एक्सप्लोरर

BLOG: लड़के पढ़ेंगे लिखेंगे तो बनेंगे नवाब लेकिन लड़कियां हो जाएंगी खराब! कब सुधरेंगे हम?

हमारी बच्चियां जीत गई हैं. हरियाणा के रेवाड़ी में 80 लड़कियों की भूख हड़ताल खत्म हो गई है. उनका स्कूल 12वीं तक करने का फैसला ले लिया गया है. यह बच्चियों की पढ़ने की ललक है कि उन्होंने उस स्टाइल में अनशन किया जो अभी तक पॉलिटीशियंस की शैली रही है. लड़कियां पढ़ना चाहती हैं. हम उन्हें पढ़ने नहीं देना चाहते. पढ़ लेंगी तो घर चलाने का गुर कैसे सीखेंगी? अच्छी बीवियां नहीं बनेंगी. सास ससुर की आज्ञा का पालन नहीं करेंगी. लड़कों से घुलेंगी-मिलेंगी. अच्छी लड़की नहीं बनेंगी. लड़कों तुम पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब... लेकिन लड़कियां बनेंगी खराब. हमने इसीलिए लड़कियों के मामले में अनूठी कहावतें रची हुई हैं. फिर भी लड़कियां पढ़ना चाहती हैं. खूब पढ़ना चाहती हैं.

लड़कियां पढ़ना चाहती हैं तभी प्राइमरी लेवल पर लड़कों की तरह स्कूलों में दाखिला लेती हैं. एचआरडी मिनिस्ट्री के आंकड़े कहते हैं कि प्राइमरी लेवल पर जेंडर पैरिटी- मतलब लड़कों-लड़कियों के बीच का अंतर 1.02 है. यानी अंतर खत्म हो गया है. बल्कि भारत दक्षिण और पश्चिम एशिया का अकेला ऐसा देश है जहां प्राइमरी और सेकेंडरी शिक्षा में लड़कियों और लड़कों का अनुपात एक बराबर है. लेकिन एक आंकड़ा यह भी कहता है कि 20 परसेंट लड़कियां पीरियड्स शुरू होने की उम्र में स्कूल छोड़ दिया करती हैं. कई बार ब्याह दी जाती हैं. कई बार भाइयों-बहनों की ‘मां’ बनकर घर के काम में लग जाती हैं. अब इसे पढ़ने की अदम्य इच्छा ही कह सकते हैं कि जो लड़कियां स्कूलों में बनी रहती हैं, वे लड़कों के मुकाबले अच्छे से अच्छा करती हैं. सीबीएससी के मुताबिक, पिछले सात सालों का ट्रेंड रहा है कि लड़कियां 10वीं के एक्जाम में लड़कों से अच्छा प्रदर्शन करती हैं. 2016 में सीबीएससी के 10वीं के एग्जाम में 4,28,443 लड़कियों ने इम्तहान दिया जिनमें से 88.5 परसेंट पास हुईं. जबकि 5,64,213 लड़कों में से पास होने वाले 79 परसेंट रहे.

रेवाड़ी की लड़कियां भी पास होने वाली उन्हीं लड़कियों में से हैं जो हर अड़चन को पार करते हुए अपना जीवन बचाना और संवारना चाहती हैं. 12वीं तक की पढ़ाई की मंजूरी तो दो, हायर एजुकेशन के लिए भी वह कड़ी मेहतन करेंगी. वैसे हायर एजुकेशन में भी लड़कियों की तुलना में लड़के ज्यादा हैं. हायर एजुकेशन पर सरकार का ऑल इंडिया सर्वे कहता है कि इसमें 46 परसेंट लड़कियां दाखिला लेती हैं. लेकिन अंडर ग्रैजुएट प्रोफेशनल कोर्सेज में लड़कियां का परसेंटेज कम ही रहता है. अभी पिछले दिनों हरियाणा की ही खबर थी कि वहां आईआईटी में सिर्फ 6 लड़कियां बची हैं. यूं तो आईआईटी में लड़कियों का परसेंटेज सिर्फ 9 है. पर हमें अपनी बात कहने के लिए हमेशा डेटा देने की जरूरत ही क्यों पड़ती है. यह जादू की नगरिया है. लड़कियां देख सकती हैं कि उनके साथ भेदभाव होता है. लड़के नहीं देख पाते.

समझ पाते तो इस दरार को भरने की कोशिश करते. डेमोक्रेसी-डेमोक्रसी खेलते हुए इस लोकतंत्र की आधी आबादी को आगे का रास्ता दिखाते. जानते हैं...हमारे देश में निरक्षर लोगों में 68 परसेंट औरतें ही हैं. जो पढ़ जाती हैं, उन्हें भी कमाऊ नहीं समझा जाता. श्रम बाजार में सिर्फ 27 परसेंट औरतें ही अपनी जगह बना पाती हैं. श्रम मंत्रालय के लेबर ब्यूरो की एक रिपोर्ट है, रोजगार और बेरोजगारी पर. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रैजुएट और उससे ऊपर की पढ़ाई करने वाली 48 परसेंट औरतें बेरोजगार रह जाती हैं. लीजिए, हम फिर से डेटा के जाल में फंस गए. डेटा सही-गलत कुछ भी हो सकता है. पर अपने अनुभव नहीं. लड़कियां परेशान हैं कि वे पढ़ना चाहती हैं, लेकिन उन्हें तरह-तरह से रोका जाता है. रोका नहीं जाता तो उनके दिमाग में फीड किया जाता है कि उनके जीवन का लक्ष्य सिर्फ अच्छी बीवी बनना है. सरकारी बीमा कंपनी का एक एड था, लड़की को पापा 18वें जन्मदिन पर सोने की ज्वेलरी देते हैं. जब मम्मी कहती है कि इतने पैसे क्यों खर्च कर दिए तो पापा कहते हैं, हमारी बिटिया बड़ी हो रही है. उसके लिए छोटे इनवेस्टमेंट करने की बजाय हमें बड़े इनवेस्टमेंट करने चाहिए. मैं अपनी बेटी के भविष्य की तैयारी कर रहा हूं. बीमा कंपनी इस इनवेस्टमेंट में मदद करती है. जाहिर बात है, बच्ची की पढ़ाई के लिए नहीं, शादी के लिए निवेश किया जाता है.

वैसे बहुत सी लड़कियां पढ़ाई नहीं कर पातीं क्योंकि बहुत से परिवारों को लगता है कि यह बेफिजूल है. एनएसएसओ का सर्वे कहता है कि इसी वजह से 5-29 साल के हर 100 में से 13 लोग स्कूल नहीं जा पाते. लड़कियां स्कूल नहीं जा पातीं क्योंकि स्कूलों के रास्ते में उनसे छेड़छाड़ होती है. स्कूल छोड़ने वाली 46 परसेंट लड़कियां शोहदों के डर से घर बैठा दी जाती हैं. लड़कियां स्कूल नहीं जा पातीं क्योंकि वहां उन्हें अलग टॉयलेट नहीं मिलते. क्या यह कम हैरानी की बात नहीं कि 40 परसेंट सरकारी स्कूलों में टॉयलेट नहीं और 40 परसेंट स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट नहीं.

लड़कियां फिर भी जिद करने को तैयार हैं. अनशन को तैयार हैं. जब तक छोटी हैं, उनके लिए तालियां बजाने वाले हाथ उठते रहते हैं. फिर बड़ी हो जाएंगी तो उनकी जिद को उठे हुए हाथों से दबा दिया जाएगा. जिद नहीं करेंगी तो सबकी प्यारी हो जाएंगी. अपना सरनेम डिलीट करके पति का सरनेम अपने नाम से चिपकाएंगी. चुपचाप घरेलू कामों में मगन हो जाएंगी. हर मौके पर गुनगुनाती रहेंगी. कपड़े धोते समय. बर्तन मलते हुए. बच्चा सुलाते हुए. खाना पकाते हुए. ऐसी औरतें किसी को खतरनाक क्यों लगेंगी. कम पढ़ी-लिखी. कम समझदार. कम तेज-तर्रार. ससुरालियों की सुनने वाली. लड़कियों को इसीलिए पढ़ना नहीं चाहिए. पढ़ेंगी तो सवाल करेंगी. सवाल के जवाब मांगेगी. अपने बारे में सोचेंगी. पूछेंगी कि बेटे की चाह में हमें क्यों पैदा नहीं होने दिया जाता है. क्यों भरपेट खाना नहीं दिया जाता है. क्यों हमारी पढ़ाई पर खर्च नहीं किया जाता है. क्यों शादी की कानूनी उम्र से पहले ब्याह दिया जाता है. मुंह ढंककर सो जाइए क्योंकि इनके जवाब हमारे पास नहीं. शायद किसी के पास नहीं.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

Saudi And UAE Relations: 'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
मीरा भयंदर में अजित पवार गुट के उम्मीदवार की मौत, नामांकन के बाद आया हार्ट अटैक
मीरा भयंदर महानगरपालिक के NCP अजित पवार गुट के उम्मीदवार की मौत, नामांकन के बाद आया हार्ट अटैक
2026 में कितने मैचों में खेलते दिखेंगे रोहित शर्मा-विराट कोहली, ये रहा पूरा शेड्यूल
2026 में कितने मैचों में खेलते दिखेंगे रोहित शर्मा-विराट कोहली, ये रहा पूरा शेड्यूल
70 करोड़ के बजट में बनी मोहनलाल की ये फिल्म हुई बुरी तरह फ्लॉप, 97 परसेंट हुआ बॉक्स ऑफिस लॉस
70 करोड़ के बजट में बनी मोहनलाल की ये फिल्म हुई बुरी तरह फ्लॉप, 97 परसेंट हुआ बॉक्स ऑफिस लॉस
ABP Premium

वीडियोज

West Bengal News: पश्चिम बंगाल में SIR में गड़बड़ी का आरोप, TMC का प्रतिनिधि मंडल पहुंचा EC | SIR
China Steel Dumping पर बड़ा Action: Indian Steel Stocks में तेज उछाल | Paisa Live
Khaleda Zia को आखिरी विदाई..जनाजे में उमड़ा जनसैलाब | Bangladesh | ABP News
MP News: Indore में दूषित पानी से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा | Death | CM Mohan Yadav | Breaking
Delhi में क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई, कई ब्रांड के नकली खाद्य पदार्थ जब्त | Breaking | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Saudi And UAE Relations: 'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
मीरा भयंदर में अजित पवार गुट के उम्मीदवार की मौत, नामांकन के बाद आया हार्ट अटैक
मीरा भयंदर महानगरपालिक के NCP अजित पवार गुट के उम्मीदवार की मौत, नामांकन के बाद आया हार्ट अटैक
2026 में कितने मैचों में खेलते दिखेंगे रोहित शर्मा-विराट कोहली, ये रहा पूरा शेड्यूल
2026 में कितने मैचों में खेलते दिखेंगे रोहित शर्मा-विराट कोहली, ये रहा पूरा शेड्यूल
70 करोड़ के बजट में बनी मोहनलाल की ये फिल्म हुई बुरी तरह फ्लॉप, 97 परसेंट हुआ बॉक्स ऑफिस लॉस
70 करोड़ के बजट में बनी मोहनलाल की ये फिल्म हुई बुरी तरह फ्लॉप, 97 परसेंट हुआ बॉक्स ऑफिस लॉस
पहले चेहरा छुपाया, फिर पैपराजी को किया हैलो, रजत बेदी की बेटी ने नए लुक में फ्लॉन्ट की नैचुरल ब्यूटी
पहले चेहरा छुपाया, फिर पैपराजी को किया हैलो, रजत बेदी की बेटी ने नए लुक में फ्लॉन्ट की नैचुरल ब्यूटी
सैनेटरी पैड पर 0% पर्सेंट तो कंडोम पर 12% टैक्स क्यों, क्या है दोनों हेल्थ प्रॉडक्ट में अंतर की वजह?
सैनेटरी पैड पर 0% पर्सेंट तो कंडोम पर 12% टैक्स क्यों, क्या है दोनों हेल्थ प्रॉडक्ट में अंतर की वजह?
पंजाब बोर्ड ने जारी की 10वीं-12वीं परीक्षा की डेटशीट, जानें कब से कब तक होंगे एग्जाम
पंजाब बोर्ड ने जारी की 10वीं-12वीं परीक्षा की डेटशीट, जानें कब से कब तक होंगे एग्जाम
Feelings Confusion: लड़कों में इंटरेस्ट है या लड़कियों में... किस वजह से होता है कंफ्यूजन, क्या ये स्थिति नॉर्मल?
लड़कों में इंटरेस्ट है या लड़कियों में... किस वजह से होता है कंफ्यूजन, क्या ये स्थिति नॉर्मल?
Embed widget