एक्सप्लोरर

BLOG: संसद का शीतकालीन सत्र बुला कर भी क्या हासिल होना था?

कोरोना वायरस का असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल रहा है. देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 1 करोड़ के आंकड़े की तरफ बढ़ रही है. इस बीच सरकार ने ऐलान किया है कि कोविड-19 के कारण इस बार संसद के शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं किया जाएगा. सरकार ने शीतकालीन सत्र को अगले साल जनवरी में होने जा रहे बजट सत्र के साथ संयुक्त कर दिया है.

इस वर्ष संसद का शीतकालीन सत्र न बुलाए जाने को लेकर विपक्ष, खासकर कांग्रेस के तेवर गरम हैं. संविधान का नियम और संसदीय परंपरा है कि एक सत्र बुलाने के छह माह के भीतर दूसरा संसद सत्र आयोजित हो जाना चाहिए. पिछला मानसून सत्र 14 सितंबर को शुरू हुआ था, जो निर्धारित तिथि से दस दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया था. अब केंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र को अगले साल जनवरी में होने जा रहे बजट सत्र के साथ संयुक्त कर दिया है. इस लिहाज से वह छह माह वाली परंपरा का पालन तो कर ले जाएगी, लेकिन बजट जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण सत्र के दौरान देश के जरूरी और किसानों से जुड़े मुद्दे उठाने की विपक्ष के पास कितनी जगह बचेगी?

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का दावा

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी का दावा यह है कि ठंड में कोरोना वायरस महामारी के जोर पकड़ने के मद्देनजर शीतकालीन सत्र को तीन हफ्ते आगे खिसकाया गया है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र सरकार अब से लगभग तीन हफ्ते बाद भारत से कोरोना का खात्मा हो जाने की गारंटी लेती है? अगर नहीं, तो जनवरी की भीषण ठंड में कोरोना की मौजूदगी के बावजूद बजट सत्र किस तर्क से आयोजित किया जा सकेगा?

जनता की नजरों में शंका क्यों ज्यादा बढ़ जाती है?

जनता की नजरों में शंका इसलिए ज्यादा बढ़ जाती है कि जब कोरोना का भारत में विस्फोट हो रहा था, तब अहमदाबाद में लाखों की भीड़ जुटाकर नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम आयोजित किया गया, विधायकों को झुंड में समेट कर एमपी की कांग्रेसी सरकार गिराई गई, राजस्थान की गहलोत सरकार गिराने की कोशिशों के तहत विधायकों के समूह होटलों में कैद किए गए, एमपी में ही उप-चुनावों के दौरान बीजेपी ने लाखों की भीड़ जुटाकर रैलियां कीं, पूरे बिहार में विधानसभा चुनाव करा लिए गए.

हैदराबाद महानगरपालिका के चुनावों के दौरान तो कोरोना का कहर झेल चुके गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ जैसे अन्य कई बड़े नेता हजारों की भीड़ के बीच भाषण देते रहे, भीड़ भरे धार्मिक आयोजन होते रहे, जीत के जश्न में लोग सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ाते रहे, अभी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं की रैलियां हो रही हैं, आगे भी होंगी; लेकिन इन सारे कार्यक्रमों के दौरान कोरोना से किसी को कोई खतरा महसूस नहीं होता!

मेरा मानना है कि जिस तरह मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने गिरती जीडीपी और अर्थव्यवस्था, हर सेक्टर की दुर्दशा, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी, अनापशनाप विनिवेश, चीन की घुसपैठ जैसे अहम विषयों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी, उससे कहीं ज्यादा तीखेपन के साथ वह शीतकालीन सत्र में सरकार को कृषि कानूनों और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर घेर सकता था और जनता की निगाह में ज्यादा फुटेज व माइलेज पा सकता था और केंद्र सरकार उसे यह मौका हरगिज नहीं देना चाहती थी.

PM मोदी ने किया था एलान- किसान और किसानी से जुड़े हालिया कानून वापस नहीं होंगे लेकिन पक्ष-विपक्ष के नफा-नुकसान को एक तरफ रखकर अगर हम गौर करें तो स्पष्ट है कि मानसून सत्र न बुला कर सरकार नए कृषि-कानूनों को लेकर संसद में जवाब देने से बच गई है. अगर वह चाहती तो किसानों की आशंकाएं दूर करने और इन कानूनों के लाभकारी होने की बात सामने रखने का उसके पास यह बेहतरीन और सबसे बड़ा मंच था.

वैसे भी जब पीएम मोदी पिछले दिनों बनारस से ऐलान कर चुके थे कि किसान और किसानी से जुड़े हालिया कानून वापस नहीं होंगे तो संसद का यह सत्र आयोजित होने पर इन्हें बदलने या वापस लेने की संभावना बहुत कम थी. विपक्ष गुलगपाड़ा करने के सिवा और क्या हासिल कर सकता था? संसद में तो विपक्ष की अनुपस्थिति में भी कानून पास कर दिए जाते हैं, अध्यादेशों के पिछले दरवाजों से हित साधे जाते हैं, बहुमत का बुल्डोजर असहमति या विरोध के सुर सड़क से लेकर संसद तक कहीं नहीं सुन रहा है!

शीतकालीन सत्र होता तो सरकार बढ़ जाता दबाव पूरे भारत के किसान नए कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आज भी दिल्ली की सीमाएं घेरे बैठे हैं. उनके संगठन आरोप लगा रहे हैं कि नए कृषि कानूनों को बनाने से पहले किसान संगठनों, किसान नेताओं या कृषि-विशेषज्ञों से केंद्र सरकार ने किसी तरह की कोई बात नहीं की. जाहिर है शीतकालीन सत्र होता तो उसमें इन कानूनों को बदलने अथवा रद्द करने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ जाता.

केंद्र सरकार चाहती तो वर्चुअल सत्र बुलाकर नया लोकतांत्रिक प्रयोग कर सकती थी

कोरोना तो एक बहाना है. अगर केंद्र सरकार चाहती तो डिजिटल इंडिया वाले इस दौर में वर्चुअल सत्र बुलाकर नया लोकतांत्रिक प्रयोग कर सकती थी. या फिर रोकथाम के जरूरी और सख्त उपाय करके संसद के विशाल सेंट्रल हॉल में भौतिक रूप से शीतकालीन सत्र बुला सकती थी. लेकिन प्रश्न सरकार की मंशा का है, देश के लोकतंत्र और किसानों के प्रति उसके रवैए का है. इस महामारी ने पक्ष या विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को नहीं बख्शा है. संसद में न बैठने के बावजूद कई दिग्गज कोरोना वायरस के मुंह में समा गए! तो क्या कोरोना सिर्फ संसद में छिपा बैठा है, जिससे सांसद और सरकार इतना डर रही है?

-विजयशंकर चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC औरफेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

कौन है जवाद सिद्दीकी, ED की रडार पर कैसे आया अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर? जानें सब कुछ
कौन है जवाद सिद्दीकी, ED की रडार पर कैसे आया अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर? जानें सब कुछ
Oath Ceremony: NDA सरकार के शपथ ग्रहण में विपक्ष के नेता भी आएंगे? जानिए किसे-किसे भेजा जा रहा आमंत्रण
NDA सरकार के शपथ ग्रहण में विपक्ष के नेता भी आएंगे? जानिए किसे-किसे भेजा जा रहा आमंत्रण
Rising Star Asia Cup: राइजिंग स्टार्स एशिया कप के सेमीफाइनल में इंडिया A की किससे होगी टक्कर? जानिए पूरा समीकरण
राइजिंग स्टार्स एशिया कप के सेमीफाइनल में इंडिया A की किससे होगी टक्कर? जानिए पूरा समीकरण
Kaantha Box Office Collection Day 5: 'कांथा' की कमाई में गिरावट जारी, लेकिन बजट वसूलने से रह गई बस इतनी दूर, जानें- 5 दिनों का टोटल कलेक्शन
'कांथा' की कमाई में गिरावट जारी, जानें- बजट वसूलने से रह गई कितनी दूर?
ABP Premium

वीडियोज

अजनबी प्यार का खूनी खतरा !
Bihar Government Formation: अभी तक मंत्रिमंडल का स्वरूप फाइनल नहीं हुआ? | Breaking news
Bihar New Government Formation: ...तो फिर एक बार, नीतीशे कुमार! |
UP Politics: पश्चिम नहीं, पूर्वी UP पर फोकस! Asaduddin Owaisi का नया गेमप्लान क्या? | Bihar | AIMIM
Sandeep Chaudhary: PK की हार, 'दुरुपयोग' बना बहाना! विश्लेषकों का सटीक विश्लेषण | Bihar Politics

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
कौन है जवाद सिद्दीकी, ED की रडार पर कैसे आया अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर? जानें सब कुछ
कौन है जवाद सिद्दीकी, ED की रडार पर कैसे आया अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर? जानें सब कुछ
Oath Ceremony: NDA सरकार के शपथ ग्रहण में विपक्ष के नेता भी आएंगे? जानिए किसे-किसे भेजा जा रहा आमंत्रण
NDA सरकार के शपथ ग्रहण में विपक्ष के नेता भी आएंगे? जानिए किसे-किसे भेजा जा रहा आमंत्रण
Rising Star Asia Cup: राइजिंग स्टार्स एशिया कप के सेमीफाइनल में इंडिया A की किससे होगी टक्कर? जानिए पूरा समीकरण
राइजिंग स्टार्स एशिया कप के सेमीफाइनल में इंडिया A की किससे होगी टक्कर? जानिए पूरा समीकरण
Kaantha Box Office Collection Day 5: 'कांथा' की कमाई में गिरावट जारी, लेकिन बजट वसूलने से रह गई बस इतनी दूर, जानें- 5 दिनों का टोटल कलेक्शन
'कांथा' की कमाई में गिरावट जारी, जानें- बजट वसूलने से रह गई कितनी दूर?
Madinah Bus Accident: मदीना बस हादसे में सास-ससुर, साले-सालियों समेत खत्म हो गया पूरा परिवार, परिजन बोले- 'अल्लाह उनके नसीब में...'
मदीना बस हादसे में सास-ससुर, साले-सालियों समेत खत्म हो गया पूरा परिवार, परिजन बोले- 'अल्लाह उनके नसीब में...'
Special Feature: ऐश्वर्या राय सरकार, स्टाइल और संस्कृति का संगम
ऐश्वर्या राय सरकार: स्टाइल और संस्कृति का संगम
Train Cancelled: ट्रेन से कहीं जाने का टिकट है बुक तो चेक कर लें ट्रेन का स्टेटस, रेलवे ने कैंसिल कीं ये ट्रेनें
ट्रेन से कहीं जाने का टिकट है बुक तो चेक कर लें ट्रेन का स्टेटस, रेलवे ने कैंसिल कीं ये ट्रेनें
ठंड में जल्दी नहीं सूखते गीले कपड़े, ये हैक्स आएंगे अपने काम
ठंड में जल्दी नहीं सूखते गीले कपड़े, ये हैक्स आएंगे अपने काम
Embed widget