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BLOG: ये पूरी तरह विराट और रवि शास्त्री की मनमाफिक टीम है
इस बात में कोई बुराई भी नहीं. आखिर विराट कोहली और रवि शास्त्री को ही इस टीम की अगुवाई करनी है इसलिए टीम तो उनके पसंद की होनी ही चाहिए. भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली और उनके बाद के कप्तानों को इस परंपरा का ही माना जाता है.
इस बात में कोई बुराई भी नहीं. आखिर विराट कोहली और रवि शास्त्री को ही इस टीम की अगुवाई करनी है इसलिए टीम तो उनके पसंद की होनी ही चाहिए. भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली और उनके बाद के कप्तानों को इस परंपरा का ही माना जाता है, जिन्होंने बड़े टूर्नामेंट्स से पहले हर एक खिलाड़ी को अपनी पसंद-नापसंद से चुना. चयनकर्ताओं के लिए भी ये स्थिति इसलिए ठीक है क्योंकि बदकिस्मती से अगर टीम का प्रदर्शन खराब रहता है तो कम से कम उन्हें कोई दोष नहीं ठहराता.
इस टीम में हर वो खिलाड़ी है जिस पर पिछले कुछ महीनों में विराट कोहली ने बतौर कप्तान और शास्त्री ने बतौर कोच ‘इनवेस्टमेंट’ किया है. जिनके साथ वो इंग्लैंड की पिचों पर होने वाले विश्वकप में उतरना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज खेलने के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी आईपीएल में व्यस्त हो जाएंगे. वनडे फॉर्मेट में फिर उनकी मुलाकात सीधे इंग्लैंड में होगी. इन्हीं बातों को दिमाग में रखकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चुनी गई टीम का आंकलन करना चाहिए. ये समझने की कोशिश करनी चाहिए कि आखिर कैसे ये विराट और शास्त्री की पसंदीदा टीम है.
प्रदर्शन नहीं पसंद के आधार पर टीम में हैं केएल राहुल
अगर हालिया प्रदर्शन की बात करें तो केएल राहुल शायद टीम में जगह नहीं बना पाते. इंडिया ए की तरफ से खेलते हुए इंग्लैंड लाएंस के खिलाफ उन्होंने पिछले दो मैचों में 80 रनों से ज्यादा की पारी जरूर खेली है लेकिन उससे पहले उनका प्रदर्शन बहुत खराब रहा. इंग्लैंड लाएंस के खिलाफ ही इन दो मैचों से पहले उन्होंने जो तीन मैच खेले उसमें 13, 42 और 0 उनका स्कोर है. इससे पहले श्रीलंका और इंग्लैंड के खिला`फ वनडे सीरीज में भी उनका प्रदर्शन बहुत खराब था.
अब तक खेले गए 13 वनडे मैचों में केएल राहुल सात बार बीस रनों तक भी नहीं पहुंचे हैं. इसमें से पांच बार वो दहाई के आंकड़े को पार नहीं कर पाए हैं. उनकी औसत 35 रनों की है. वनडे करियर में जो एक शतक और दो अर्धशतक उनके नाम हैं वो उन्होंने जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान जैसी टीम के खिलाफ बनाए हैं. अगर इन रनों को निकाल दिया जाए तो उनके खाते में 9 मैचों में 61 रन हैं. ये तो हुई मैदान में प्रदर्शन की कहानी इसके अलावा भूलना नहीं चाहिए कि एक टीवी शो में महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद उन्हें बैन भी किया गया था. लेकिन जैसे ही उनका बैन हटा उन्हें टीम में जगह मिल गई.
विराट कोहली और शास्त्री की ये पसंद हार्दिक पांड्या के मामले में भी दिखाई दी. जिन्हें बैन हटने के बाद रातों-रात टीम में शामिल किया गया. हालांकि हार्दिक पांड्या ने मैदान में उतरते ही अच्छा प्रदर्शन कर कोच और कप्तान के फैसले को सही साबित किया. अब यही चुनौती केएल राहुल के सामने भी है कि वो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में अच्छा प्रदर्शन कर अपनी उपयोगिता साबित करें. वरना विश्व कप के लिए टीम में चुने जाने के फैसले पर विवाद होना तय है. उधर रणजी ट्रॉफी में लगातार रन बना रहे और खुद को टेस्ट टीम में उपयोगी साबित करने के बाद भी मयंक अग्रवाल का नाम टीम में नहीं है.
विजय शंकर पर भी रहेगी नजर
विजय शंकर भी इस टीम में ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके प्रदर्शन पर सभी की नजर रहेगी. अब तक खेले गए मैचों में एकाध मौकों को छोड़ दें तो उन्होंने कोई खास प्रदर्शन नहीं किया है. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज में उन्हें नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा गया. विराट की जगह रोहित शर्मा उस सीरीज में टीम की कप्तानी कर रहे थे लेकिन ये फैसला विराट की जानकारी में ही हुआ होगा. चौंकाने वाली बात ये है कि तीनों टी-20 मैचों में उनसे गेंदबाजी नहीं कराई गई. विजय शंकर तभी उपयोगी हो सकते हैं जब वो हर मैच में कुछ ओवर भी फेंके. उन्हें भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में मिले मौके को लपकना होगा वरना विराट और शास्त्री की जवाबदेही बढ़ जाएगी.
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आनंद कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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