगा और ऐसा करीब दो दशक तक लगातार बने रहना चाहिए.

इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसा सोचा कि जीडीपी ग्रोथ तब बढ़ेगी जब उपभोग बढ़ेगा. लोग अधिक से अधिक खर्च करेंगे तो अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत जाएगा. इसी वजह से 12 लाख तक की आय को कर के दायरे से पूरी तरह बाहर रखा गया है.

एक्सपर्ट्स का ये मानना था कि 10 लाख तक की आय करमुक्त होना चाहिए. सरकार ने उससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए उसे 12 लाख रुपये कर दिया है. साथ ही, 75 हजार स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत सीमा दी है.

यानी 12 लाख 75 हजार तक अगर किसी की आय है तो उसे टैक्स नहीं देना होगा. इस लिहाज से ये एक बड़ा कदम है. बैंकिंग सेक्टर की भई ये शिकायत थी कि बैंक में लोगों के सेविंग्स के पैसा कम जमा हो रहे हैं, क्योंकि सरकार ने ब्याज कम कर दिया है. सरकार ने ब्याज को लेकर भी सुधार की बात की है.

बैंकिंग सेक्टर में रिफॉर्म की जरूरत

लोगों में हाथ में अगर पैसा होगा तो जरूर वे बाजार में ही खर्च करेंगे, वो चाहे कार हो, घर हो या फिर अन्य चीजों पर. रियल एस्टेट सेक्टर की डिमांड थी कि घरों की बिक्री काफी कम हुई है. शहर में काफी घर बने हुए हैं, लेकिन वो बिक नहीं पा रहे हैं. मध्यम वर्ग को थोड़ी राहत दी जाए, ताकि अर्थव्यवस्था को ग्रोथ मिल पाए. 

इस बजट में ये भी देखा जा रहा है कि कृषि क्षेत्र को वापस पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है. निर्मला सीतारमण के भाषण की शुरुआत में उन्होंने कृषि क्षेत्र को खासतौर पर फोकस किया है. इसके अलावा, डिजिटल सेक्टर पर भी खास फोकस किया गया है. न्यू एटॉमिक एनर्जी को आगे बढ़ाने की बातें कही गई है. इलेक्ट्रिक व्हिकल्स के लिए बैट्री को लेकर काफी कुछ घोषणाएं की गईं हैं.  

यानी, इसे मिशनरी बजट के तौर पर भी देखा जा सकता है, जिसे एक मिशन पर लेकर चला जाता है. वो चाहे बात एग्रीकल्चर सेक्टर, सर्विस सेक्टर, इंडस्ट्री सेक्टर या फिर किसी अन्य सेक्टर की बात हो. मतलब संरचनात्मक सुधारों की तरफ अब सरकार ध्यान दे रही है और उसमें उस तरह का एलान किया गया है. ये बजट अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने का काम करेगा.

टैक्स के मोर्चे पर सरकार सरलीकरण की तरफ आगे बढ़ रही है. हालांकि, जीएसटी को लेकर सरकार ने अभी कोई एलान नहीं किया है. ऐसी उम्मीद थी कि अप्रत्यक्ष कर है, उसे भी आसान बनाया जाए. हो सकता है कि इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार ने नया आयकर कानून बनाने का एलान किया है.

कर स्ट्रक्चर में सुधार

स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा पहले भी 75 थी, नई कर व्यवस्था में, अब भी 75 रखी गई है. यानी आपकी जो कुल साल भर की कमाई होती है उसमें से 75,000 को (-) माइन्स कर दिया जाएगा. उसके बाद जो पैसा बचेगा उसपर टैक्स लगेगा. यानी कि 12 लाख और 75 हजार की सालाना आयी होगी उस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन 12 लाख से ऊपर आये पर टैक्स लगेगा. जो इस प्रकार से समझ सकते है.

-15 लाख रुपये आय तक 5% टैक्स लगेगा.
-15 लाख रुपये से ऊपर 10% टैक्स लगेगा.
-20 लाख रुपये से ऊपर 20% टैक्स लगेगा.
-24 लाख रुपये से ऊपर 30% टैक्स लगेगा.

इसके अलावा लोगों को TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) में राहत दी गई है. TDS रेट अभी अनाउंस नहीं हुआ है कि कितना परसेंट कम होगा. लेकिन अभी जो परसेंट है उसे उससे कम करेंगे जैसे अभी 10% के आसपास TDS है, तो उसे कम करने की कोशिश की जाएगी.

TCS को भी बनाना है आसान बनाने की बात की गई है.  TDS (स्रोत पर कटौती) और TCS (स्रोत पर टैक्स कलेक्शन) टैक्स के मोर्चे पर सरकार उसको सरल करने की तरफ जा रही है. लेकिन, GST को लेकर सरकार ने कोई घोषणा नहीं की हैं. उम्मीद थी कि अप्रत्यक्ष कर को सरल करने की आवश्यकता है. हालांकि, उस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने नया इनकम टैक्स कानून बनाने का एलान किया है. इसी सत्र में संसद पटल पर इसका मसौदा आएगा.

हेल्थ सेक्टर के लिए घोषणाएं एक अच्छा कदम है. कैंसर की दवाइयों को ड्यूटी फ्री करने की बात कही गई है, भारत में विदेश से कोई दवाई का आयात होगा तो उसपर कोई सीमा शुल्क नहीं लगाया जाएगा.  6 और अन्य जीवन रक्षक दवाओं के आयात पर सीमा शुल्क कम की जाएगी. इन सबके बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर पैसा कहां से इतना आएगा, इस पर अभी चीजें स्पष्ट नहीं है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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