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Opinion: पहली बार ऐसा हो रहा जब सबसे कम समय में लागू हो जाएगी आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें

केन्द्र सरकार केन्द्रीय कर्मचारियों के वेतन और भत्ते की समीक्षा के लिए महंगाई के अनुरूप समय-समय पर वेतन आयोग का गठन करती है. ऐसा प्राय: हर दस साल में एक बार होता है. इस बार भी सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन फैसला किया है.

आजादी से लेकर अब तक सात वेतन आयोग का गठन हुआ और इनकी सिफारिशें लागू हुईं. उसी के अनुसार केन्द्रीय कर्मचारियों और वेतनभोगियों के वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी हुई है. चूंकि, 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक खत्म हो रहा है, इसीलिए एक नए वेतन आयोग की जरूरत थी, जिसके आधार पर 1 जनवरी 2026 से 8वें वेतन आयोग लागू हो सके. 

इसमें एक तकनीकी पहलू ये है कि छठे वेतन आयोग (2006-2016 तक) में एक फिटमेंट योजना शुरू की गई थी. फिटमेंट योजना ये थी कि बेसिक सैलरी में कितने गुना की बढ़ोतरी होगी, उसका एक फार्मूला (नई सैलरी = बेसिक सैलरी X फिटमेंट फैक्टर) बनाया गया. ये फार्मूला छठे वेतन आयोग में था. उस वक्त बेसिक सैलरी में 1.86 गुणा की बढ़ोतरी की गई थी. वहीं, फॉर्मूला सातवें वेतन आयोग में लागू हुआ, जिसमें 2.56 गुणा सैलरी बढ़ी थी. यानी छठे और सातवें वेतन आयोग के बाद न्यूनतम वेतन में काफी बड़ी बढ़ोतरी हुई थी.

केन्द्रीय कर्मचारियों में खुशी

जब 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट योजना लागू होगी तो उसके हिसाब से ये करीब 2.8 गुणा से ज्यादा बढ़ सकती है. 7वें वेतन आयोग के हिसाब से 18,000 रुपये की बेसिक सैलरी मिनिमम तय की गई है. ये बेसिक सैलरी 18,000 से बढ़कर 25,000 रुपये तक हो सकती है या फिर उससे भी बढ़कर ये संभवतः 32,000 रुपये तक भी बढ़ सकती है. अभी एग्जैक्ट फिगर बताना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन, उस फॉर्मूले को लागू किया गया तो ये 32 हजार तक केन्द्रीय कर्मचारियों की बेसिक सेलरी हो सकती है.


Opinion: पहली बार ऐसा हो रहा जब सबसे कम समय में लागू हो जाएगी आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें

जबकि, पेंशनर्स की बात करें तो इस समय जहां 9 हजार रुपये बेसिक है, तो ये बढ़कर 20 से 22 हजार रुपये तक पहुंच सकता है. ये एक बड़ा बदलाव 8वें वेतन आयोग के लागू होने से आएगा. हालांकि, अभी ये सब तय होना बाकी है कि आठवें वेतन आयोग में कौन-कौन होगा, कौन इसके सदस्य होंगे. लेकिन नियम ये है कि हर बार जब वेतन आयोग लागू किया जाता है तो उससे पहले वेतन आयोग का गठन होता है. गठन होने के बाद उसमें सदस्यों की नियुक्ति होती है. 

सदस्य एक समीक्षा करते हैं. समीक्षा करने के बाद सदस्य सिफारिश करते है. वह सिफारिश केंद्र सरकार के सामने रखा जाता है और फिर उस सिफारिश पर केंद्र सरकार के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स उसे देखते हैं कि कौन सी चीजें लागू करने के लायक है? कौन सी चीज लागू करने के लायक नहीं है? उसे किस रूप में लागू किया जाएगा? निर्णय आने के बाद सिफारिश रिपोर्ट को समय से लागू किया जाता है. 

कम समय में लागू होंगी सिफारिशें

इससे पहले तक जितने भी वेतन आयोग हुए हैं, उसमें करीब 1.5 से 2 साल उस आयोग ने अपनी प्रक्रिया पूरी होने में समय लिया है. लेकिन, ये ऐसा पहली बार होने वाला है जब बहुत कम समय में यानी एक साल में ही आयोग सिफारिश भी करेगा और सरकार इसी दौरान निर्णय भी लेगी. इसके बाद 1 जनवरी 2026 से इसे लागू भी करेगी. इस बार ये एक नई चीज देखने को मिल रही है कि कम समय में सरकार 8वें वेतन आयोग को लागू करेगी.

दरअसल, नियम ये है कि अधिकारियों का एक कनफेडरेशन बना हुआ है. हमारे देश के अफसर और कर्मचारियों के अलग-अलग संगठन हैं. जब समय पूरा होता है तो वे उससे कुछ समय पहले से सरकार के सामने अपनी मांगें रखते हैं.

इस बार भी कनफेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स के एसोसिएशन ने लोकसभा चुनाव से पहले ही डिमांड रखी थी कि नए 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाए, ताकि उसकी प्रक्रिया शुरू हो सके. 


Opinion: पहली बार ऐसा हो रहा जब सबसे कम समय में लागू हो जाएगी आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें

इसका प्रोसेस ये है कि सरकार पहले वेतन आयोग का गठन करती है, उसके बाद आयोग उस पर काम करना शुरु करता है. इस काम में काम तय किया जाता है:

1-बेसिक पेंशन क्या होगा?  

2-महंगाई भत्ते को कैसे सिफारिश में आकलन किया जाएगा? 

3-HRA समेत अन्य भत्तों का का निर्धारण कैसे किया जाएगा? 

4-और, हर स्तर पर कितनी वृद्धि होगी?

कर्मचारियों का लेवल 1 से लेकर 12 तक है, उस हर एक लेबल पर किनकी वृद्धि कितनी होगी? यह सारे फार्मूला तय करके फिर वह अपनी सिफारिशों को सरकार को देते हैं. उस पर सरकार फिर अपना निर्णय लेती है. अभी तक के हिसाब से यही पूरी प्रक्रिया है.

अब जबकि वेतन आयोग के गठन का फैसला किया गया है तो ये सारी प्रक्रिया पूरी करेंगे उसको फिर आगे लेकर जाएंगे. ये तरीका है और इसी तरीके से अब तक वेतन आयोग काम करता रहा है. उसके हिसाब से कर्मचारी (जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार) के होते है, यह आयोग राज्य पर सीधे तौर पर लागू नहीं होता है, लेकिन परोक्ष तौर पर राज्य सरकार भी इसे लागू करती है और राज्य के कर्मचारियों को भी इसका फायदा होता है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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