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महाकुंभ का सफल और ऐतिहासिक आयोजन पूरी दुनिया को हमारा संदेश

प्रयागराज की पुण्य भूमि पर 144 वर्ष बाद हुए महाकुंभ के सफल आयोजन ने एक सामर्थ्यवान राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को वैश्विक पटल पर कई गुना अधिक समृद्ध किया है. महाकुंभ के प्रति भारत के गांव-गांव में और समाज के हर वर्गों में जबरदस्त उत्साह दिखा, वो चाहे महिलाएं हों या बुजुर्ग, दिव्यांग हों अथवा बच्चे. इस महाकुंभ के दौरान आस्था के अमृत जल धारा में डुबकी लगाने को लेकरजो उत्साह और उमंग देखा गया उसकी दूसरी कोई मिसाल मिलना दुर्लभ है.

महाकुंभ में भाग लेने वालों का उनके गांवों से सत्कार और स्वागत के दृश्य न केवल भाव विभोर कर देने वाले थे, बल्कि किसी कारणवश महाकुंभ से प्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़ सकने वाले लोगों ने भी इस आयोजन से अपना मानसिक जुड़ाव खुलकर प्रदर्शित किया. यह इस भव्य आयोजन की सबसे खास उपलब्धियों में से एक है.

45 दिनों तक चले इस भव्य आयोजन ने अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए. प्रयागराज की धरती पर जहां एक ओर अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए देश के कोने कोने से आए श्रद्धालुओं का अथाह जनसैलाब दिखा, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक दृष्टिकोण से भी इस आयोजन से देश और विशेषकर उत्तर प्रदेश को काफी लाभ हुआ है.

इस आयोजन की सबसे खास विशेषता करोड़ों की संख्या में श्रद्दालुओं का संगम नगरी में  भाग लेना था. महाकुंभ के संपन्न होने के बाद जारी हुए अंतिम आंकड़ों के अनुसार 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस दुर्लभ अवसर के साक्षी बने. चीन और भारत के बाद यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है. 

महाकुंभ में भाग लेने वालों श्रद्धालुओं की ये संख्या दुनिया की कुल हिन्दू आबादी का 50 फीसदी से भी अधिक है. ये संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल आबादी से करीब दुगनी है. दुनिया के किसी भी और आयोजन में इतनी संख्या में भाग लेने का कोई अन्य उदाहरण नहीं मिलता.

महाकुंभ के दौरान इस आयोजन का जिस कुशलता के साथ उत्तर प्रदेश सरकार, रेल मंत्रालय सहित अन्य संबंधित विभागों ने प्रबंधन किया, उसने पूरी दुनिया को विस्मित कर दिया है. प्रबंधन और प्लानिंग के क्षेत्र में कार्य करने वाले शोधार्थियों के लिए प्रयागराज महाकुंभ का सफल प्रबंधन, शोध और उत्सुकता का विषय बन गया है.

न्यूयॉर्क में भारत के वाणिज्य दूतावास में सोमवार को आयोजित विशेष चर्चा (इनसाइट्स फ्रॉम द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट स्प्रिचुअल गैदरिंग - महाकुंभ) में हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने महाकुंभ के उत्तम प्रबंधन की तारीफ करते हुए इसे परंपरा और प्रौद्योगिकी का 'संगम' बताया.

यह महाकुंभ आस्था के साथ अर्थव्यवस्था में भी अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए सदैव अविस्मरणीय रहेगा. एक अनुमान के मुताबिक इस आयोजन से उत्तर प्रदेश की जीडीपी में करीब तीन लाख करोड़ रुपए जुड़ेंगे. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी तीन लाख करोड़ से अधिक के व्यवसाय की बात कही है.

महाकुंभ से 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए. ये आंकड़े उन सनातन विरोधियों के ऊपर करारा प्रहार है जो ये बात कहते नहीं थकते कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होगी!

महाकुंभ में स्वच्छता का भी पूरी तरह से ख्याल रखा गया, जहां 15,000 से अधिक स्वच्छता कर्मी दिन-रात सेवा भाव से अपने कार्य में लगे रहे. 19,000 लोगों ने एक साथ झाड़ू लगाकर नया रिकॉर्ड भी कायम किया. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए राज्य सरकार की तरफ से समुचित प्रबंधन किया गया. वहां पर 6 लाख लोगों का महाकुंभ में बनाए गए अस्थाई अस्पतालों में मुफ्त इलाज किया गया. महाकुंभ में “नेत्र महाकुंभ” के जरिए दो लाख से अधिक लोगों की मुफ्त में जांच की गई और उन्हें चश्मे दिए गए.

महाकुंभ के इस सफल आयोजन की चर्चा उन 75,000 पुलिसकर्मियों के अकथनीय सेवा और समर्पण के बिना अधूरी रहेगी, जिन्होंने संगम नगरी में आस्था के इस जनसैलाब के आयोजन के दौरान सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दिया. साथ ही, कर्त्तव्यपरायणता और मानसिक दृढ़ता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया.

इस महाकुंभ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वप्रथम “एकता के महाकुंभ” की संज्ञा दी, वस्तुत: इस महाकुंभ ने जाति, प्रान्त, भाषा यहां तक की राष्ट्रों की भौगोलिक सीमाओं जैसे विभाजनों को निष्प्रभावी कर दिया. जहां सब समान थे, सबका उद्देश्य भी समान था - अपनी आध्यात्मिक उन्नति.

लोगों को जाति और भाषा के नाम पर आपस में लड़ाकर राजनीति चमकाने वाले कई दलों को इस एकजुटता से हुई तकलीफ उनके महाकुंभ को लेकर दिए गए अशोभनीय बयानों से प्रतिबिंबित होती है. इस महाकुंभ ने ऐसी विभाजनकारी शक्तियों को भी स्पष्ट संदेश दिया कि इस देश में लोगों को बांटने की राजनीति अब नहीं चल सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुंभ के भव्य और सफल आयोजन ने दुनिया को हमारी असीमित क्षमता से परिचित करवाया है.

पूरी दुनिया संगम नगरी में महाकुंभ के सफल प्रबंधन पर चकित है. अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मीडिया संस्थानों, वैश्विक नेताओं से लेकर आर्थिक जगत के दिग्गजों तक ने महाकुंभ के सफल आयोजन के संदर्भ में भारत की क्षमता की समवेत स्वर में सराहना की है.

इससे प्रत्येक भारतीय का मस्तक गर्व से ऊंचा हो गया है. आने वाले वर्षों में भारत की तरफ से पीएम मोदी के नेतृत्व में ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी का दावा करने जा रहा है. महाकुंभ के इस ऐतिहासिक सफलता ने हमारे इस दावे को ठोस आधार प्रदान किया है. आज विश्व का कोई भी देश विशाल आयोजनों के सफल संचालन में भारत की क्षमता पर प्रश्नचिह्न नहीं खड़ा कर सकता है. महाकुंभ की इस अविस्मरणीय सफलता के लिए पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बधाई के पात्र हैं.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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