जिस रणनीति से झारखंड में BJP को मिली शिकस्त, उसी फॉर्मूले पर बिहार में आगे बढ़ेगी कांग्रेस

कांग्रेस बिहार चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीति पर जोर दे रही है, जिसमें संगठन को मजबूत करना प्राथमिकता है. इसके लिए पार्टी नेताओं की तरफ से राहुल गांधी के निर्देश के पर ये साल संगठन सृजन का वर्ष के तौर पर मनाया गया. इसके साथ ही, पार्टी पूरे राज्य में सक्रिय कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी उपस्थिति बढ़ाने पर काम कर रही है. कांग्रेस का मानना है कि गठबंधन से पहले संगठन को मजबूत करना आवश्यक है, ताकि पार्टी की स्थिति बेहतर हो और वह गठबंधन में भी प्रभावी भूमिका निभा सके.
पार्टी के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि संगठन की मजबूती के बिना गठबंधन का कोई लाभ नहीं होगा. कांग्रेस सभी जिलों में अपनी सक्रियता बढ़ाने और 4 जिलों तक सीमित न रहने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी के भीतर ये भी चर्चा है कि मीडिया और विपक्षी दल कांग्रेस की तैयारियों को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का फोकस अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने पर है.
कांग्रेस ने बिहार में युवाओं और छात्रों के मुद्दों को केंद्र में रखते हुए पदयात्रा की योजना बनाई है, जिसमें कन्हैया कुमार अहम भूमिका निभा रहे हैं. बेरोजगारी और शिक्षा से जुड़े मसलों को लेकर पार्टी ने ये तय किया है कि छात्रों और युवाओं को जोड़ने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया जाएगा. एनएसयूआई के कार्यकर्ता पहले से ही छात्रों के साथ धरना-प्रदर्शन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. अब इसे व्यापक रूप देने के लिए पदयात्रा का सहारा लिया जा रहा है. कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने एक बार फिर प्रमुख चेहरा बनाकर प्रोजेक्ट करने की रणनीति अपनाई है, क्योंकि पार्टी का मानना है कि उनके छात्र और युवा वर्ग के बीच प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
कन्हैया कुमार पर लगाए गए राष्ट्रविरोधी आरोप केवल एक प्रोपेगेंडा था, जिसे जनता अब समझ चुकी है. पार्टी का मानना है कि कन्हैया कुमार की छवि को खराब करने की कोशिशें नाकाम रही हैं और उनकी लोकप्रियता छात्रों और युवाओं के बीच बरकरार है. बिहार के निवासी होने के नाते कन्हैया कुमार को राज्य के मुद्दों की गहरी समझ है और कांग्रेस इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है. पार्टी का फोकस इस बात पर है कि छात्रों और युवाओं के रोजगार, शिक्षा और अन्य समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे कांग्रेस को इस वर्ग का समर्थन मिल सके.

कांग्रेस ने ये तय किया है कि छात्रों और युवाओं के मुद्दों पर नेतृत्व करने के लिए कन्हैया कुमार को आगे बढ़ाया जाएगा, क्योंकि पार्टी का मानना है कि उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए थे, वे केवल एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थे. पार्टी ने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से "एंटी नेशनल" जैसे आरोपों का जवाब जनता खुद चुनाव में देगी. कन्हैया कुमार के "नौकरी दो और पलायन रोको" जैसे नारों को लेकर कांग्रेस ने इसे अपने अभियान का मुख्य हिस्सा बनाया है, ताकि युवाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत की जा सके.
राहुल गांधी के साथ होने वाली बैठक को होली के कारण स्थगित किया गया, लेकिन इसे लेकर मीडिया में कई तरह की अटकलें लगाई गईं. लेकिन गठबंधन में सब कुछ ठीक है और ये केवल विपक्षी दलों की ओर से फैलाया गया भ्रम है. जिस तरह से झारखंड के चुनावों में इंडिया गठबंधन ने मजबूती से प्रदर्शन किया था, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने कई तरह की अफवाहें फैलाई थीं, ऐसे में बिहार में भी जनता ऐसे अफवाहों को नकारते हुए कांग्रेस और उसके गठबंधन को समर्थन देगी.
झारखंड में जिस तरह से इंडिया गठबंधन ने भाजपा को हराया, उसी रणनीति को बिहार में भी अपनाया जाएगा. पार्टी ने ये सुनिश्चित किया है कि सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाएं और पुराने नेताओं को भी साथ में रखा जाए. हालांकि, पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि युवाओं और नए चेहरों को प्राथमिकता देना समय की मांग है, और इसी के तहत कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है.
बिहार में भी वही परिणाम दोहराए जा सकते हैं जो झारखंड में देखने को मिले थे, जहां गठबंधन ने भाजपा को करारी शिकस्त दी थी. पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि जो लोग पार्टियों को तोड़ने और भ्रम फैलाने का काम करते हैं, उन्हें जनता के समर्थन से हराया जाएगा. 56 विधायकों के साथ झारखंड में जो सफलता मिली, उसे बिहार में भी दोहराने की तैयारी है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि जब कोई मजबूत नेतृत्व पदयात्रा करता है, तो चर्चा होती है, और जितनी अधिक चर्चा होती है, उतनी ही पदयात्रा सफल मानी जाती है.
अखिलेश सिंह, जो प्रदेश अध्यक्ष हैं, और कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता मिलकर काम कर रहे हैं. पप्पू यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि पार्टी में कोई नाराजगी नहीं है और सभी एकजुट होकर बिहार की जनता को परेशानियों से मुक्त कराने के लिए काम करेंगे.
दरभंगा की मेयर अंजूम के बयान और जेडीयू द्वारा जारी नोटिस पर कांग्रेस ने कहा कि हर व्यक्ति अपनी भावनाओं को अपने तरीके से व्यक्त करता है. इस तरह की घटनाओं को लेकर कोई चिंता की आवश्यकता नहीं है. पार्टी ने यह भी कहा कि होली शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई, और जो लोग दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें जनता ने नकार दिया. राहुल गांधी के "नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान" खोलने के संदेश को दोहराते हुए कांग्रेस ने कहा कि नफरत और साजिशों को मोहब्बत और एकता से हराने में सफलता मिली है. पार्टी का मानना है कि बिहार में भी इसी भावना के साथ चुनावी रणनीति को आगे बढ़ाया जाएगा.

कांग्रेस ने यह स्पष्ट किया है कि धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का सम्मान करते हुए समाज में एकता और शांति बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है. पार्टी का मानना है कि ऐसे मुद्दों पर विवाद खड़ा करने के बजाय, सभी को मिलकर देश को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए. बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण में 14% की विकास दर को सकारात्मक संकेत मानते हुए कांग्रेस ने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार ने रोजगार के मोर्चे पर जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया है.
महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस ने आंकड़ों और जमीनी हकीकत के बीच अंतर को उजागर किया, यह कहते हुए कि भले ही रिपोर्ट्स में महंगाई कम होने का दावा किया गया हो, लेकिन आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिला है. पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी नीतियां और बयान आरएसएस के प्रभाव को दर्शाते हैं. विधानसभा में दिए गए उनके बयानों को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए और कहा कि बिहार की जनता इन बातों को गंभीरता से देख रही है.
महिलाओं के मुद्दों पर भी कांग्रेस ने नीतीश सरकार की आलोचना की, यह कहते हुए कि उनके शासन में महिलाओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. पार्टी ने यह भी कहा कि बिहार के लोग अब जागरूक हो चुके हैं और वे सरकार की नीतियों और उनके प्रभाव का गहराई से मूल्यांकन कर रहे हैं. कांग्रेस ने अपनी रणनीति को जनता के मुद्दों पर केंद्रित रखते हुए यह संदेश दिया है कि वे बिहार में एक नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
कांग्रेस ने यह स्पष्ट किया है कि बिहार में चुनाव मुद्दों पर लड़ा जाएगा और जनता के असल सवालों से भटकाने की किसी भी कोशिश को नाकाम किया जाएगा. पार्टी का मानना है कि आरएसएस के प्रभाव को खत्म करने के लिए बिहार के लोग पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी भ्रामक नारेबाजी का असर नहीं होगा. कांग्रेस ने अपनी रणनीति को मजबूत संगठन निर्माण पर केंद्रित किया है, जिसमें हर ब्लॉक और पंचायत स्तर पर पार्टी की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]



























