व्यंग्य: अच्छा हुआ ताज भगवा या हरा नहीं हो रहा
ताज की दुर्दशा से आहत सुप्रीम कोर्ट ने ताज को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समिति बनाने का फैसला किया है। दो साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट सरकार से पूछेगी कि भइया, बताओ समिति ने क्या किया? पता चलेगा कि सातवें अजूबे को प्रदूषण मुक्त कराने के नाम पर अधिकारियों ने दुनिया के छह अजूबों की सैर कर ली और 30-40 करोड़ का बिल सरकार को थमा दिया।

देश की सरकारों के शवों का कभी पोस्टमार्टम हुआ तो पता चलेगा कि सरकारों के पास दिल, जिगर, फेफड़े, हाथ, पैर सब होते हैं लेकिन कान नहीं. वे किसी की नहीं सुनतीं. आम आदमी तो खैर 'आम' है ही, जिसे चूसने में मजा आता है लेकिन सरकारें सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं सुनती. सुप्रीम कोर्ट 1995 से कह रहा है कि ताजमहल को प्रदूषण से बचाओ. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र और राज्य सरकार पर इतना चिल्ला चुका है कि यह आवाज अगर डेसिमल में नापी जा सकती तो खुद सुप्रीम कोर्ट ध्वनि प्रदूषण फैलाने के आरोप में घिर जाता. बावजूद इसके सरकारों के कानों पर कभी शायद जू इसीलिए नहीं रेंगी क्योंकि उसके कान हैं ही नहीं. इस बीच, ताजमहल के कभी भूरे, कभी पीले कभी काले होने की खबर आती चली गई. अच्छा हुआ कि ताजमहल के कभी भगवा या पूरी तरह हरा होने की खबर नहीं आई, वरना मामला घनघोर सांप्रदायिक हो जाता.
ताज की दुर्दशा से आहत सुप्रीम कोर्ट ने ताज को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समिति बनाने का फैसला किया है. दो साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट सरकार से पूछेगी कि भइया, बताओ समिति ने क्या किया? पता चलेगा कि सातवें अजूबे को प्रदूषण मुक्त कराने के नाम पर अधिकारियों ने दुनिया के छह अजूबों की सैर कर ली और 30-40 करोड़ का बिल सरकार को थमा दिया. बाकी- हाल वैसे का वैसा.
सुप्रीम कोर्ट इतना खफा है कि उसने कह डाला है- या तो इसे खूबसूरत बनाओ या ध्वस्त कर दो. अधिकारी कंफ्यूज हैं कि क्या ताजमहल को ढहाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट वास्तव में दे सकता है? अगर हां, तो क्या उन्हें अपने अपने ठेकेदारों को सूचित कर देना चाहिए कि भइया करोड़ों टन संगमरमर उठाने का ठेका तुम्हें मिल सकता है, आकर पहले सेटिंग कर लो.
वैसे, ताजमहल अगर ढहा दिया गया तो पांच पक्ष सबसे ज्यादा खुश होंगे. पहला, आगरा के वे लोग, जिन्हें हर हफ्ते, दो हफ्ते में रिश्तेदारों को ताजमहल घूमाने ले जाना पड़ता है. आगरा के कई परिवारों में तो एक बेरोजगार बंदा सिर्फ इसी काम में लगा हुआ है कि वो रिश्तेदारों को ताजमहल घुमाए. दूसरा पक्ष है सरकार. सरकार सोचेगी, चलो बवाल कटा. कोर्ट की लताड़ से मुक्ति मिली. तीसरा पक्ष है आतंकवादी. वे अरसे से प्लान बना रहे हैं कि ताजमहल को ढहा दें. कई बार ऐसी खबरें आईं कि आतंकवादी आगरा पहुंच गए हैं, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त के बीच उन्हें आगरा से सिर्फ पेठा खाकर वापस लौटना पड़ा. चौथा पक्ष है बंदर. इन दिनों ताज परिसर में पर्यटकों से ज्यादा बंदर रहने लगे हैं, और वे इंसानी अतिक्रमण से बहुत परेशान रहते हैं. और पांचवा पक्ष शाहजहां की आत्मा. वो कहेगी- अगर सरकारों को ताजमहल संरक्षण की तमीज नहीं तो उसका ढह जाना ही ठीक है.




























